अब करोड़ों का है कारोबार
खुलासा. मजदूरी से जगरनाथ ने की थी शुरुआत देश में नोटबंदी के बाद से आयकर विभाग हर लेनदेन पर निगरानी रख रहा है. इसी क्रम में सुपौल का पान मसाला व्यवसायी जगरनाथ चौधरी भी मंगलवार को आयकर की गिरफ्त में आ गया. पान मसाला व्यवसायी के खाते में दो करोड़ का हिसाब-किताब नहीं मिला. सुपौल […]
खुलासा. मजदूरी से जगरनाथ ने की थी शुरुआत
देश में नोटबंदी के बाद से आयकर विभाग हर लेनदेन पर निगरानी रख रहा है. इसी क्रम में सुपौल का पान मसाला व्यवसायी जगरनाथ चौधरी भी मंगलवार को आयकर की गिरफ्त में आ गया. पान मसाला व्यवसायी के खाते में दो करोड़ का हिसाब-किताब नहीं मिला.
सुपौल : खाते की तहकीकात करने मंगलवार को भागलपुर से सुपौल पहुंची आयकर टीम को रजनीगंधा पान मसाला व्यवसायी के खाते में दो करोड़ का हिसाब-किताब नहीं मिला. इसके साथ ही अन्य थोक व खुदरा विक्रेताओं के होश उड़ गये थे. कई दुकानदार प्रतिष्ठानों को समय से पूर्व बंद कर निकल पड़े. रजनीगंधा पान मसाला के थोक विक्रेता जगरनाथ चौधरी काफी समय से व्यवसाय से जुड़े रहे हैं. पान मसाला का कारोबार वर्तमान परिप्रेक्ष्य में व्यवसाय की दृष्टि से जिले में सबसे अधिक संवर्धन प्राप्त करने का माध्यम है. पान मसाला के इस कारोबार में भी जगरनाथ चौधरी का विशेष स्थान है.
जिले के शीर्ष चार पान मसाला कारोबारियों में शुमार जगरनाथ चौधरी की कहानी भी किसी लॉटरी से कम नहीं है. कल तक मामा के घर नौकरी करने वाला जगरनाथ आज सबसे बड़ा एजेंसी धारक है. वहीं जिस मामा ने उसे सुपौल की धरती पर पांव रखने का जुगाड़ उपलब्ध कराया, उनकी स्थिति आज जगरनाथ के आगे कुछ भी नहीं है. जगरनाथ की एजेंसी से ही उसके मामा बुच्चु चौधरी की होलसेल दुकान में अधिकतर प्रोडक्ट आते हैं. लेकिन दोनों के बीच संबंध के मामले में अब गहरी खाई बन चुकी है. खाई बनना इसलिए भी लाजिमी है कि मामा को अब जगरनाथ अन्य व्यवसायियों से भी कम ही तरजीह देता है.
दुकानदार को हार्ट अटैक, भरती: आयकर अधिकारियों द्वारा पूछताछ के दौरान जगरनाथ को हार्ट अटैक हुआ. तत्काल ही श्री चौधरी को सदर अस्पताल में भरती कराया गया. जहां उनका इलाज चल रहा है.
मेरठ के मजदूर को बुच्चु ने लाया था सुपौल : बात करीब 30 वर्ष पुरानी है, जब मेरठ में मजदूरी करने वाले एक नौजवान को बुच्चु चौधरी ने सुपौल लाया था. वह नौजवान रिश्ते में उसका भांजा जगरनाथ चौधरी ही था. तब बुच्चु चौधरी के बच्चे काफी छोटे थे और जगरनाथ का घर में भी विशेष मान हुआ करता था. महावीर चौक पर स्थित बुच्चु चौधरी की पान मसाला के दुकान का काउंटर अधिकतर जगरनाथ ही संभालता था. वह वार्ड नंबर 12 में किराये की मकान में रहता था.
