धांधली. कार्यपालक सहायक के चयन प्रक्रिया का हुआ पटाक्षेप, परीक्षा निरस्त
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डीएम ने किया जांच दल का गठन
धांधली. कार्यपालक सहायक के चयन प्रक्रिया का हुआ पटाक्षेप, परीक्षा निरस्त कार्यपालक सहायक चयन प्रक्रिया में हुई गड़बड़ी के मामले को पकड़ने के बाद डीएम ने कार्रवाई करते हुए चयन प्रक्रिया के तहत प्रकाशित किये गये अंतिम मेधा सूची को रद्द करते हुए पुन: चयन प्रक्रिया प्रारंभ करने का निर्देश दिया है. सुपौल : आखिरकार […]
कार्यपालक सहायक चयन प्रक्रिया में हुई गड़बड़ी के मामले को पकड़ने के बाद डीएम ने कार्रवाई करते हुए चयन प्रक्रिया के तहत प्रकाशित किये गये अंतिम मेधा सूची को रद्द करते हुए पुन: चयन प्रक्रिया प्रारंभ करने का निर्देश दिया है.
सुपौल : आखिरकार कार्यपालक सहायक चयन प्रक्रिया में हुई गड़बड़ी के मामले को पकड़ने के बाद जिलाधिकारी बैद्यनाथ यादव ने ठोस कार्रवाई करते हुए चयन प्रक्रिया के तहत प्रकाशित किये गये अंतिम मेधा सूची को रद्द करते हुए पुन: पारदर्शी तरीके से चयन प्रक्रिया प्रारंभ करने का निर्देश दिया है. वहीं डीएम ने अपर समाहर्ता की अध्यक्षता में जांच दल का गठन कर बहाली प्रक्रिया को पारदर्शी रखने के लिए कई दिशा निर्देश मंगलवार को जारी किया है. ज्ञात हो कि जिला स्तर पर होने वाले कार्यपालक सहायक के चयन में अधिकारियों की मिलीभगत के कारण भारी पैमाने पर धांधली बरती गयी थी.
बहाली प्रक्रिया में अधिकारियों की मनमानी और नियम कानून की धज्जियां उड़ता देख अभ्यर्थी परेशान थे. गत सोमवार को अंतिम मेधा सूची जारी होने के बाद जब अभ्यर्थियों ने समाहरणालय परिसर में बवाल काटा तो एक प्रभात खबर अपने सामाजिक दायित्व का निर्वहन करते हुए पुन: खबर प्रकाशित किया. डीएम ने छपी खबर पर संज्ञान लेते हुए मंगलवार को आंदोलन कारी अभ्यर्थियों के साथ बैठक कर पूरे मामले की अपने स्तर से जांच की. जांच में गड़बड़ी की बात सामने आने पर डीएम ने अविलंब कड़ा निर्देश जारी किया.
एक पखबाड़े से मचा था हंगामा
चयन प्रक्रिया में व्याप्त धांधली बीते एक पखवाड़े से जिले वासियों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ था. चयन प्रक्रिया के सभी चरणों में कई प्रतिभागियों द्वारा सवाल खड़ा कर लगातार जांच का अनुरोध किया गया था. औपबंधिक मेधा सूची प्रकाशन के बाद तो अभ्यर्थियों का सब्र टूट गया और अभ्यर्थी लगातार आंदोलन के माध्यम से जिला प्रशासन का ध्यान आकृष्ट करवाने की कोशिश की जा रही थी. लेकिन प्रशासन द्वारा कई प्रकार के हथकंडे का प्रयोग किये जाने के बाद जब अभ्यर्थी संतुष्ट नहीं हुए तो आखिरकार चयन की प्रक्रिया को तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया गया. गौरतलब हो कि कार्यपालक सहायक के आयोजनकर्ता द्वारा लिखित परीक्षा से लेकर टाइपिंग प्रतियोगिता व मेधा सूची में बरती गयी अनियमितता सवालों के घेरे में था.
चयन समिति की बैठक संपन्न चयन प्रक्रिया के उत्तर पुस्तिकाओं के प्रथम मूल्यांकन में पायी गयी अनियमितता के मामले में जिला चयन समिति की एक बैठक संपन्न हुई. जहां अपर समाहर्ता की अध्यक्षता में एक जांच दल गठित किया गया. जिसमें शिक्षा विभाग के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी स्थापना, जिला स्थापना उप समाहर्ता को सदस्य बनाया गया है. साथ ही जिला स्थापना शाखा के लिपिक सुभाष कुमार वर्मा को जांच दल के सदस्यों को अपेक्षित सहयोग किये जाने का निर्देश दिया गया है. डीएम बैद्यनाथ यादव ने जांच समिति को मामले की समुचित जांच कर मंतव्ययुक्त प्रतिवेदन आगामी 25 मई तक अधो हस्ताक्षरी को उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है.
कार्यपालक सहायक की चयन प्रक्रिया निरस्त होने के बाद आंदोलन कारी अभ्यर्थियों के बीच खुशी का माहौल दिखा. वहीं औपबंधिक मेधा सूची में शामिल अभ्यर्थी के परेशानी पर पसीने की बूंद नजर आ रही थी. आंदोलन कारी अभ्यर्थियों रमेश यादव, प्रकाश कुमार, मो फहीम, गुड्डू कुमार, मो सोहेल, उदय कुमार मंडल, परमानंद कुमार, सोनी कुमारी नीलम कुमारी आदि ने प्रभात खबर को धन्यवाद देते हुए कहा कि सही व सच्ची खबर प्रकाशन किये जाने के कारण ही उन्हें न्याय मिलने की उम्मीद जगी है. वहीं अभ्यर्थियों ने जिला पदाधिकारी को भी साधुवाद दिया है.
चयन प्रक्रिया में लगा था भ्रष्टाचार का घून :
कार्यपालक सहायक की चयन प्रक्रिया के प्रारंभ से लेकर औपबंधिक मेधा सूची के प्रकाशन तक भ्रष्टाचार का घून लगा हुआ था. कई ऊंची पहुंच के अभ्यर्थी जहां अपने आका के एक फोन के सहारे कार्यपालक सहायक बनने का सपना पाले हुए थे. वहीं दर्जनों अभ्यर्थी मोटी रकम देकर अपना स्थान सुरक्षित मान रहे थे. लेकिन जिला पदाधिकारी के निष्पक्ष निर्णय ने प्रतिभावन वंचित प्रतिभागियों का रास्ता खोल दिया है. ज्ञात हो कि चयन प्रक्रिया प्रारंभ होते ही लेनेदेन की संस्कृति इस चयन प्रक्रिया पर हावी हो गयी थी. वहीं लिखित परीक्षा और टाइपिंग टेस्ट के दौरान तो नकलची छात्रों की कारगुजारी से सही छात्र परेशान हो गये थे. प्रवेश पत्र पर फोटो नहीं रहने के कारण दर्जनों अभ्यर्थी की जगह स्कॉलर छात्र परीक्षा में हिस्सा लिया था.. औपबंधिक मेधा सूची के प्रकाशन के दौरान भारी पैमाने पर धांधली बरते जाने का मामला सामने आया था.
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