शराबबंदी के बाद भी महिला अत्याचार में नहीं आयी कमी
सुपौल : जिले में शराबबंदी के बाद महिला उत्पीड़न व घरेलू हिंसा मामले में कोई खास कमी देखने को नहीं मिल रही है. यही कारण है कि दुष्कर्म, दहेज प्रताड़ना, महिला अत्याचार सहित घरेलू हिंसा से संबंधित मामलों में पिछले वर्ष की तुलना में कमी होने की बजाय इजाफा हुआ है. अमूमन देखा गया है […]
सुपौल : जिले में शराबबंदी के बाद महिला उत्पीड़न व घरेलू हिंसा मामले में कोई खास कमी देखने को नहीं मिल रही है. यही कारण है कि दुष्कर्म, दहेज प्रताड़ना, महिला अत्याचार सहित घरेलू हिंसा से संबंधित मामलों में पिछले वर्ष की तुलना में कमी होने की बजाय इजाफा हुआ है. अमूमन देखा गया है कि महिला उत्पीड़न से जुड़े अधिकतर मामले सामाजिक स्तर पर ही सुलझा लिये जाते हैं. यही कारण है कि ज्यादातर मामले सामने नहीं आते. लिहाजा कई मामले थाने तक नहीं पहुंचते.
इसके बावजूद महिला थाने में दर्ज अपराध की संख्या पर गौर करें, तो विगत वर्षों की तुलना में इसमें वृद्धि नजर आ रही है. वैसे बिहार में पूर्ण शराबबंदी के बाद घरेलू हिंसा के मामले में कमी आने के कयास लगाये जा रहे थे, लेकिन जानकार बताते हैं कि महिला उत्पीड़न से जुड़े मामले शराबबंदी में भी परोक्ष रूप से ही सही शराब के कारण ही बढ़े हैं.
शराबबंदी की घोषणा को भी लगभग एक वर्ष बीत गये हैं. इसके बावजूद महिला उत्पीड़न व घरेलू हिंसा के मामले में कमी नहीं होना कहीं न कहीं सोचने पर मजबूर कर रहा है. ऐसा नहीं है कि इन मामलों में आरोपियों पर पुलिस प्रशासन द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की जाती है. बावजूद आंकड़ों में बढ़ोतरी चिंताजनक है.