मौजहा पंचायत के छह वार्डों के लोगों ने सुरक्षा बांध की मांग को लेकर किया प्रदर्शन, वोट बहिष्कार की दी धमकी
वर्ष 1985 में इस मौजहा गांव को बचाने के ख्याल से सुरक्षा बांध बनायी गयी थी. धीरे-धीरे समय के साथ वर्ष 2004 में पूरी तरह सुरक्षा बांध ध्वस्त हो गयी
किशनपुर. जिला प्रशासन लगातार वोटिंग प्रतिशत बढ़ाने के लिए जगह-जगह कैंप के लाकर मतदाताओं को लोकतंत्र के महापर्व में हिस्सा लेने एवं मताधिकार के प्रयोग के लिए जागरूक कर रही है. जबकि कई इलाकों में विभिन्न समस्या से जूझ रहे आमलोग वोट बहिष्कार का निर्णय लेने में लगे हैं. इसी कड़ी में गुरुवार को प्रखंड क्षेत्र के कोशी तटबंध भी भीतर मौजहा पंचायत के कई वार्डों के सैकड़ों महिला और पुरुष बाढ़ की स्थायी निदान व सुरक्षा बांध की मांग को लेकर प्रदर्शन किया. उन्होंने ने कहा कि पांच साल में सांसद जीत कर जाते हैं. लेकिन उनकी तकलीफ कैसे कम की जाय, इस पर नहीं सोचते हैं. दरअसल मौजहा पंचायत पूर्वी और पश्चिमी तटबंध के भीतर पड़ता है. जहां करीब 05 हजार की आबादी बसी हुई है. यहां के लोग प्रत्येक साल बाढ़ के पानी से परेशान रहते हैं. बाढ़ का पानी उनके घरों में घुस जाने की वजह से उन्हें घर छोड़ कर ऊंचे स्थान पर शरण लेना पडता है. प्रदर्शन में शामिल श्रवण कुमार, पप्पू चौधरी, शंकर शर्मा, अमन कुमार, संजय महतो, सुशील शर्मा, संतोष महतो, अमित महतो, मुरली कुमार, नीतीश कुमार, पिंटू कुमार, नागेश्वर महतो, सोनिया देवी, सीता देवी, मायावती देवी, मंजू देवी, अनीता देवी, पुन्नी देवी, सूखती देवी आदि ने कहा कि गांव में जब बाढ़ का पानी फैलता है तो यहां रहना मुश्किल हो जाता है. केंद्र सरकार और राज्य सरकार बाढ़ की विपदा पर काफी पैसे खर्च करती है. लेकिन उन लोगों ने कई बार अपने पंचायत को बाढ़ से बचाव के लिए सुरक्षा बांध बनाने की मांग की. लेकिन उनकी समस्याओं की ओर किसी का ध्यान नहीं जा रहा है. चुनाव जीतने के बाद जनप्रतिनिधि इलाके में नहीं पहुंचते हैं. मौजहा पंचायत के वार्ड नंबर 03, 04, 05, 06, 07 और 08 के दर्जनों महिला और पुरुष सुरक्षा बांध की मांग कई वर्षों से कर रहे हैं. गुरुवार को उनलोगों ने विरोध प्रदर्शन भी किया और कहा कि सुरक्षा बांध नहीं मिलेगा तो वोट का बहिष्कार करेंगे. मालूम हो कि वर्ष 1985 में इस मौजहा गांव को बचाने के ख्याल से सुरक्षा बांध बनायी गयी थी. धीरे-धीरे समय के साथ वर्ष 2004 में पूरी तरह सुरक्षा बांध ध्वस्त हो गयी. अब 2005 से लोगों द्वारा सुरक्षा मांग कि मांग उठायी जा रही है, बावजूद अब तक बांध नहीं बन सका, जिस कारण गांव में तीन से चार फीट बाढ़ का पानी रहता है.
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