सुपौल. वित्तरहित शिक्षा नीति के खिलाफ शिक्षकों और शिक्षकेत्तर कर्मियों का आंदोलन जारी है. वित्तरहित शिक्षा संयुक्त मोर्चा के आह्वान पर शिक्षकों ने आज गुरुवार को 9वें दिन भी मूल्यांकन कार्य का बहिष्कार किया. सुपौल जिला मुख्यालय स्थित भारत सेवक समाज महाविद्यालय परिसर में वित्तरहित शिक्षकों और शिक्षकेत्तर कर्मचारियों ने धरना दिया और नारेबाजी की. शाम में मोर्चा द्वारा मशाल जुलूस भी निकाला गया. धरना और मशाल जुलूस में जिले के विभन्न वित्तरिहत कॉलेजों के शिक्षकों और शिक्षकेत्तर कर्मचारी शामिल थे.
शिक्षक संघ के नेता और बिहपुर आदर्श महाविद्वालय के प्राचार्य अजय कुमार घोष ने कहा कि देश में बिहार अकेला ऐसा राज्य है, जहां वित्तरिहत शिक्षा नीति लागू है. 1982 से राज्य में ऐसे कॉलेज चल रहे हैं, जहां के शिक्षकों और कर्मचारियों का वित्तीय भार सरकार नहीं उठा रही है. ऐसे में न केवल राज्य में शिक्षा के मूल्याें में हृास हुआ है, बल्कि हमारी तीन-तीन पीढ़ियां इससे प्रभावित हुई हैं.
ललित नारायण विज्ञान इंटर महाविद्वालय के शिक्षक भागवत प्रसाद यादव ने कहा कि साढ़े तीन दशक से हम अपने अधिकार के लिए लड़ रहे हैं. कई बार हमने आंदोलन किया और सरकार से वित्तरिहत नीति वापस लेने की मांग की. सरकार से आंशिक रूप से आश्वासन भी मिला, मगर कोई नजीता अब तक नहीं मिला. हम भूखे पेट शिक्षादान कर रहे हैं, मगर सरकार को हमारी चिंता नहीं है. आज सरकार हमारी बात सुनने तक को तैयार नहीं है. जब तक हमारी मांग पूरी नहीं होगी, हम अपना आंदोलन जारी रखेंगे.
शिक्षकों की मांग है कि उनके लिए भी सरकार सेवा नियमावली बनाये, समान काम-समान वेतन का नियम लागू करे, उसका सेवा सामंजन हो, महाविद्यालयों का अधिग्रहण करे, शिक्षकों की सेवा निवृत्ति की आयु सीमा 60 से बढ़ा कर 65 वर्ष की जाये.