अब तक नहीं हुई कोई कार्रवाई

दवा घोटाला . लाखों की एक्सपायरी दवा मामले में आयुक्त का आदेश बेअसर दवा घोटाले के मामले में अब तक कोई कार्रवाई नहीं होने की चर्चा शहर में जोरों पर है. सीएस कार्यालय के शौचालय की टंकी से लाखों की एक्सपायरी दवा मिली थी. सुपौल : करोड़ों रुपये के दवा घोटाले के मामले में अब […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 9, 2017 2:48 AM

दवा घोटाला . लाखों की एक्सपायरी दवा मामले में आयुक्त का आदेश बेअसर

दवा घोटाले के मामले में अब तक कोई कार्रवाई नहीं होने की चर्चा शहर में जोरों पर है. सीएस कार्यालय के शौचालय की टंकी से लाखों की एक्सपायरी दवा मिली थी.
सुपौल : करोड़ों रुपये के दवा घोटाले के मामले में अब तक कोई कार्रवाई नहीं होने की चर्चा शहर में जोरों पर है. मामला वित्तीय वर्ष 2015-16 का है. जिसमें सिविल सर्जन कार्यालय सुपौल पर दवा की खरीदारी में अनियमितता बरतने का आरोप लगा था. जिसमें सीएस कार्यालय के शौचालय की टंकी से लाखों की एक्सपायरी दवा मिली थी. दवा खरीदारी में बरती गयी अनियमितता के मामले में आयुक्त कोसी प्रमंडल सहरसा द्वारा स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव को भेजे पत्र से स्पष्ट होता है
कि दवा खरीदारी में सीएस कार्यालय की भूमिका संदेहास्पद है. इस मामले में आयुक्त ने प्रधान सचिव को पत्र लिख कर असैनिक शल्य चिकित्सक-सह-मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी सुपौल के विरुद्ध आवश्यक कार्रवाई की अनुशंसा की गयी थी. दिसंबर 2016 में आयुक्त द्वारा प्रधान सचिव को लिखे गये पत्र के आलोक विभाग द्वारा अब तक कोई कार्रवाई नहीं किये जाने से नाराज राजद अल्पसंख्यक सेल के अध्यक्ष समसूल कमर सिद्दीकी ने स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव को पत्र लिख कर कानून संवत कार्रवाई की मांग की है.
क्या है पूरा मामला : करोड़ों रुपये मूल्य के दवा घोटाले को लेकर सुपौल के पूर्व सिविल सर्जन डॉ उमाशंकर मधूप, वर्तमान सिविल सर्जन डॉ रामेश्वर साफी समेत सिविल सर्जन कार्यालय के कर्मी व प्रभारी भंडारपाल पवन कुमार सिंह पर घोटाले का आरोप शिकायत कर्ता शमसूल कमर सिद्दीकी ने लगाया था.
आवेदन में इन सभी अधिकारी व कर्मी पर वित्तीय वर्ष 2014 से लेकर 2016 तक कई किस्तों में की गयी दवा खरीदारी के मामले में करीब साढ़े तीन करोड़ रुपये के घोटाले किये जाने का आरोप लगाया गया था. मामले की जांच के लिए एक जांच टीम गठित की गयी थी. इस दौरान अस्पताल परिसर स्थित शौचालय की टंकी से लाखों रुपये की एक्सपायरी दवा मिली थी. इस मामले में शिकायत कर्ता ने जांच टीम पर जांच को प्रभावित करने का आरोप भी लगाया गया था. शिकायत कर्ता का आरोप था कि जांच के क्रम में क्षेत्रीय स्वास्थ्य उप निदेशक के प्रतिनिधि सह जांच टीम के वरिष्ठ सदस्य डॉ केके झा कहीं नजर नहीं आ रहे थे.
शिकायतकर्ता ने की कार्रवाई की मांग : कोसी प्रमंडल के आयुक्त द्वारा प्रधान सचिव को पत्र लिख कर दवा घोटाले में शामिल के विरुद्ध कार्रवाई की मांग की अनुशंसा किये जाने के बाद भी अब तक कोई कार्रवाई नहीं होने के कारण शिकायत कर्ता मो समसूल कमर सिद्दीकी ने सरकार के प्रधान सचिव स्वास्थ्य विभाग को पत्र लिख कर कार्रवाई की मांग की है. शिकायत कर्ता ने आयुक्त कोसी प्रमंडल के पत्रांक 273/गो दिनांक 30 जुलाई 2016 का हवाला देते कहा है
कि इस मामले में अपर निदेशक स्वास्थ्य सेवा कोसी प्रमंडल सहरसा को सीएस कार्यालय सुपौल में पदस्थापित लिपिक पवन कुमार सिंह व अखिलेश्वर प्रसाद को अन्यत्र स्थानांतरित करने का निर्देश दिया गया था. बावजूद दोनों आरोपित लिपिक का अभी तक ना तो स्थानांतरण किया गया है और न ही उनके ऊपर कार्रवाई की गयी है. श्री सिद्दीकी ने कहा है कि यदि इस मामले में विभाग कोई कार्रवाई नहीं करती है, तो वे मामले को लेकर उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर करेंगे.
आयुक्त ने सीएस पर की थी कार्रवाई की अनुशंसा
सीएस कार्यालय द्वारा दवा खरीदारी में अनियमितता बरते जाने के मामले में आयुक्त कुंवर जंग बहादुर कोसी प्रमंडल सहरसा ने अपने पत्रांक 526 दिनांक 02 दिसंबर 2016 के माध्यम से प्रधान सचिव स्वास्थ्य विभाग को लिखा था कि सीएस कार्यालय में दवाओं की अनियमित क्रय एवं एक्सपायरी दवाओं के क्रय किये जाने के मामले में असैनिक शल्य चिकित्सक सह मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी से कार्यालय के ज्ञापांक 453/गो दिनांक 07 अक्तूबर 2016 के माध्यम से स्पष्टीकरण की मांग की गयी.
पत्र में स्पष्ट किया गया है कि समर्पित स्पष्टीकरण संतोष जनक नहीं है एवं मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी के पद पर रहते हुए इन्होंने दायित्वों का निर्वहन नहीं किया. जिन-जिन बिंदुओं पर स्पष्टीकरण मांगी गयी थी. उसका गोल-मटोल जवाब दिया गया जो स्वीकार नहीं है. अत: इस संबंध में असैनिक शल्य चिकित्सक सह मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी सुपौल के विरुद्ध आवश्यक कार्रवाई की अनुशंसा की जाती है.
इस मामले में कुछ भी बोलने से असमर्थ हैं, सिविल सर्जन ही कार्रवाई के बारे में कुछ भी जानकारी दे सकते हैं.
बैद्यनाथ यादव, जिला अधिकारी सह अध्यक्ष जिला स्वास्थ्य समिति सुपौल
एक्सपायरी दवाओं का अब तक नहीं हुआ है मूल्यांकन
शिकायतकर्ता ने प्रधान सचिव से की कार्रवाई की मांग

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