लेकिन दाना-पानी बुच्चु चौधरी के घर ही चलता था. जगरनाथ ने बुच्चु चौधरी की दुकान पर करीब आठ से दस वर्षों तक नौकरी की. लेकिन अचानक करीब 20 वर्ष पूर्व वह अलग हो गया और उसने अपना अलग धंधा भी शुरू कर दिया. इसके बाद जगरनाथ ने कभी पलट कर नहीं देखा. इधर बुच्चु चौधरी की आर्थिक स्थिति दिनों-दिन गिरावट होती चली गयी. करीब पांच वर्ष पूर्व जब महावीर चौक पर प्रशासन का अतिक्रमण के विरुद्ध डंडा चला तो उसने बुच्चुकी कमर ही तोड़ दी. लेकिन जगरनाथ था कि उसने मामा को अपनी ही एजेंसी से दिया हुआ माल तक वापस लेने से इनकार कर दिया.
मंगलवार को आयकर विभाग भागलपुर के अन्वेषण एवं निगरानी निदेशक शिवशंकर यादव के नेतृत्व तथा सहरसा आयकर अधिकारी वार्ड तीन (पांच) उमेश प्रसाद व वार्ड तीन (चार) बुधन राम की मौजूदगी में पांच सदस्यीय टीम जांच के लिए जगरनाथ चौधरी के व्यावसायिक प्रतिष्ठान पहुंची थी. बताया गया कि 11 या 12 नवंबर को जगरनाथ चौधरी के बैंक खाता में एक मुश्त एक करोड़ 94 लाख रुपये के पुराने करेंसी नोट जमा हुए. इसके बाद से आयकर विभाग लगातार खाता के हर लेनदेन पर निगरानी रख रही थी. आठ नवंबर को नोटबंदी के बाद से खाते में लगातार रुपये का लेनदेन होता रहा.
मंगलवार को जांच के लिए पहुंची आयकर टीम ने जगरनाथ चौधरी से उनके प्रतिष्ठान का बैलेंस सीट प्राप्त किया. लेकिन समस्या यह है कि श्री चौधरी अभी भी दो करोड़ रुपये का हिसाब आयकर विभाग को उपलब्ध नहीं करा पा रहे हैं. आयकर अधिकारियों ने बताया कि फिलहाल केवल खाता के लेनदेन संबंधी मामलों की जांच की गयी है. जिसमें दो करोड़ रुपये का हिसाब व्यवसायी द्वारा उपलब्ध नहीं कराया जा सका है. ऐसे में संभव है कि अगर शीघ्र ही संबंधित दस्तावेज आयकर विभाग को उपलब्ध नहीं कराये गये तो विभाग के जांच का दायरा बढ़ सकता है
अलग हुआ तो धंधा फैलाया, बसा लिया अपना घर
बुच्चु चौधरी से अलग होने के बाद जगरनाथ चौधरी ने भी पान मसाला का धंधा ही शुरू किया. धंधा कुछ इस कदर चला कि देखते ही देखते उसके पास कई ब्रांडेड कंपनियों के एजेंसी हो गये. उसने ना सिर्फ अपना धंधा फैलाया, बल्कि दो वर्षों के अंदर ही वार्ड नंबर 12 में ही अपनी जमीन खरीदी और पक्का मकान बना लिया.
वार्ड नंबर 12 में जहां वह किराये के मकान में रहता था, उसके समीप ही राम प्रसाद चौधरी से करीब तीन कट्ठा जमीन की खरीद की गयी. वही मकान बनाने की रफ्तार भी काफी तेज थी. हालांकि तब भी लोग आश्चर्य में थे और अब भी जब मंगलवार को आयकर विभाग की टीम जगरनाथ चौधरी के व्यवसायिक प्रतिष्ठान व घर पर संपत्ति जांच के लिये पहुंची, तब भी चर्चा इसी बात की है कि आखिर इतने कम दिनों में जगरनाथ ने इतनी संपत्ति कहां से जुटायी.
घटना के बाद छोड़ देता था राज्य