महिलाओं को नहीं मिल रहा विशेष आकस्मिक अवकाश का लाभ

24 वर्ष बाद भी निर्देश का नियंत्री पदाधिकारी नहीं कर रहे अनुपालन सुपौल : सूबे की कामकाजी महिलाओं हो या फिर सरकारी दफ्तरों की महिला कर्मी. सरकार द्वारा महिलाओं के निमित्त कई प्रकार की योजनाएं संचालित है. लेकिन प्रशासनिक महकमा की उदासीनता कहें या कुछ और. अधिकांश योजनाओं को समुचित दिशा व दशा नहीं मिलने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 20, 2016 7:14 AM

24 वर्ष बाद भी निर्देश का नियंत्री पदाधिकारी नहीं कर रहे अनुपालन

सुपौल : सूबे की कामकाजी महिलाओं हो या फिर सरकारी दफ्तरों की महिला कर्मी. सरकार द्वारा महिलाओं के निमित्त कई प्रकार की योजनाएं संचालित है. लेकिन प्रशासनिक महकमा की उदासीनता कहें या कुछ और. अधिकांश योजनाओं को समुचित दिशा व दशा नहीं मिलने के कारण योजनाएं धूल फांकते नजर आ रही है. आज हम सरकारी दफ्तरों में कार्यरत महिलाओं के निमित्त संचालित योजना विशेष आकस्मिक अवकाश पर चर्चा कर रहे हैं. मालूम हो कि उक्त योजना वर्ष 1992 में संचालित किया गया था. लेकिन 24 वर्ष बीत जाने के बाद भी विशेष आकस्मिक अवकाश सरकारी दफ्तरों में लागू नहीं है. जबकि कुछ समय पूर्व सरकार द्वारा महिलाओं के लिए विशेषाअवकाश की घोषणा भर ही की गयी. जिसका उपयोग नियंत्री पदाधिकारी के सहारे धड़ल्ले से उपयोग करवाया जा रहा है. जबकि पदाधिकारियों द्वारा संबंधित कार्यालयों का निरंतर जांच पड़ताल किये जाने का कार्य संपन्न किया जा रहा है.
विभाग है बेखबर: गौरतलब हो कि संविधान के नियमानुकूल अनुपालन कराये जाने को लेकर सरकार द्वारा पंचायत से लेकर जिला स्तर तक संबंधित विभागों के कार्यालय का संचालन कराया गया. साथ ही मानदंड अनुरूप विभागीय क्रिया कलाप निष्पादित हो, इसे लेकर पदाधिकारियों को भी पदस्थापित किया गया. बावजूद इसके सरकारी मुलाजिमों द्वारा निरीक्षण के दौरान विशेष आकस्मिक अवकाश की दिशा में किसी प्रकार का ध्यान नहीं दिया जा रहा. 24 वर्षों से जहां महिला कर्मी इस योजना के लाभ से वंचित हैं. वहीं पदाधिकारियों की उदासीनता व नियम की उड़ायी जा रही धज्जियां से जानकार लोग हताश नजर आ रहे हैं.
आकस्मिक अवकाश लेने का सरकारी मानदंड
सरकारी कर्मचारियों के विभिन्न सेवा संघों की मांग एवं उनसे हुए समझौते को दृष्टिगत रखते हुए राज्य सरकार ने निर्णय लिया है कि राज्य की सभी नियमित महिला सरकारी कर्मचारियों को हर माह में दो दिनों का आकस्मिक अवकाश की सुविधा दी जाय.
यह विशेष आकस्मिक अवकाश सरकारी सेवक के पंचांग वर्ष में अनुमान्य आकस्मिक अवकाश के अतिरिक्त होगा.
यह छुट्टी प्रत्येक माह में दो लगातार दिनों के लिए एक ही बार अनुमान्य होगी.
विशेष आकस्मिक छुट्टी देने का अधिकार उन अधिकारियों को रहेगा. जिनको वर्तमान नियम के अनुसार आकस्मिक छुट्टी स्वीकृत करने की शक्ति प्रदत्त है.
यह छुट्टी सार्वजनिक अवकाश, आकस्मिक अवकाश व रविवार को मिला लगातार 12 दिनों तक एक साथ उपभोग करने की बिहार सेवा संहिता के परिशिष्ट 13 के नियम 2(बी) में उल्लिखित सीमावधि के अधीन गणित होगी.
आरटीआइ ने खोली व्यवस्था की पोल
ज्ञात हो कि इस मामले को लेकर बीते दिनों स्थानीय विद्यापूरी निवासी सामाजिक कार्यकर्ता अनिल कुमार सिंह ने लोक सूचना अधिकार के तहत उक्त योजना की जानकारी प्राप्त करने हेतु कार्यालय को आवेदन सौंपा. आरटीआई से उपलब्ध करायी गयी जानकारी के बाद सामाजिक कार्यकर्ता श्री सिंह ने बताया कि सरकार के वित्त विभाग द्वारा चार अप्रैल 1992 को जारी आदेश में स्पष्ट अंकित है कि सभी विभागों के नियमित महिला कर्मचारियों को प्रत्येक माह में दो दिनों का विशेष आकस्मिक अवकाश दिया जाना है. लेकिन दो दशक से अधिक समय बीत जाने के बाद भी सरकारी आदेश का सरजमीं पर अनुपालन नहीं कराया जा रहा है. सामाजिक कार्यकर्ता श्री सिंह ने सरकार के मुख्य सचिव सहित संबंधित विभाग के प्रधान सचिव को पत्र भेज उक्त सरकारी निर्देशों का ससमय अनुपालन सभी विभागीय पदाधिकारियों से कराये जाने की मांग की है.
प्रशिक्षण के नाम पर खानापूरी

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