विकास कुमार, सुपौल. सुंदर व स्वच्छ शहर बनाने को लेकर नगर परिषद द्वारा किये जा रहे प्रयास की सार्थकता दिख रही है. सुपौल शहर पहले से काफी बेहतर और विकसित हुई है, लेकिन यहां के स्थायी व फुटपाथी दुकानदारों के कारनामों से शहर कराह रही है. शहर की सबसे बड़ी समस्या सड़कों पर पसरा अतिक्रमण है. शहर के तकरीबन सभी सड़कों पर फुटपाथी दुकानदारों व ठेला वालों का कब्जा रहता है. आलम यह है कि स्थायी दुकान के आगे पहली पांत फुटपाथी दुकानदार व उनके आगे दूसरी व कई जगहों पर तो तीसरी पांत फल व सब्जी के ठेलों की होती है. नतीजा है कि सड़कों पर वाहनों की बात तो दूर, आमलोगों का चलना भी मुश्किल बना हुआ है. ट्रैफिक पुलिस बनी मूकदर्शक जिला बनने के कई साल बाद शहर में यातायात थाना की स्थापना की गयी. शहर के मुख्य चौराहों पर ट्रैफिक पुलिस की तैनाती रहती है, लेकिन वह भी अतिक्रमण के प्रति मूकदर्शक ही बने रहते हैं. वहीं सड़कों पर गश्ती लगाते पुलिस के अधिकारी भी समस्या के प्रति उदासीन बने रहते हैं. शहर में कहीं पार्किंग की सुविधा उपलब्ध नहीं है. अतिक्रमणकारियों का मनोबल दिन ब दिन बढ़ता जा रहा है. शहर में व्याप्त कुव्यवस्था के लिये प्रशासनिक इच्छा शक्ति की कमी को जिम्मेवार बताया जाता है. दरअसल, प्रशासन की ओर से इस दिशा में कभी कोई ठोस पहल नहीं की गयी. नगर परिषद ने कुछ जगहों पर नो वेंडिंग जोन का बोर्ड लगा रखा है, लेकिन प्रशासन के आदेश को धता बताते अतिक्रमणकारियों के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की जाती. सड़क की घट रही चौड़ाई शहर के महावीर चौक, स्टेशन रोड, थाना रोड, लोहिया नगर, पटेल चौक आदि स्थानों पर सड़कों की चौड़ाई नहीं बढ़ने व अतिक्रमणकारियों के द्वारा रोड पर ही ठेला व दुकान लगाने से अक्सर यहां जाम की समस्या बनी रहती है. वहीं स्टेशन चौक जहां कुछ दूरी तक सरकारी माप के मुताबिक 100 फीट चौड़ी सड़कें हैं, लेकिन इन सड़कों पर व्याप्त अतिक्रमण की वजह से 50 फीट की चौड़ी यह सड़क वर्तमान में महज 20 से 30 फीट नजर आता है. फुटपाथ पर पसरा है अतिक्रमण, शहर की सड़क हो गयी संकीर्ण शहर की कोई ऐसी सड़क नहीं है, जो अतिक्रमित न हों. अतिक्रमण के कारण सड़कें सिकुड़ गयी हैं, इसके फलस्वरूप गाड़ियों के चलने के लिए काफी कम जगह बच गयी है. चाहे वह नगर का मुख्य मार्ग हो या कोई गली हर ओर अतिक्रमण किया गया है. नगर के मुख्य मार्ग पर व्यापारियों ने सड़क के किनारे बनी नालियों को अपने कब्जे में ले लिया है और दुकानों को सड़क तक सजाकर बैठे हैं. वाहनों को आने और जाने के लिए आज भी उतनी जगह मिलती है जितनी पहले मिलती थी. इसका मुख्य कारण दुकानदारों द्वारा किया गया अतिक्रमण है. दुकानदारों द्वारा सामान सड़क किनारे सजा दिया जाता है. दुकान होने के कारण खरीदारी करने पहुंचे लोग भी अपना वाहन दुकान के सामने ही खड़ा कर देते हैं. इस कारण सड़कें संकरी हो जाती है. जिससे वाहन चालकों को आने जाने में परेशानी का सामना करना पड़ता है. इतना ही नहीं कोई इसका विरोध करता है तो दुकानदार उससे झगड़ने को भी तैयार हो जाते हैं. अतिक्रमणकारी के साथ-साथ मकान मालिक भी दोषी भले ही अतिक्रमण हटाने के नाम पर नगर परिषद द्वारा समय-समय पर अतिक्रमण मुक्त करने के उद्देश्य से अभियान चलाया जाता है, लेकिन कुछ समय के बाद ही अतिक्रमणकारियों द्वारा पुन: वहीं स्थिति उत्पन्न कर दी जाती है. अतिक्रमण हटाने के नाम पर अस्थायी दुकानदार ही बली का बकरा बनता है, लेकिन वास्तविकता यह है कि जिनके मकान के आगे अस्थायी दुकानदार से बंधा-बंधाया राशि लेते हैं. बेचारे दुकानदार उन्हें मजबूरी में राशि तो मकान मालिक को देते हैं, लेकिन जब विपत्ति आती है तो राशि लेने वाले चेहरे भी नहीं दिखाते. नगर दूत का सार्थक पहल नगर परिषद द्वारा शहर को अतिक्रमणमुक्त करने को लेकर नगर दूत की तैनाती हर चौक-चौराहे पर की गयी. नगर दूत द्वारा किये जा रहे कार्य की सार्थकता भी देखने को मिल रही है. बावजूद नगर दूत के निकलते ही पुन: दुकान सजने लगती है. इस कारण वाहन चालक तो दूर पैदल यात्रियों को भी भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है अतिक्रमण हटाने को लेकर चलाया जायेगा मुहिम : मुख्य पार्षद सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जब भी फोर्स की मांग की जाती है तो उपलब्ध कराया जाता है. नगर परिषद द्वारा मुहिम चलाकर शहर को अतिक्रमणमुक्त कराया जाता है. बावजूद अतिक्रमण थमने का नाम नहीं ले रहा है. कहा कि पुन: शहर को पूरी तरह से अतिक्रमणमुक्त कराने को लेकर मुहिम चलाया जायेगा. राघवेंद्र झा राघव, मुख्य पार्षद नगर परिषद, सुपौल
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