कबीर साहब की वाणी को अपनाकर मानव के सद्मार्ग पर चलने का मार्ग होता है प्रशस्त
मनुष्य मानव जीवन में सनातन संस्कृति को धारण करेंगे
– मानव जीवन को सार्थक बनाने के लिये भक्ति भजन करने की है आवश्यकता – तीन दिवसीय सद्गुरु कबीर विराट सत्संग के दूसरे दिन हुई अमृत वाणी की वर्षा छातापुर मुख्यालय बाजार स्थित मध्य विद्यालय परिसर में आयोजित तीन दिवसीय सद्गुरु कबीर विराट सत्संग के दूसरे दिन रविवार को अमृत वाणी की वर्षा हुई. मंचासीन आचार्य एवं संतों ने सनातन धर्म, नारी शिक्षा व शक्ति, युवा शक्ति, दहेज प्रथा, पारिवारिक समरसता आदि विषयों पर प्रकाश डाला. कहा कि जिस तरह भारतीय परंपरा में सत्यमेव जयते प्रसिद्ध है, वैसे ही वेदों में भी मूलमंत्र सत्यंम परमं धींमहीं वर्णित है. कहा कि जो मनुष्य मानव जीवन में सनातन संस्कृति को धारण करेंगे, उन मनुष्य को त्रेंयताप देहीक देवीक भौतिक कष्ट से छुटकारा मिल जाएगा. मानव रूपी जीवन को सार्थक बनाने हेतु भक्ति भजन करने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि संत के संगत को सत्संग कहा गया है. वैसे महापुरुषों निर्मल साधु संतो-महंथों गुरुजनों का जीवन में कभी कभी सौभाग्य से दर्शन मिलते हैं, जो आज भी मिला है. बताया कि मानवता का पालनहार नारी शक्ति है. नारी से नारायण कि उत्पत्ति हुई है. इसलिए समाज में देवी के साथ भेदभाव उंच नीच का वार्तालाप करने से घर समाज नरकमय हो जाता है. सभी दीक्षा मंत्र एवं उपदेश लेकर सुंदर सभ्य जीवन जिने के लिए दृढ़ संकल्पित हो जाएं. कहा कि मीराबाई ने झुमझुम कर गुरुजी के द्वारा दी गई नाम रत्न धन पायो जी का रसास्वादन किया. वैसे ही भक्ति रस में भीगे सज्जन संतों का अगर संगत मिलें तो जीवन तरण और तारण हो सकता है. कबीर साहब ने लोगों को भक्ति भजन से जुड़ने की बात कहकर सदमार्ग दिखाने का प्रयास किया. समाज के सभी वर्ग के लोगों को मिलकर भक्ति भजन करने के लिए भी प्रेरित किया है. उन्होंने कहा कि कबीर साहब की वाणी प्रासंगिक है. उनके वाणी को अपनाकर मानव को सद्मार्ग पर चलने का मार्ग प्रशस्त होता है और जीवन सफल हो जाता है. उन्होंने कहा कि आज रूपये पैसे और पक्का मकान बनाने की चाहत में लोग भक्ति भजन और बड़ों का आदर करना भूल गए हैं. जन्म देने वाले माता-पिता को दुःख देने वाले को कभी ख़ुशी नहीं मिल सकती है. इसलिए सभी को अपने माता-पिता सहित सभी बड़ों का आदर करना चाहिए. उन्होंने मानव को नशा, चोरी, हेराफेरी, ईर्ष्या, लोभ आदि से बचने की बात कही. संत अयोधी बाबा परसाही, जयदेव स्वरूप साहेब मानगंज ने भी प्रवचन किया. मौके पर आचार्य मनमोहन साहेब नेपाल, शैलेंद्र साहेब जगता, असंग स्वरूप साहेब मधेपुरा, विनम्र स्वरूप साहेब पूर्णियां, आचार्य जयस्वरूप साहेब रानीपतरा पूर्णियां, रामस्वरूप साहेब बेलसारा, डॉ मधुराम साहेब कजहा, महेंद्र साहेब नाथपुर, साध्वी राधा रानी व प्रमिला, चंद्रदेव दास विद्यानगर, योगेंद्र साहेब कोरियापट्टी, रामदेव साहेब परसा तिलाठी, सहदेव साहेब सिमनी घाट, बेदानंद साहेब, रामचंद्र साहेब, उपेंद्र साहेब हसनपुर, रामानंद साहेब प्रतापगंज, रंजीत ब्रहमचारी फत्तेपुर, सीताराम दास, जनार्दन दास डहरिया, बैजनाथ दास छातापुर, घुरन दास, रामपैत दास आदि थे. आयोजन कमेटी के उपेंद्र प्रसाद भगत, हीरालाल साह, बौआ मंडल, पवन कुमार ठाकुर, रामलखन पासवान, भूवन ठाकुर सहित बाजारवासी व्यवस्था को सफल बनाने में तत्पर दिख रहे थे.
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