तटबंध के भीतर की शिक्षा व्यवस्था बदहाल

मवि चंदैल मरीचा की स्थिति ऐसी है कि सरकारी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर पानी फिर रहा है. सुपौल : असतो मां सद्गमय तमसो मां ज्योतिर्गमय, मृत्योर्मामृतंगमय का तात्पर्य सत्य से असत्य की ओर, अंधकार से प्रकाश की ओर, मृत्यु से अमरत्व की ओर ले जाना है. साथ ही शिक्षा का भी यही लक्ष्य है. लेकिन जब […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 15, 2017 8:58 AM
मवि चंदैल मरीचा की स्थिति ऐसी है कि सरकारी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर पानी फिर रहा है.
सुपौल : असतो मां सद्गमय तमसो मां ज्योतिर्गमय, मृत्योर्मामृतंगमय का तात्पर्य सत्य से असत्य की ओर, अंधकार से प्रकाश की ओर, मृत्यु से अमरत्व की ओर ले जाना है. साथ ही शिक्षा का भी यही लक्ष्य है. लेकिन जब विद्यालय प्रबंधन ही इस तथ्य को आत्मसात न करे, तो शिक्षा व्यवस्था पर गहरा आघात पहुंचता है. कुछ ऐसी ही स्थिति जिले के तटबंध के भीतर संचालित अधिकांश विद्यालयों की बनी हुई है. आलम यह है कि सरकार व विभाग की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा विद्यालय प्रबंधन की उदासीनता का भेंट चढ़ा हुआ है. वहीं बच्चों के लिए संचालित एमडीएम योजना का लाभ मीनू अनुरूप उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है.
प्राचार्य के मुताबिक बनता है एमडीएम
गौरतलब हो कि बुधवार को सदर प्रखंड के मरीचा गांव स्थित संचालित मध्य विद्यालय चंदैल मरीचा, प्राथमिक विद्यालय चंदैल मरीचा व कन्या प्राथमिक विद्यालय मरीचा की स्थिति काफी बदहाल थी. उक्त विद्यालयों की स्थिति ऐसी थी कि सरकारी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर पानी फिर रहा था. मध्य विद्यालय चंदैल मरीचा के प्रधान जय प्रकाश मंडल से इस बाबत जानकारी ली गयी तो उन्होंने बताया कि विद्यालय में चार शिक्षक पदस्थापित है.
जिनमे दो शिक्षक अवकाश पर हैं. कक्षा छह में अब तक एक भी नामांकन नहीं हुआ है. कक्षा सात में 75 छात्र-छात्राएं नामांकित है. जबकि कक्षा का उपस्थिति पंजी वे घर पर ही भूल गये. जिस कारण उन्हें मालूम नहीं है कि उक्त कक्षा में कितने छात्रों का नामांकन है. वहीं विद्यालय में बुधवार को महज 35 बच्चों की उपस्थिति देखी गयी. विद्यालय की स्थिति के बाबत कईग्रामीणों ने बताया कि विद्यालय प्रधान के मनमरजी अनुरुप ही बच्चों को एमडीएम परोसा जाता है.
बताया कि एमडीएम में गुणवत्ता व साफ सफाई नहीं रहने के कारण अधिकांश बच्चे भोजन करने से कतराते हैं. साथ ही पठन पाठन की व्यवस्था सुदृढ नहीं रहने के कारण विद्यालय जाने से भी कतराते हैं. वहीं उक्त विद्यालय के समीप संचालित प्राथमिक विद्यालय चंदैल मरीचा की स्थिति काफी अजीबोगरीब दिखा. मालूम हो कि उक्त विद्यालय में सात शिक्षक पदस्थापित है.
लेकिन 10:30 विद्यालय में एक भी बच्चे उपस्थित नहीं थे. साथ ही बुधवार को बच्चों को मीनू अनुरुप भोजन भी नहीं परोसा गया. यहां तक कि छात्रोपस्थिति पंजी पर गत तीन अप्रैल के बाद से बच्चों की उपस्थिति भी दर्ज नहीं की गयी थी. विद्यालय प्रधान कन्हैया कुमार ने पूछने पर बताया कि बच्चों को अभी- अभी खाना खिलाया गया है. जबकि ग्रामीणों ने बताया कि कई विद्यालय शिक्षकों की कमी जूझ रहा है. वहीं कन्या मध्य विद्यालय मरीचा की स्थिति कमोवेश इसी तरीके की दिखी. उक्त विद्यालय में कुल 116 बच्चे नामांकित है. जहां बुधवार को महज 48 बच्चों की ही उपस्थिति देखी गयी. जबकि विद्यालय प्रधान द्वारा एमडीएम पंजी पर औसतन 80 बच्चों की उपस्थिति दर्शाया जा रहा है.
विद्यालय की स्थिति बदतर होने का एक कारण विभागीय उदासीनता भी माना जा रहा है. जानकारों ने सरकार द्वारा बच्चों के लिए संचालित योजना में विभाग व विद्यालय प्रधान की मिलीभगत बताया. कहा कि विभाग यदि सख्त हो जाये तो विद्यालय प्रबंधन की मरमरजी पर विराम लग सकता है. बताया कि कोई भी मामला का जब सार्वजनिक होने की स्थिति पनपती है, तो विभाग द्वारा स्पष्टीकरण का आदेश जारी किया जाता है. लेकिन स्पष्टीकरण के बाद की स्थिति की जानकारी की भनक संबंधित पदाधिकारी व शिक्षकों के अलावे किसी को नहीं होता है.

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