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विभागीय उदासीनता के कारण किसानों को नहीं मिल रहा लाभ

सुपौल : जिले की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार कृषि को ही माना जाता रहा है. फसल के लिए उपयुक्त मिट्टी पाये जाने के कारण रैयत व किसान फसल पैदा कर स्वयं व परिवार का भरण पोषण करते रहे हैं. सरकार द्वारा किसानों को फसलों का समुचित कीमत उपलब्ध हो सके. इसे लेकर पंचायत स्तर पर […]

सुपौल : जिले की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार कृषि को ही माना जाता रहा है. फसल के लिए उपयुक्त मिट्टी पाये जाने के कारण रैयत व किसान फसल पैदा कर स्वयं व परिवार का भरण पोषण करते रहे हैं. सरकार द्वारा किसानों को फसलों का समुचित कीमत उपलब्ध हो सके. इसे लेकर पंचायत स्तर पर फसलों का क्रय केंद्र खोला गया. साथ ही इसके पर्यवेक्षण को लेकर प्रखंड से जिला स्तर तक कार्यालय का संचालन कर पदाधिकारी व कर्मियों को तैनात किया किया.

ताकि फसल बेचने वाले किसानों को बेहतर लाभ उपलब्ध करायी जा सके. लेकिन विभागीय शिथिलता के कारण किसानों को उगाये गये फसलों का समुचित लाभ नहीं मिल पा रहा है. ज्ञात हो कि यहां के किसानों द्वारा रबी, खरीफ व जायद फसलों की खेती की जाती है. जहां किसान एक फसल उगाने के बाद उक्त फसल को बेच कर अगले फसल उगाने का कार्य करते रहे हैं. ऐसे में विभाग द्वारा ससमय फसल का क्रय नहीं किये जाने के कारण किसानों को औने- पौने भाव में बिचौलिये के हाथों धान बेचने पर विवश होना पड़ रहा है.

लक्ष्य 16 लाख क्विंटल का खरीदारी हुई 33 हजार 254 क्विंटल : विभागीय आंकड़ों के मुताबिक जिले भर से वित्तीय वर्ष 2016-17 में रैयत व गैर रैयत किसानों से कुल 16 लाख क्विंटल धान क्रय किये जाने का लक्ष्य रखा गया है. लक्ष्य के बावत दिसंबर माह के अंतिम तिथि तक महज 33 हजार क्विंटल धान का ही क्रय किया गया है. जानकारों की माने तो धान अधिप्राप्ति को लेकर विभाग द्वारा फसलों की कटाई प्रारंभ होने के बाद की जाती रही है. जबकि विभाग को फसल की कटाई से एक माह पूर्व ही व्यवस्था को सुदृढ़ कराया जाना चाहिए. ताकि किसान फसल तैयार होने के साथ ही क्रय केंद्र को अपनी फसल जमा दे सके. बताया कि विभाग द्वारा धान में अत्यधिक नमी होने की बात कही जाती है. लेकिन विभाग द्वारा अत्यधिक नमी व सामान्य नमी का भी दर निर्धारित करना चाहिए. ऐसी प्रक्रिया लागू किये जाने से जहां किसानों को समुचित तरीके से फसल का लाभ मिलेगा. वहीं किसानों को अगला फसल उगाने में परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा. साथ ही नमी का हवाला देकर बंद पड़े क्रय केंद्र पर भी ससमय धान की अधिप्राप्ति होगी.
धान खरीद का प्रखंडवार आंकड़ा
प्रखंड केंद्र संख्या केंद्रों पर क्रय हो रहा अब तक हुई खरीदारी
बसंतपुर 04 04 5141 क्विंटल
छातापुर 17 11 4694
किसनपुर 09 07 3200
मरौना 03 03 700
निर्मली 06 01 450
पिपरा 13 09 3193
प्रतापगंज 07 05 1565
राघोपुर 17 12 5074
सरायगढ़ 12 03 1117
सुपौल 19 12 4396
त्रिवेणीगंज 20 17 3724
कुल 127 84 33254
व्यवस्था दुरुस्त नहीं रहने का खामियाजा भुगत रहे किसान
आर्थिक तंगी के कारण औने – पौने भाव में धान बेचने पर विवश हैं किसान
विलंब से धान खरीदारी के कारण अन्य फसल हो रहा प्रभावित
बंद पड़े क्रय केंद्रों को जेनरेट कराये जाने का कार्य कराया जा रहा है. धान में नमी रहने सहित अन्य कारणों से धान अधिप्राप्ति कार्य में परेशानी हो रही है. शीघ्र ही धान अधिप्राप्ति का लक्ष्य पूर्ण करा लिया जायेगा.
पंकज कुमार झा, जिला सहकारिता पदाधिकारी
चिह्नित 127 केंद्र, 84 पर हो रही धान की खरीद
मालूम हो कि जिले भर में कुल 192 पैक्स व व्यापार मंडल संचालित है. विभाग द्वारा धान अधिप्राप्ति का आदेश कुल 127 पैक्स व व्यापार मंडल को दिया गया. जहां फिलवक्त 84 व्यापार मंडल व पैक्स गोदाम पर किसानों का धान लिया जा रहा है. जबकि कतिपय कारणों से 43 केंद्रों पर धान अधिप्राप्ति का कार्य बंद पड़ा है. कई किसानों ने बताया कि वे सभी अब रबी फसल का पटवन करवा रहे हैं. जहां उन लोगों को फसल में दिये जाने वाले पटवन व खाद के लिए राशि की दरकार है. वहीं पैक्स द्वारा धान में नमी अधिक होने तथा मोटा धान होने की बात कही जा रही है. बताया कि इस बार धान केंद्र पर पहुंचाने से पहले संबंधित किसानों का निबंधन कराया जाना अनिवार्य कर दिया गया है. बताया कि निबंधन कराने के लिए कागजात जुटाने में काफी समय गुजारना पड़ रहा है. साथ ही फसल की राशि के लिए कई दिनों का इंतजार करना पड़ेगा. वहीं बैंक शाखाओं में लेनदेन की स्थिति भी सही नहीं है. लेकिन रबी फसल की ससमय सिंचाई व समुचित मात्रा में खाद नहीं दिये जाने पर फसल ही प्रभावित हो जायेगा. बताया कि एक फसल बेचने के चक्कर में उन्हें दोहरा नुकसान झेलना पड़ेगा.

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