सुपौल : सदर अस्पताल परिसर स्थित सिविल सर्जन कार्यालय के सभा कक्ष में सोमवार को आरसीएच पोटल के तहत पंजी संधारण के लिए दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का शुभारंभ किया गया. कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए सिविल सर्जन डॉ रामेश्वर साफी ने कहा कि मातृ मृत्यु दर व शिशु मृत्यु दर के आंकड़ों को कम करने के लिए आरसीएच पोटल एक महत्वपूर्ण प्रयास है.
सभी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी इस प्रशिक्षण के बाद अपने पीएचसी के एएनएम, आशा फेसीलेटर को आरसीएच पोटल के तहत प्रशिक्षित करेंगे. कार्यक्रम में उपस्थित अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ बिल्टू पासवान ने कहा कि योग्य दंपती गर्भवती महिला और नवजात के टीकाकरण की समुचित जानकारी एक जगह रहने से टीकाकरण ससमय संपन्न होगा.
मुख्य प्रशिक्षक जिला अनुश्रवण व मूल्यांकन पदाधिकारी पंकज कुमार झा ने बताया कि प्रशिक्षण के बाद सभी आंगनबाड़ी केंद्रों पर आरसीएच पंजी का संधारण किया जायेगा. एक पंजी में 200 योग्य दंपती, 80 गर्भवती महिला और 60 नवजातों की जानकारी पंजीकृत की जायेगी. सोमवार के प्रशिक्षण में जिले के सभी पीएचसी प्रभारी, प्रबंधक, बीसीएम, मुख्य मूल्यांकन सहायक आदि मुख्य रूप से उपस्थित थे. प्रशिक्षण के दौरान जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ एसएन ठाकुर, डीपीएम अमित आनंद, एसएमओ श्याम मेहरा, एसएमसी अनुपमा चौधरी, केयर इंडिया के स्वरूप पटनायक, प्रशिक्षक बालकृष्ण चौधरी आदि उपस्थित थे.
सदर अस्पताल के वरिष्ठ महिला चिकित्सक डॉ नूतन वर्मा बताती है कि गर्भ के दौरान गर्भवती को टेटनस के टीके दो बार अनिवार्य रूप से लगाया जाना जरूरी है. गर्भ के आरंभ काल और पुन: एक माह के बाद गर्भवती को सजगता के साथ टीकाकरण करवाना चाहिए. इससे गर्भस्थ शिशु को भी लाभ पहुंचता है. वहीं शहर के प्रसिद्ध शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ शांतिभूषण ने बताया कि जन्म से लेकर 24 माह के अंदर नियत समय पर नवजात को 17 प्रकार के जीवन रक्षक टीका लगाया जाना अनिवार्य है.
एक भी टीका के नहीं लगने से शिशु के बीमार और मंदबुद्धि होने की संभावना बढ़ जाती है. उन्होंने बताया कि जन्म के तुरंत बाद शिशु को बीसीजी, पोलियो और हेपेटाइटिस बी का टीका अनिवार्य रूप से लगाया जाना चाहिए. वहीं डेढ़ माह के बाद डीपीटी व पोलियो का टीका लगवाना चाहिए. ढाई माह बाद डीपीटी, पोलियो का टीका लगवाना चाहिए. साढ़े तीन माह बाद पेंटावेलेट व पोलियो टीका लगवाना अनिवार्य है. वहीं शिशु के जन्म के नौंवे माह मीजल्स, जापानी इंसेफोलाटिस व विटामिन एक का टीका लगाये. वहीं 16 से 24 माह के दौरान शिशु को डीपीटी बुस्टर, पोलियो बुस्टर, मीजल्स, जापानी इंसेफोलाइटिस व विटामिन एक का टीका आवश्यक रूप से लगवाये.
करजाइन . एक तरफ सरकार समाज के हर व्यक्ति को पानी, बिजली, सड़क, स्वास्थ्य सेवा आदि उपलब्ध कराने के लिए कई तरह के योजना चला रही है. लेकिन इधर राघोपुर प्रखंड क्षेत्र के करजाइन बाजार स्थित राजकीय अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र एक ड्रेसर के सहारे संचालित है. मालूम हो कि सात वर्ष पूर्व विभाग द्वारा इस अस्पताल में चिकित्सक, कंपाउंडर ,ड्रेसर, नर्स, चतुर्थवर्गीय कर्मी पदस्थापित कराया था. जहां इस क्षेत्र के लोगो सहित दूर दराज के मरीज इस अस्पताल में इलाज कराने पहुंचते थे. लेकिन स्वास्थ्य विभाग की मनमानी रवैये के चलते इस अस्पताल में चिकित्सक, कंपाउंडर, नर्स एवं चतुर्थवर्गीय कर्मी का पद खाली पड़ा हुआ है. जिसके चलते इस क्षेत्र के लगभग हजारों लोग स्वास्थ्य सेवा से वंचित हो गए हैं.
तय करनी पड़ती है अधिक दूरी
गौरतलब हो कि अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र में व्याप्त कुव्यवस्था के कारण मरीजों को 12 किलोमीटर की दूरी नापने की विवशता बनी हुई हैं. चिकित्सालय में चिकित्सक व कर्मियों का पदस्थापन नहीं कराये जाने के कारण क्षेत्रवासियों के लिए अस्पताल भवन शोभा की वस्तु बन कर रह गई है. साथ ही इस क्षेत्र के मरीजों को उपचार के लिए यहां से 12 किलोमीटर दूरी पर संचालित सिमराही रेफरल अस्पताल जाना पड़ता है. करजाइन बाजार निवासी एवं अस्पताल के भुदाता नारायण प्रसाद शारदा, गोपाल कृष्ण शारदा एवं स्थानीय विक्रम सिंह, डॉक्टर रमेश प्रसाद यादव, मुखिया पूनम पासवान, लाजवंती रूपम, जूली कुमारी मेहता, बैदेही देवी, सुबोध कुमार मेहता, संजय वनर्जी, कैलास कुमार, तारा वनर्जी, झामु साह, अनिल कुमार स्वर्णकार आदि लोगों ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों द्वारा इस अस्पताल में चिकित्सक एवं अन्य कर्मियों को पदस्थापित नहीं किये जाने पर खेद व्यक्त करते हुए स्वास्थ्य मंत्री, क्षेत्रीय विधायक एवं जिला पदाधिकारी से आग्रह किया है कि राजकीय अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र में अविलंब चिकित्सकों एवं स्वास्थकर्मियों का पदस्थापन करायी जाय. जिससे इस क्षेत्र के आम लोगों को चिकित्सा सुविधा मुहैया हो सके. साथ ही उनलोगों ने यह भी कहा कि अगर शीघ्र हमलोगों की मांग को नहीं माना गया तो यहां के लोग जन आंदोलन करने पर उतारू होंगे.