विभागीय अधिकारी सकते में गड़बड़ी . दवा खरीद घोटाले की जांच प्रारंभ
जिले के चर्चित दवा खरीद घोटाले की जांच प्रारंभ होते ही इस प्रकरण में संलिप्त अधिकारी, कर्मी व माफियाओं के परेशानी बढ़ गयी है. मंगलवार को जांच टीम ने सदर अस्पताल का दौरा किया. इस दौरान अस्पताल परिसर स्थित शौचालय के सेपटी टैंक से करोड़ों रुपये मूल्य की दवा बरामद की. सुपौल : जिले के […]
जिले के चर्चित दवा खरीद घोटाले की जांच प्रारंभ होते ही इस प्रकरण में संलिप्त अधिकारी, कर्मी व माफियाओं के परेशानी बढ़ गयी है. मंगलवार को जांच टीम ने सदर अस्पताल का दौरा किया. इस दौरान अस्पताल परिसर स्थित शौचालय के सेपटी टैंक से करोड़ों रुपये मूल्य की दवा बरामद की.
सुपौल : जिले के चर्चित दवा खरीद घोटाले की स्थलीय जांच प्रारंभ होते ही इस प्रकरण में संलिप्त अधिकारी, कर्मी व माफियाओं के परेशानी पर पसीने की बूंद नजर आने लगी है. मंगलवार को जांच टीम द्वारा सदर अस्पताल परिसर स्थित शौचालय के सेपटी टैंक से करोड़ों रुपये मूल्य की दवा बरामद होने के बाद स्वास्थ्य महकमा के अधिकारी एवं कर्मी बदहवास नजर आ रहे थे. लाख छुपाने के बावजूद घोटाले में लिप्त अधिकारी व कर्मी की बेचैनी नहीं छिप रही थी. जांच दल का नेतृत्व कर रहे दंडाधिकारी सुशील कुमार मिश्र जांच के दौरान तत्काल मिल रही सभी सूचनाओं पर त्वरित कार्रवाई कर रहे थे.
जिससे स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की धिग्गी बंध गयी थी. ज्ञात हो कि मंगलवार की सुबह जब दंडाधिकारी व जांच टीम सिविल सर्जन कार्यालय पहुंच कर भंडारगृह में बंद दवाओं की सूची तैयार करने की बात कही तो सिविल सर्जन की मौजूदगी में प्रभारी भंडारपाल ने दंडाधिकारी को दो जगहों पर दवा रहने की जानकारी देते हुए पूर्व भंडारपाल द्वारा चाबी जमा नहीं किये जाने की बात कही.
जिसके बाद भंडारगृह का ताला तोड़ कर दवा की सूची तैयार करने का निर्णय लिया गया. ताला तोड़ने के बाद जांच टीम जब भंडारगृह के भीतर प्रवेश किया तो साफ सुथरा भंडार गृह को देख कर अधिकारी भौचक रह गये.
अधिकारियों ने कयास लगाया कि एक या दो दिन पूर्व उक्त भंडारगृह की साफ सफाई करायी गयी है. जबकि सिविल सर्जन के सामने कर्मी ने बीते छह माह से भंडार गृह बंद रहने की बात स्वीकारा था. वहीं जांच के दौरान सदर अस्पताल के कई बंद कमरों से भी लाखों रुपये मूल्य की जीवन रक्षक दवाई बरामद किया गया है.
लाखों के उपकरण भी है बंद
मंगलवार को दिनभर चले ड्रग्स सर्च अभियान के दौरान सदर अस्पताल परिसर में हड़कंप की स्थिति बनी हुई थी. औषधी भंडारगृह के निरीक्षण के दौरान जांच टीम ने सैकड़ों कार्टून दवा के साथ साथ कई प्रकार के चिकित्सीय उपकरण भी बरामद किया है. इन सामग्रियों को देख सिविल सर्जन डॉ रामेश्वर साफी स्वयं हैरत में थे. ऑपरेशन थियेटर में उपयोग में लाये जाने वाले महत्वपूर्ण उपकरणों को जंग लगता देख जांच टीम के सदस्यों भी आश्चर्य चकित हो गये. दवा खरीद घोटाले के शिकायत कर्ता शमसूल कमर सिद्दीकी ने कहा कि दवा खरीद के साथ – साथ उपकरण खरीद में भी स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों द्वारा घोटाले को अंजाम दिया गया है.
जांच टीम के गठन पर उठने लगा सवाल: दवा खरीदारी के नाम पर करोड़ों रुपये गबन के मामले में यूं तो मंगलवार के पहले दिन जांच टीम में शामिल अधिकारी निष्पक्ष नजर आ रहे थे, लेकिन जांच के पहले चरण में शामिल जांच टीम के गठन पर स्थानीय लोग सवाल खड़ी कर रहे हैं. शिकायतकर्ता शमसूल कमर सिद्दीकी ने कहा कि जब गबन का आरोप सिविल सर्जन पर है तो आखिर कैसे सुपौल के औषधि निरीक्षक को दवा की सूची तैयार करने की जिम्मेवारी दी गयी? आरोपी सिविल सर्जन जांच टीम में शामिल दोनों औषधि निरीक्षक के नियंत्री पदाधिकारी है. वहीं जांच टीम में शामिल चिकित्सक डॉ के के झा भी महज एक माह पूर्व तक सुपौल सदर अस्पताल में प्रतिनियुक्त थे. टीम में शामिल प्रधान लिपिक चंदेश्वरी प्रसाद यादव का आरोपी अधिकारियों एवं कर्मियों से मधुर रिश्ता जग जाहिर है. श्री सिद्दीकी ने कहा कि ऐसे में आरोपी अधिकारी व कर्मी करोड़ों रुपये के दवा घोटाले के इस मामले में आसानी के साथ सबूत से छेड़छाड़ कर सकते हैं. इसलिए दवा की सूची बनाने की जिम्मेवारी अविलंब सहरसा मधेपुरा जिला के किसी अन्य औषधी निरीक्षक को सौंपा जाय.
शौचालय टैंक से बरामद दवा.
जांच करते अधिकारी.
छह माह से बहायी जा रही दवा
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों एवं कर्मियों द्वारा दवा की खरीदारी के नाम पर करोड़ों रुपये का गबन किये जाने का मामला विगत एक वर्ष से चर्चा का विषय बना हुआ था. इस मामले में शिकायत होने के बाद पूर्व में जिला स्तर पर जांच की रस्म अदायगी भी की गयी थी, लेकिन विरोधियों के तेवर देख कर घोटाले में लिप्त अधिकारी व कर्मी सबूतों को खत्म करने की दिशा में जी जान लगाये हुए थे. पूर्व में दवाओं की कई बड़ी खेप को कोसी नदी में बहाया गया.
साथ ही सदर अस्पताल परिसर के कई नाला में भी दवाओं को नष्ट किया जाता था. सबूत मिटाने की गरज से ही सदर अस्पताल के शौचालय के टैंक में करोड़ों मूल्य की जीवन रक्षक दवाएं फेंकी गयी थी. सूत्र बताते हैं कि सदर अस्पताल परिसर में कई जगहों पर दवाओं की बड़ी खेप को जमींदोज किया गया है. हालांकि जांच प्रारंभ होते ही आम जतों की नजर जांच टीम पर टिकी हुई है.