अफसोस धौंस जमाने के लिए करते हैं अंगरक्षक का इस्तेमाल
महिला जनप्रतिनिधियों के ऐसे करीबी संबंधी न सिर्फ उनके पद का दुरुपयोग करते हैं, बल्कि महिलाओं को मिलने वाले विशेषाधिकार का भी अपने निजी स्वार्थ में उपयोग करने से बाज नहीं आते हैं.
सुपौल : सरकार द्वारा महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देकर पंचायती राज की कमान सौंपी गयी थी. इसके पीछे सरकार की मंशा यह थी कि आधी आबादी देश व राज्य की प्रगति में पुरुषों के साथ बराबर रूप से भागीदार बन सके, लेकिन त्रिस्तरीय पंचायत निर्वाचन में उन्हें इस बाबत वाजिब कानूनी हक मिलने के बावजूद हकीकत इससे दूर है. आज भी अधिकांश महिला जनप्रतिनिधियों के हक व अधिकार पर किसी न किसी बहाने उनके निकटतम संबंधी पुरुष ही कब्जा जमाये हुए हैं.
हिला जनप्रतिनिधियों के ऐसे करीबी संबंधी न सिर्फ उनके पद का दुरुपयोग करते हैं, बल्कि महिलाओं को मिलने वाले विशेषाधिकार का भी अपने निजी स्वार्थ में उपयोग करने से बाज नहीं आते हैं और तो और ऐसे पुरुष संबंधी महिलाओं के पद का इस्तेमाल कर लोगों पर धौंस भी जमाते हैं. ऐसा ही एक मामला बुधवार को सदर अस्पताल में देखने को मिला, जब जिला परिषद की अध्यक्ष मंजू देवी का भाई बबन सिंह उनका प्रतिनिधि बन कर सदर अस्पताल पहुंचे थे.
इस दौरान श्री सिंह के साथ जिला परिषद अध्यक्ष के लिए आवंटित बॉडीगार्ड सहित अन्य कुछ सहयोगी भी मौजूद थे. गनधारी बॉडीगार्ड को साथ लेकर चलने की वजह से सदर अस्पताल में मौजूद लोगों पर श्री सिंह काफी रौब भी जमा रहे थे. बॉडीगार्ड राकेश कुमार से जब मीडिया कर्मियों ने बात किया तो पता चला कि वह जिप अध्यक्ष मंजू देवी का बॉडीगार्ड है. पुलिस लाइन से 24 नवंबर को कमान देकर उसे जिप अध्यक्ष की सुरक्षा की जवाबदेही सौंपी गयी है, लेकिन एक सप्ताह बीत जाने के बाद भी उसकी मुलाकात जिप अध्यक्ष से नहीं हुई है. अंगरक्षक राकेश कुमार ने बताया कि जिप अध्यक्ष के भाई द्वारा उसे अपने साथ ही रखा जा रहा है.
इस बाबत पूछने पर जिप अध्यक्ष के भाई बबन सिंह ने बताया कि उसके जान को खतरा है और सुपौल पुलिस उनके सुरक्षा के प्रति गंभीर नहीं है. इसी वजह से वे अपनी बहन जिप अध्यक्ष के अंगरक्षक को अपने साथ ले कर चलते हैं. हालांकि जब उनसे यह पूछा गया कि अंगरक्षक आपके साथ है तो फिर जिप अध्यक्ष की सुरक्षा किसके भरोसे है, इस सवाल को वे टाल गये.
बॉडीगार्ड के साथ सदर अस्पताल में घूम रहा जिप अध्यक्ष का भाई.
इस तरह का कार्य जनप्रतिनिधि के रिश्तेदार कर रहे हैं. यह पुलिस कर्मियों के मान सम्मान के साथ-साथ विभागीय निर्देश की अवहेलना भी है. अगर किसी रिश्तेदार के साथ अंगरक्षक किसी घटना, दुर्घटना का शिकार होता है, तो विभागीय स्तर पर छानबीन प्रारंभ की जाती है. उस समय सभी अपना पल्ला झाड़ लेते हैं. इस मामले को लेकर पुलिस के वरीय अधिकारियों से लिखित शिकायत की जायेगी और संघ को प्रदेश स्तर पर सूचना देकर उचित कदम उठाने का अनुरोध किया जायेगा.
उदल पासवान, अध्यक्ष बिहार पुलिस मेंस एसोसिएशन सुपौल