– विभाग के सख्त आदेश के बावजूद एचएम सुधार के प्रति बने हैं लापरवाह – स्कूल में रखे कक्षा दो की किताब का बंडल देख डीइओ ने खुद बच्चों के बीच बंटवाया सुपौल. शिक्षा विभाग के सख्त आदेश के बावजूद जिले के कई स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति कम पाई जा रही है. विभागीय पदाधिकारी नियमित स्कूल का निरीक्षण कर रहे हैं. इसके बावजूद कई एचएम शिक्षा में सुधार के प्रति लापरवाह बने हैं. जिला शिक्षा पदाधिकारी संग्राम सिंह ने शुक्रवार को किशनपुर प्रखंड के मध्य विद्यालय में मेहासिमर, उत्क्रमित उच्च माध्यमिक विद्यालय मेहासिमर, प्राथमिक विद्यालय बलहा टोला मेहासिमर, प्राथमिक विद्यालय नवटोली मेहासिमर, मध्य विद्यालय मधुरा, प्राथमिक विद्यालय मधुरा का निरीक्षण किया. महासिमर के मध्य विद्यालय की स्थिति देख डीईओ सबसे अधिक नाराज दिखे. नामांकित छात्र-छात्राओं की जगह बहुत कम उपस्थिति पाई गई. उन्होंने निरीक्षण में पाया कि एचएम शिक्षा में सुधार के प्रति लापरवाह हैं. पठन-पाठन सहित अन्य व्यवस्था को बेहतर बनाने में शिक्षक योगदान नहीं दे रहे हैं. स्कूल परिसर और शौचालय में साफ-सफाई की कोई व्यवस्था नहीं है. कक्षा में उपस्थित बच्चे गंदगी के बीच पढ़ाई कर रहे हैं. एक कमरे में बच्चों की डायरी और कक्षा दो की किताब का कई बंडल पर डीईओ की नजर पड़ी. उन्होंने किताब नहीं बांटने पर एचएम को सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी. हालांकि कुछ देर बाद खुद डीईओ ने बच्चों के बीच किताब और डायरी को बंटवाया. उन्होंने एचएम को सख्त चेतावनी देते हुए कहा कि बच्चों को प्रतिदिन डायरी में गृहकार्य देना सुनिश्चित करें. साथ ही बच्चे किताब, कॉपी और डायरी ला रहे हैं या नहीं. इसकी जांच प्रतिदिन किया जाए. मध्य विद्यालय मधुरा में गुणवत्तापूर्ण एमडीएम का नहीं पाया गया. स्कूल में फ्रीफेब वर्ग की स्थिति अव्यवस्थित पाई गई. उन्होंने एचएम को फ्रीफेब कक्षा की स्थिति को बेहतर बनाने का निर्देश दिया. निरीक्षण के दौरान स्टेनो मो. सरवर आलम भी साथ रहे. छात्रों की कम उपस्थिति सबसे बड़ी चुनौती विभागीय सख्ती के बावजूद कुछ दिनों से स्कूलों में छात्र-छात्राओं की कम उपस्थिति पाई जा रही है. हालांकि इस दौरान एचएम और शिक्षक स्कूल में छात्रों की कम उपस्थिति पर परेशान नजर आते हैं. लेकिन छात्र-छात्राओं की उपस्थिति बढ़ाने में कई स्कूल के शिक्षको को सफलता नहीं मिल रही है. डीईओ ने पिछले दिनों शिक्षकों को अभिभावकों से समन्वय बनाने के लिए कहा था. कई स्कूलों के शिक्षकों ने इस दिशा में प्रयास किया. उन्हें काफी हद तक सफलता भी मिली है. इसके बावजूद तमाम प्रयास के बावजूद स्कूलों में छात्र-छात्राओं की कम उपस्थिति मिल रही है.
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