– परिजनों ने स्वास्थ्य व्यवस्था पर उठाये सवाल त्रिवेणीगंज त्रिवेणीगंज में स्वास्थ्य व्यवस्था हासिये पर है. यहां मरीजों को सुविधा के नाम पर एक अदद एम्बुलेंस तक नहीं मिल पाता है. एम्बुलेंस के लिए जिम्मेदार लोग जरुरत पड़ने पर फोन रिसीव करना मुनासिब नहीं समझते हैं. मामला जदिया थाना क्षेत्र के रघुनाथपुर वार्ड नंबर 2 का है. जहां स्थानीय निवासी मो मुजाहिर की 26 वर्षीय पत्नी कदीना खातून को बुधवार की सुबह 04 बजे प्रसव पीड़ा होने पर परिजन अस्पताल लाने के लिए क्षेत्र की आशा कार्यकर्ता से संपर्क किए. बोले की त्रिवेणीगंज अनुमंडलीय अस्पताल से प्रसव पीड़िता को अस्पताल ले जाने के लिए एम्बुलेंस मंगवा दीजिए. लेकिन जब आशा कार्यकर्ता एम्बुलेंस के लिए एम्बुलेंस के ड्राइवर से संपर्क किया, तो एम्बुलेंस ड्राइवर ने बताया कि आप एम्बुलेंस के लिए डायल 102 पर कॉल कीजिए. हमलोगों को ऊपर से कॉल आयेगा उसके बाद ही हम जायेंगे आपको लाने. परिजनो का आरोप है कि एम्बुलेंस के लिए लागतार डायल 102 पर कॉल किए. लेकिन कोई रिस्पॉन्स नहीं मिला. डायल 102 पर लगातार रिंग के करने के 10 मिनट बाद फोन रिसीव होने के बाद भी उनके तरफ से कोई रिस्पॉन्स नहीं मिला. तक़रीबन आधा घंटे बाद डायल 102 कर्मी ने कॉल कर बताया कि आधा घंटा बाद पहुंचेंगे. लेकिन प्रसव पीड़िता की प्रसव पीड़ा काफ़ी ज्यादा होने के कारण मरीज़ के परिजन उसे ई रिक्शा से लेकर त्रिवेणीगंज अनुमंडलीय अस्पताल के लिए निकले. लेकिन बीच रास्ते में ही प्रसव पीड़िता ई रिक्शा पर ही एक नवजात को जन्म दिया. लेकिन नवजात को बचाया नहीं जा सका. नवजात की मौत हो गई. जिसके बाद परिजन उसे त्रिवेणीगंज अनुमंडलीय अस्पताल लेकर आए. परिजनों ने बताया कि एम्बुलेंस ड्राइवर और डायल 102 कर्मी कोई रिस्पॉन्स नहीं लिए. क्षेत्र की आशा कार्यकर्ता रंजना कुमारी ने भी पीड़िता को समय पर एम्बुलेंस नहीं मिलने के कारण नवजात की जन्म ई रिक्शा पर होने और नवजात की मौत हो जाने की बात कही है. वहीं अस्पताल में ड्यूटी पर मौजूद एएनएम गीता कुमारी ने बताया कि बताया कि हमारे यहां पेसेंट सुबह आठ बजे आयी. मरीज़ को ऑटो में ही प्रसव हो गया था. नवजात की मौत हो चुकी थी. हमलोगों ने उसका प्लेसेंटा रिमूव किए. जो भी जरूरी प्रक्रिया थी उसे पूरा किए.
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