– भारतीय और बालकों के अदम्य साहस एवं शक्ति का प्रतीक है वीर बाल दिवस त्रिवेणीगंज राष्ट्रीय सेवा योजना प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय इकाई अनूप लाल यादव महाविद्यालय त्रिवेणीगंज के तत्वाधान में गुरुवार को वीर बाल दिवस के अवसर पर महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ जयदेव प्रसाद यादव की अध्यक्षता एवं एनएसएस कार्यक्रम पदाधिकारी सह जिला नोडल पदाधिकारी प्रो विद्यानंद यादव द्वारा जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया. समारोह को संबोधित करते हुए प्राचार्य श्री यादव ने बताया कि गुरु गोविंद सिंह के (पुत्र) साहिबजादे के बलिदानों और उनके साहस को प्रेरक रूप से याद रखने के उद्देश्य से 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस मनाते हैं. कहा कि यह भारतीय इतिहास में भारतीयों और बालकों के अदम्य साहस एवं शक्ति का प्रतीक है. स्वधर्म रक्षा के लिये गुरु गोविंद सिंह जी का पूरा परिवार 20 से 27 दिसंबर 1704 में शहीद हो गये. यह दिन भारत इतिहास में शोक सप्ताह कहा जाता है. यह अमर बलिदानी का इकलौता उदाहरण है. हम सबको उनकी जीवनी से प्रेरणा ग्रहण करनी चाहिए. गुरु गोविंद सिंह जी एवं उनके परिवार सहित चारों साहिबजादों को सदैव नमन कर याद करते हैं. बलिदान के सम्मान में मनाया जाता है वीर बाल दिवस कार्यक्रम पदाधिकारी प्रो विद्यानंद यादव ने बताया कि वीर बाल दिवस खालसा के चार साहबजादों के बलिदान को सम्मान देने के लिए मनाया जाता है. भारतीय इतिहास के वीरों में शुमार महान दार्शनिक, संत, स्वावलंबी, धर्म रक्षक, सिख के 10वें अंतिम गुरु, गुरु गोविंद सिंह का जन्म 22 दिसंबर 1666 को पटना के बिहार में हुआ था. सिख समुदाय के लोगों का धार्मिक उत्पीड़न से रक्षा हेतु 1699 में उन्होंने खालसा पंथ की स्थापना की. जिसका पंच “क ” सिद्धांत केस, कंघा, कृपाण, कड़ा, कछा प्रसिद्ध है. उनके चार पुत्र- साहिबजादे अजीत सिंह, साहिबजादे जुझार सिंह, साहिबजादे जोरावर सिंह, साहिबजादे फतेह सिंह खालसा पंत के हिस्सा थे. साहिबज़ादे जोरावर सिंह जी और फतेह सिंह जी का जन्म आनंदपुर साहिब में हुआ था. हर बच्चे के लिए, हर अधिकार है इस वर्ष का थीम तत्कालीन मुगल शासक औरंगजेब के जुल्म का शिकार होकर मुगल सेना द्वारा 22 दिसंबर 1704 में आनंदपुर साहिब को घेरकर साहिबजादे जोरावर सिंह (9 वर्ष) और साहिबजादे फतेह सिंह (5 वर्ष) को कैद कर लिया गया. उन्हें तरह-तरह की यातनाएं दी गयी. वजीर खान द्वारा उनके समक्ष इस्लाम धर्म कबूल करने के लिए धर्मांतरण का प्रस्ताव रखा गया, जिसे अस्वीकार करने के पश्चात दोनों साहिबजादे को 26 दिसंबर 1704 को ईंट के दीवार में जिंदा चुनवा दिया गया. अजीत सिंह जी और जुझार सिंह जी युद्ध के मैदान में लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए. इसी क्रम में माता गुजरी जी भी गुजर गयी. वीर बालक धर्मांतरण के बजाय मौत को गले लगाये, जो अदम्य साहस का प्रेरणा स्रोत है. वीर बाल दिवस 2024 का थीम ” हर बच्चे के लिए, हर अधिकार ” ( फॉर एवरी चाइल्ड, एवरी राइट) का उद्देश्य सभी बालकों को शिक्षा, भोजन, आवास, स्वच्छता के साथ उनके मौलिक अधिकार को प्राप्त करवाना है. दिखाया गया लाइव प्रसारण कार्यक्रम में भारत मंडपम नयी दिल्ली में आयोजित वीर बाल दिवस उत्सव का लाइव प्रसारण भी देखा गया. कार्यक्रम में आइक्यूएसी कोऑर्डिनेटर प्रो अशोक कुमार, प्रो अरुण कुमार, प्रो शंभू यादव, प्रो कुमारी पूनम, सुरेंद्र कुमार, दिग्दर्शन, रंजन कुमार, करण कुमार कुणाल, मुकेश कुमार, धीरेंद्र कुमार, स्वयंसेवक शिल्पी ज्योति, सरिता कुमारी, अश्वी कुमारी, चुनचुन कुमारी, आस्था कुमारी, श्रेया भारती, अनुप्रिया कुमारी, निभा कुमारी, आरती कुमारी, खुशबू कुमारी, प्रियांशु कुमारी, अंजली कुमारी, चंचल कुमारी, राजनंदनी, माला कुमारी, मुन्नी कुमारी, खुशबू कुमारी, रानी कुमारी, रंजीत, अभिजीत, अजय, कन्हैया तथा अन्य उपस्थित थे.
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