सुपौल : तड़प-तड़प कर मर गया महादलित मशरफ

मानवता हुई शर्मसार वार्ड में भरती अन्य मरीजों ने बदबू आने के बाद अस्पताल प्रबंधन को दी सूचना तो निकाला शव सुपौल : छातापुर थाना पुलिस की लापरवाही और स्वास्थ्य विभाग की अकर्मण्यता के कारण सड़क हादसे में जख्मी 50 वर्षीय एक अधेड़ की सदर अस्पताल में उपचार व दवा के अभाव में बुधवार को […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 4, 2016 6:01 AM

मानवता हुई शर्मसार

वार्ड में भरती अन्य मरीजों ने बदबू आने के बाद अस्पताल प्रबंधन को दी सूचना तो निकाला शव
सुपौल : छातापुर थाना पुलिस की लापरवाही और स्वास्थ्य विभाग की अकर्मण्यता के कारण सड़क हादसे में जख्मी 50 वर्षीय एक अधेड़ की सदर अस्पताल में उपचार व दवा के अभाव में बुधवार को तड़प-तड़प कर मौत हो गयी. उसका शव 24 घंटे से भी अधिक समय तक अस्पताल के जनरल वार्ड में पड़ा रहा. जख्मी की मौत के बाद अस्पताल प्रबंधन की नींद तो नहीं खुली, अलबत्ता वार्ड में पहले से भरती मरीज व उनके परिजन शव से आनेवाले दुर्गंध से परेशान हो कर वार्ड छोड़ कर भाग खड़े हुए. मीडिया कर्मियों की पहल पर गुरुवार की दोपहर मृतक का पोस्टमार्टम किया गया. पोस्टमार्टम के बाद सदर थाना पुलिस ने शव को छातापुर थाना भेज दिया. जहां इस अधेड़ की तीन दिनों से तलाश में जुटे परिजनों द्वारा शव की शिनाख्त की गयी. उसकी पहचान बलुआ बाजार थाना क्षेत्र के बिशनपुर शिवराम पंचायत स्थित नाथपट्टी गांव के सीताराम राम के पुत्र मशरफ राम के रूप में की गयी.
15 घंटे तक जिंदगी और मौत से जूझता रहा मशरफ
सदर अस्पताल में अज्ञात दुर्घटनाग्रस्त मरीज के पहुंचने के बाद अस्पताल प्रबंधन की अकर्मण्यता सामने आयी. अस्पताल में ड्यूटी पर तैनात चिकित्सक ने जख्मी को देखते ही इलाज करने से हाथ खड़े कर दिये. चिकित्सक ने साफ शब्दों में कहा कि यहां उपचार के लिए आवश्यक संसाधन और दवा उपलब्ध नहीं है. हालांकि अज्ञात मरीज रहने के कारण मशरफ राम को एक स्लाइन लगा कर जनरल वार्ड के कोने में स्थित बेड पर मरने के लिए छोड़ दिया गया. इस दौरान अस्पताल के कर्मियों ने मशरफ के चेहरे और शरीर पर लगे खून को साफ तक करना मुनासिब नहीं समझा. बुधवार की सुबह करीब नौ बजे सुबह मशरफ की मौत हो गयी.
वार्ड छोड़ कर भागे मरीज व उनके परिजन
बुधवार की सुबह अज्ञात घोषित मशरफ राम की मौत हो जाने के बाद वार्ड में पहले से भरती मरीज व उनके परिजन एक-एक कर वार्ड से निकलने लगे. स्थिति यह थी कि मंगलवार की रात जहां सदर अस्पताल का जेनरल वार्ड मरीज व परिजनों से खचाखच भरा था, बुधवार की दोपहर तक गिने-चुने मरीज व उनके परिजन ही वार्ड में मौजूद थे. मरीज के परिजनों ने बताया कि मृतक के शव से निकलने वाले बदबू की वजह से वार्ड में रहना मुश्किल हो रहा है.
कई बार अस्पताल प्रबंधन को इस बारे में सूचित किया गया लेकिन शव को वार्ड से निकाला नहीं जा सका. बुधवार की शाम वार्ड में शेष रह गये एक मात्र मरीज के परिजन शहर के वार्ड नंबर 28 निवासी त्रिलोक यादव ने बताया कि जख्मी मशरफ का सदर अस्पताल में कोई उपचार नहीं किया गया. उन्होंने बताया कि जिस वक्त उक्त मरीज को अस्पताल लाया गया तो कंपाउंडर एक स्लाइन लगा कर चले गये. उसके बाद किसी ने भी उक्त मरीज की सुधि नहीं ली.
मरने के बाद बेड पर ही पड़ा रहा शव
जनरल वार्ड के बेड पर पड़ा मशरफ का शव.
मामले की जांच पुलिस के वरीय अधिकारियों से करवायी जायेगी. आखिर छातापुर थानाध्यक्ष ने अज्ञात जख्मी के साथ पुलिसकर्मियों को क्यों नहीं सदर अस्पताल भेजा. जांच के बाद दोषी पुलिसकर्मियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जायेगी.
डॉ कुमार एकले
सुपौल : बस से गिर कर हुआ था जख्मी
मृतक के परिजनों ने बताया कि मंगलवार की सुबह मशरफ राम भैया दूज के मौके पर संदेश लेकर अपनी पुत्री के घर छातापुर थाना क्षेत्र अंतर्गत घीवहा गांव जा रहा था. भीमपुर चौक पर मशरफ बस पर सवार हो कर घीवहा के लिए चला था. बस में अधिक यात्री रहने के कारण कंडक्टर ने मशरफ को गेट पर खड़ा कर दिया था. छातापुर पहुंचने से पूर्व मशरफ बस से गिर कर चोटिल हो गया. इसके बाद बस के चालक व अन्य कर्मियों ने जख्मी मशरफ को छातापुर पीएचसी के गेट पर छोड़ दिया और वहां से भाग खड़े हुए.
सदर अस्पताल में कर्मी और संसाधन का घोर अभाव है. जख्मी मरीजों को प्राथमिक उपचार के बाद रेफर किया जाता है. अज्ञात जख्मी के साथ कोई भी नहीं था. इस वजह से उसे बाहर नहीं भेजा जा सका. अज्ञात जख्मी के उपचार की जिम्मेदारी संबंधित थाना के पुलिस की होती है. पुलिस रहती तो अस्पताल प्रशासन मरीज को रेफर कर देता.

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