हरिपुर गांव में चचरी पुल के सहारे आवगमन को विवश हैं लोग
चचरी पुल के सहारे आवगमन को विवश हैं लोग
2017 के विनाशकारी बाढ में ध्वस्त हो गया था सड़क
निर्मलीप्रखंड क्षेत्र के हरियाही पंचायत अंतर्गत हरिपुर गांव को एनएच 57 से जोड़ने वाली मुख्य सड़क 2017 के विनाशकारी बाढ़ में ध्वस्त हो गई थी. जिसकी मरम्मति नहीं होने पर स्थानीय लोगों ने श्रमदान से चचरी पुल का निर्माण कर आवागमन करने पर मजबूर हो गए. हरिपुर गांव की कुल आबादी दो हजार से अधिक बताया जा रहा है. जिसे प्रखंड मुख्यालय तक जाने के लिए कोई सुरक्षित सड़क मार्ग नहीं रहने से लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है. ग्रामीण अभिषेक कुमार, रामखेलावन मंडल, राज नारायण मंडल, मोहन मंडल, रामस्वरूप मंडल, संतोष कुमार, सुरेश कुमार, जयप्रकाश मंडल, सहदेव मंडल, जीवछ मंडल का कहना है कि गांव के लोग प्रखंड मुख्यालय जाने के लिए गांव से पूरब की दिशा में सड़क मार्ग से एनएच 57 पर जाते हैं. उसके बाद मझारी या फिर हरियाही होकर तकरीबन 10 से 15 किलोमीटर की अतिरिक्त दूरी तय करते हुए प्रखंड मुख्यालय पहुंचते हैं. ग्रामीणों ने बताया कि इसी मार्ग में गांव के कुछ ही दूरी पर सड़क टूटी हुई है. जिसका मरम्मत करने को लेकर कई बार अधिकारियों सहित जनप्रतिनिधियों से गुहार लगायी. लेकिन किसी ने इस समस्या की ओर ध्यान नहीं दिया. थक हार कर लोगों ने अपने श्रमदान से चचरी पुल का निर्माण कर तत्काल उस पर आवागमन कर रहे हैं.
तिलयुगा नदी के दक्षिणी तट पर यह गांव बसा हुआ है. हरियाही पंचायत को तिलयुगा नदी दो भागों में बांटती है. नदी के उत्तरी तरफ हरियाही व जरौली गांव एवं दक्षिणी तरफ हरिपुर व इस्लामपुर गांव बसा हुआ है. ग्रामीणों का कहना है कि यहां के जनप्रतिनिधि भी गांव के विकास की ओर कोई ध्यान नहीं देते हैं. आज तक इस दोनों गांव में समुचित सड़क का निर्माण नहीं हुआ है.
2017 के बाढ़ में ध्वस्त हुआ था सड़क
बताया जा रहा है कि हरिपुर को एनएच 57 से जोड़ने वाली मुख्य सड़क मार्ग 2017 के बाढ़ में ध्वस्त हो गया था. बाढ़ के तुरंत बाद टूटे सड़क की मरम्मत कराई गई. लेकिन हरिपुर से पूरब टूटे सड़क का मरम्मत नहीं कराया गया. जिसको लेकर ग्रामीणों ने कई बार शिकायत भी किया. लेकिन इसको अनसुना कर दिया.
गांव तक नहीं पहुंच पाता है चार पहिया वाहन ग्रामीणों ने बताया कि गांव में चार पहिया वाहन का आवागमन नहीं होता है. सड़क मार्ग में चचरी पुल रहने के कारण वाहन को गांव से तकरीबन 500 मीटर की दूरी पर ही खड़ा कर पैदल गांव पर आना पड़ता है. कहा की आपातकालीन स्थिति एवं शादी विवाह में गांव तक चार पहिया वाहन नहीं पहुंचने से लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है. वहीं स्कूली बच्चे भी अपनी जान जोखिम में डालकर चचरी पुल पारकर स्कूल जाने पर मजबूर है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है