नाम मवि में, दे रहे थे फोकानिया की परीक्षा
जिलाधिकारी के निरीक्षण से खुली मदरसा की पोल सुपौल : सरकार द्वारा वर्तमान दौर में शिक्षा व्यवस्था पर काफी राशि खर्च किया जा रहा है. ताकि शिक्षित, सभ्य व सुसज्जित समाज का निर्माण करायी जा सके. एक तरफ जहां शिक्षा व्यवस्था को मौलिक अधिकार में शामिल कर समाज के हासिये पर जीवन बसर कर रहे […]
जिलाधिकारी के निरीक्षण से खुली मदरसा की पोल
सुपौल : सरकार द्वारा वर्तमान दौर में शिक्षा व्यवस्था पर काफी राशि खर्च किया जा रहा है. ताकि शिक्षित, सभ्य व सुसज्जित समाज का निर्माण करायी जा सके. एक तरफ जहां शिक्षा व्यवस्था को मौलिक अधिकार में शामिल कर समाज के हासिये पर जीवन बसर कर रहे परिवारों के बच्चों को गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने की कवायद जारी है. वहीं कुछ ऐसे संस्थान भी संचालित हैं जिनके द्वारा नियम कायदे को ताक रख मनमरजी तरीके से कार्य को अंजाम दिया जा रहा है. इस व्यवस्था की पोल तब खुली जब बीते 30 मई को उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सुखपुर को बनाये गये परीक्षा केंद्र पर बिहार मदरसा बोर्ड द्वारा फोकानियां व मौलवी की परीक्षा ली जा रही थी.
परीक्षा का जायजा लेने पहुंचे डीएम बैद्यनाथ यादव, एसडीओ एनजी सिद्दीकी, डीपीओ एसएसए गिरीश कुमार ने निर्धारित आयु से कम उम्र के बच्चों को परीक्षा में शामिल होते देख भौचक रह गये.
आयु आठ से दस, लेकिन प्रवेश पत्र पर 16 से 18 वर्ष है अंकित : गौरतलब हो कि बिहार मदरसा बोर्ड द्वारा जिले के मदरसा इसलामियां ओबेसुल उलूम मल्हनी पुनर्वास, मदरसा दारुल उलूम वीरपुर, मदरसा इसलाहुल मुस्लेमीन परसा तुलापट्टी किसनपुर, मदरसा इसलामिया रशीदिया मजहरुल उलूम अंदौली के छात्रों का फोकानियां व मौलवी स्तर की परीक्षा को लेकर उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सुखपुर को परीक्षा केंद्र बनाया गया है.
परीक्षा के पहले दिन परीक्षा देने आये उक्त सभी मदरसे के छात्रों के बीच कुछ ऐसा भी छात्र परीक्षार्थी देखने को मिला. जिनका उम्र निर्धारित आयु से कम देखा गया, लेकिन प्रवेश पत्र के मिलान के बाद मदरसा इसलामियां ओबेसुल उलूम मल्हनी पुनर्वास के छात्र मो सलाम जिनके प्रवेश पत्र पर क्रमांक 618 व जन्म तिथि तीन मार्च 2000, परीक्षार्थी मो सलमान क्रमांक 619 जन्मतिथि 12 मार्च 2000, मो साजिद क्रमांक 622 जन्मतिथि 12 जनवरी 2000, मो माजीद रोल नंबर 588 उम्र चार मार्च 1999 तथा मो रिजवान क्रमांक 612 जन्मतिथि 18 जून 1999 अंकित है. वहीं मदरसा दारुल उलूम वीरपुर से आये परीक्षार्थी मो फारुख के प्रवेश पत्र पर क्रमांक 268 व जन्मतिथि 10 फरवरी 2000 अंकित है.
साथ ही मदरसा इसलाहुल मुस्लेमीन परसा तुलापट्टी किसनपुर के परीक्षार्थी शमीर खान क्रमांक 456 व जन्मतिथि एक जनवरी 1998 उल्लिखित है, जबकि मदरसा इसलामिया रशीदिया मजहरुल उलूम अंदौली के परीक्षार्थी मो इसमाईल का क्रमांक 341 जन्मतिथि सात फरवरी 2000 व मो सिबगतुल्लाह क्रमांक 366 जन्म तिथि 10 अक्टूबर 2000 अंकित है. उक्त सभी परीक्षार्थियों का उम्र जायजा लेने के दौरान पदाधिकारियों द्वारा आठ से दस वर्ष का बताया गया है.
बच्चों ने बताया, वे सभी हैं मध्य विद्यालय के छात्र
पदाधिकारियों ने सभी नौ परीक्षार्थियों से पूछताछ की, जहां उन्हें ज्ञात हुआ कि वे सभी मध्य विद्यालय के आठवीं कक्षा में अध्ययनरत हैं. अब सवाल उठना लाजिमी है कि मदरसा प्रधान किस उद्देश्य से ऐसे छात्रों को उक्त परीक्षा में शामिल करवाये हैं. जानकारों ने बताया कि इस बार से परीक्षा का संचालन कड़ी सुरक्षा के बीच करायी जा रही है. ऐसे में जिन मदरसा में पठन-पाठन की क्रिया कागजी तौर पर चलायी जा रही है. उन्हें इस परीक्षा से किसी प्रकार का फलाफल प्राप्त नहीं होगा. इस कारण मदरसा संचालक ऐसे बच्चों का खोजबीन कर परीक्षा में शामिल करवाने को विवश हो रहे हैं.
डीएम के निर्देश के बाद डीइओ ने उक्त सभी मदरसा प्रधानों से कार्यालय ज्ञापांक 700 के माध्यम से निर्देश दिया है कि निरीक्षण के दौरान संबंधित बच्चों द्वारा जानकारी दी गयी के वे सभी मध्य विद्यालय के छात्र हैं. जिससे स्पष्ट होता है कि मदरसा में पठन-पाठन का कार्य बाधित कर अवैध तरीके से बाहरी बच्चों को मदरसे से फार्म भरवाया जाता है. निर्देश पत्र में संबंधित मदरसा प्रधानों को यह भी निर्देश दिया गया है कि पत्र प्राप्ति के साथ ही वे सभी स्पष्ट करें कि किस परिस्थिति में उक्त छात्रों का नामांकन लिया गया. साथ ही नामांकन पंजी/ स्थानांतरण प्रमाण पत्र व वस्तानियां परीक्षा का प्रमाण पत्र के साथ गुरुवार के अपराह्न तक जिला कार्यालय में उपस्थित होना सुनिश्चित करेंगे.