उपचार हुआ मुश्किल, मरीज बेहाल

जिला प्रशासन की उदासीनता व स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही का खामियाजा जिले के मरीजों को भुगतना पड़ रहा है. एक तरफ जहां सरकारी अस्पताल व पीएचसी में दवा का अभाव है. वहीं राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत भी गरीब मरीज इलाज से मोहताज हो रहे हैं. सुपौल : जिला प्रशासन की उदासीनता व स्वास्थ्य […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 11, 2016 5:44 AM
जिला प्रशासन की उदासीनता व स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही का खामियाजा जिले के मरीजों को भुगतना पड़ रहा है. एक तरफ जहां सरकारी अस्पताल व पीएचसी में दवा का अभाव है. वहीं राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत भी गरीब मरीज इलाज से मोहताज हो रहे हैं.
सुपौल : जिला प्रशासन की उदासीनता व स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही का खामियाजा जिले के लाखों निर्धन मरीजों को भुगतना पड़ रहा है. एक तरफ जहां सरकारी अस्पताल व पीएचसी में दवा का अभाव देखी जा रही है. वहीं राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत भी गरीब मरीज इलाज से मोहताज हो रहे हैं.
स्थिति ऐसी बनी हुई है कि छोटे-छोटे बीमारियों के उपचार के लिए भी लोगों को गहना जेवर बेचने पर विवश होना पड़ रहा है. ऐसे सैकड़ों मरीज प्रत्येक दिन सदर अस्पताल सहित निजी नर्सिंग होम के बाहर उपचार व दवा के पैसे के लिए माथा पीटते नजर आते हैं. हालांकि स्वास्थ्य विभाग को आम जनों के इन परेशानियों से कोई लेना देना नहीं है. विभाग को पर्याप्त आवंटन उपलब्ध रहने के बावजूद अस्पताल में दवा खरीदने के प्रति अधिकारी गंभीर नहीं दिख रही है.
दवाओं का है अभाव
ज्ञात हो कि गत एक माह से सदर अस्पताल सहित जिले के रेफरल, पीएचसी, अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र व उप स्वास्थ्य केंद्रों में दवा का अभाव है. खास कर प्रसव व इमरजेंसी कक्ष में एक भी जरूरी दवा उपलब्ध नहीं है. दवा नहीं रहने के कारण निर्धन तबके के मरीजों को उपचार में परेशानी हो रही है.
वहीं ऐसे मरीजों के लिए लागू किया गया राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना भी इस जिले में दम तोड़ती नजर आ रही है. इस कारण गरीब मरीजों की जान भगवान भरोसे वाली कहावत पर टिकी हुई हैं. राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के बदहाल स्थिति का ठीकरा स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी कोर कमेटी पर फोर रहे हैं.

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