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जिला स्तर पर जांच को प्रभावित करने का प्रयास तेज

सुपौल : स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी व कर्मियों द्वारा अंजाम दिये गये करोड़ों रुपये के दवा घोटाले मामले में चल रहे जांच को विभागीय स्तर पर प्रभावित करने का भरसक प्रयास किया जा रहा है. जानकारी अनुसार मामले की जांच में जुटे कोसी प्रमंडल के अपर निदेशक डॉ शशि भूषण शर्मा द्वारा सिविल सर्जन सुपौल […]

सुपौल : स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी व कर्मियों द्वारा अंजाम दिये गये करोड़ों रुपये के दवा घोटाले मामले में चल रहे जांच को विभागीय स्तर पर प्रभावित करने का भरसक प्रयास किया जा रहा है. जानकारी अनुसार मामले की जांच में जुटे कोसी प्रमंडल के अपर निदेशक डॉ शशि भूषण शर्मा द्वारा सिविल सर्जन सुपौल से मांगें गये 16 वर्षों के दवा से संबंधित संचिकाओं को ही गायब बताया जा रहा है. सिविल सर्जन डॉ रामेश्वर साफी कहते हैं

कि औषधि भंडार केंद्र के भूतपूर्व भंडारपाल श्यामानंद भारती द्वारा औषधि भंडार केंद्र का प्रभार नहीं दिया गया. जिस कारण वरीय अधिकारी द्वारा मांगे गये समुचित दस्तावेज को उपलब्ध करवाने में परेशानी हो रही है. वहीं स्वास्थ्य विभाग के कई कर्मियों ने नाम नहीं छापने के शर्त पर बताया कि जिला औषधि भंडार केंद्र के भूतपूर्व भंडारपाल श्यामानंद भारती के सेवा निवृति के बाद जब औषधि भंडार केंद्र का प्रभार सुभाष कुमार भारती को दिया गया था

तो उस समय तक दवा से संबंधित सभी संचिकाएं भंडारगृह के आलमारी में सुरक्षित था. बाद में करोड़ों रुपये के दवा घोटाले के राह में रोड़ा साबित होने के बाद जब रातोंरात भंडारपाल सुभाष कुमार भारती को भंडारपाल से हटा कर निर्मली पीएचसी भेजा गया तब भी दवा से संबंधित संचिकाएं सुरक्षित था. लेकिन जब सिविल सर्जन कार्यालय के लेखापाल पवन कुमार सिंह को भंडार पाल की जिम्मेवारी सौंपी गयी तो भंडार में मौजूद दवाओं की संचिकाएं गायब होने लगी. जानकार बताते हैं कि करोड़ों रुपये की इस दवा घोटाले को छुपाने के साथ – साथ पूर्व भंडारपाल श्यामनंद भारती और सुभाष कुमार भारती को फंसाने की गरज से भी कर्मी एवं अधिकारी द्वारा दवा से संबंधित संचिकाओं को गायब कर दिया गया है.

भंडारपाल के साथ क्रय लिपिक भी थे पवन : करोड़ों रुपये के दवा घोटाले मामले में जांच की रफ्तार दोषी अधिकारी व कर्मियों की धड़कन को भी बढ़ा दिया है. स्वास्थ्य विभाग के आरडीडी डॉ शशि भूषण शर्मा के तेवर देख कर भ्रष्टाचारी अधिकारी एवं कर्मियों के होश गुल है. विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस दवा घोटाला मामले में सिविल सर्जन कार्यालय के लेखापाल सह वर्तमान भंडारपाल पवन कुमार सिंह पर आरोप तय किया जा सकता है.
घोटाले के आरोपी पवन सिंह भंडारपाल के साथ – साथ करोड़ों रुपये के दवा घोटालों के समय विभाग के क्रय लिपिक भी थे. गोदाम में रखे दवाओं के हिसाब से नयी दवाओं की खरीदारी करने की जबावदेही भी इसी आरोपी कर्मी पर था. सूत्र बताते हैं कि अनियमित तरीके से हुई करोड़ों रुपये की दवा की खरीदारी के बाद इन दवाओं को खपाने में भी मनमरजी दिखाई गयी.
भंडारपाल रहने के दौरान जिले के सभी अस्पताल और पीएचसी से आने वाले दवाओं के ऑडर स्लिप पर ओवर राइटिंग कर भंडारपाल अपने मरजी से कई अन्य दवाओं का नाम लिखते थे और अनावश्यक रूप से कम समय में एक्सपायर होने वाले दवाओं की आपूर्ति पीएचसी एवं अस्पताल को कर रहे थे.

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