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आवंटन के अभाव में डेढ़ वर्ष से प्रयोगशाला में बम्बू के पौधे का उत्पादन है बंद

प्रयोगशाला में बम्बू के पौधे का उत्पादन है बंद

By Prabhat Khabar News Desk | September 12, 2024 9:23 PM

बीएसएस कॉलेज में 01 अगस्त 2018 को बनाया गया था टीश्यू कल्चर लैब

एक लाख पौधे का किया गया वितरण

सुपौल

बीएसएस कॉलेज में 2 करोड़ 10 लाख की लागत से बना टीश्यू कल्चर लैब आवंटन के अभाव में जवानी की दहलीज पर कदम रखने से पहले ही दम तोड़ने लगा है. 01 अगस्त 2018 में तत्कालीन उपमुख्यमंत्री द्वारा बीएसएस कॉलेज परिसर में टीश्यू कल्चर लैब भागलपुर के टीएनवी कॉलेज में बने लैब से करीब डेढ़ गुणा बड़ा बनाया गया. जहां उन्नत किस्म के बांस के पौधे प्रयोगशाला में तैयार किये जाते थे. लेकिन मार्च, 2023 के बाद आवंटन नहीं मिलने के चलते प्रयोगशाला में काम करने वाले कर्मचारियों ने काम छोड़ दिया. जिससे उत्पादन ठप हो चुका है.

लैब में कुल 11 कर्मचारी थे पदस्स्थापित

टीश्यू कल्चर लैब में चार वैज्ञानिक, चार टेक्नीशियन और तीन लैबकर्मियों की टीम थी. लेकिन आवंटन के अभाव में कर्मचारियों को नियमित रूप से मानदेय नहीं मिलने के कारण कर्मचारियों ने काम छोड़ दिया. जिसके चलते बम्बू के पौधे का उत्पादन बंद हो गया है. जो पौधे प्रयोगशाला से निकालकर जमीन में लगाए गए हैं. उनकी देखभाल की जा रही है. ताकि बांस के पौधों का संरक्षण कर उसे वन विभाग को सौंपा जा सके. दरअसल, कोसी प्रमंडल में बड़े पैमाने पर बांस की खेती होती है. जिससे किसानों को अच्छी आमदनी भी होती है. इसी वजह से टीश्यू कल्चर लैब का उद्घाटन भी हुआ था ताकि उन्नत किस्म के बांस के पौधे से किसानों को भी बेहतर लाभ मिल सके, लेकिन सरकार की ओर से लैब के लिए राशि का आवंटन नहीं हो रहा है. लैब में रखे तैयार बम्बू के पौधे भी अब सूखकर बर्बाद हो रहे हैं. जानकारों की मानें तो प्रोजेक्ट के वित्तीय संकट को लेकर राज्य सरकार को कई बार जानकारी दी जा चुकी है, लेकिन अब तक इस दिशा में कोई पहल सरकार की ओर से नहीं की गई है. एक तरफ तो सरकार किसानों के हित की बात करती है. टेक्नॉलॉजी की मदद से बेहतर खेती व्यवस्था के दावे करती है और धरातल पर पैसों के संकट के चलते बना-बनाया लैब धूल फांक रहा है. जरूरत है कि सरकार इसपर ध्यान दें. ताकि जिस उद्देश्य से लैब का उद्घाटन किया गया था वो पूरा हो सके.

एक लाख पौधे का किया गया वितरण : प्राचार्य

कॉलेज के प्राचार्य डॉ संजीव कुमार के साथ चार वैज्ञानिक, चार टेक्नीशियन और तीन लैब काम कर रहा था. सरकार का उद्देश्य था कि प्रयोगशाला में बांस की उन्नत किस्म तैयार कर किसानों तक पहुंचाना. योजना सुचारू रूप से संचालित होने लगी. लगातार इस लैब से छोटे-छोटे पौधे वन विभाग और फिर किसान तक पहुंचने भी लगे. बताया कि अबतक करीब एक लाख पौधे वितरण किया जा चुका है. बताया कि राशि नहीं मिलने के कारण प्रयोगशाला की कर्मी काम को छोड़ कर यहां से चले गए है. इसके चलते फिलहाल प्रयोगशाला में बम्बू के पौधे का उत्पादन बंद है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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