खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं पीड़ित

परेशानी. 36 घंटे गुजरने के बाद भी अग्निपीड़ित परिवारों को मुआवजे की राशि नसीब नहीं छातापुर : मुख्यालय स्थित पेट्रोल पंप के समीप बीते गुरुवार को भीषण अगलगी की घटना के शिकार अग्नि पीड़ित खुले आसमां के नीचे रहने को मजबूर हैं. जबकि घटना के 36 घंटे गुजरने के बाद भी पीड़ित परिवारों को सरकारी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 29, 2017 1:46 AM

परेशानी. 36 घंटे गुजरने के बाद भी अग्निपीड़ित परिवारों को मुआवजे की राशि नसीब नहीं

छातापुर : मुख्यालय स्थित पेट्रोल पंप के समीप बीते गुरुवार को भीषण अगलगी की घटना के शिकार अग्नि पीड़ित खुले आसमां के नीचे रहने को मजबूर हैं. जबकि घटना के 36 घंटे गुजरने के बाद भी पीड़ित परिवारों को सरकारी स्तर से मिलने वाली मुआवजे की राशि नसीब नहीं हो पाया है. नतीजतन अग्निकांड में अपना सब कुछ गंवाने वाले परिवारों की नजरे सरकारी मुलाजिमों की तरफ है. मालूम हो कि इस घटना में चार महादलित परिवार के नौ घर सहित घर में रखा सारा समान जलकर नष्ट हो गया.
हालांकि घटना के दिन व शुक्रवार को अंचल निरीक्षक नवीन कुमार सिंह घटना स्थल पर क्षति का आकलन करने जरूर पहुंचे थे. लेकिन अग्नि पीड़ितों को तत्काल कुछ भी नहीं दिया गया था. इस बाबत अंचल निरीक्षक श्री सिंह से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि सभी पीड़ित परिवार सरकारी जमीन में अवैध रूप से घर बना कर रहते थे.
चार में दो परिवार मसोमात उमदा देवी एवं सुरेश राम छातापुर पंचायत के मूल निवासी हैं. जिन्हें तत्काल सहायता दी जायेगी. जबकि दो अन्य परिवार यहां के मूल निवासी नहीं हैं, जिन्हें मुआवजा मुहैया कराने के लिए वरीय अधिकारियों से दिशा निर्देश मांगा गया है. इधर उजरे आशियाने के राख में तिनका ढूंढती पीड़िता मसोमात उमदा देवी व मंजू देवी ने बताया कि एक-एक पैसा जोड़ कर आशियाना बनाया था. जो मिनटों में खाक हो गया. अब स्थिति यह है कि एक दिन का भी खाना खर्चा नहीं है. घर नहीं रहने के कारण खुले आसमां के नीचे चिलचिलाती धूप में रहने को मजबूर हैं. बदन पर जो कपड़ा है उसके अलावा उनलोगों के पास कुछ भी नहीं बचा है. अब समझ में नहीं आता कि हमलोग क्या करें.

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