परंपरागत खेती के अलावे मखाना की खेती में जुटे किसान
मखान 250 से 300 रुपये प्रति किलो तक की दर से आसानी से बिक भी जाता है
सुपौल. सदर प्रखंड के ग्रामीण इलाके के किसान आर्थिक रूप से सबल बनने का ठान लिया है. परंपरागत खेती के अलावे किसान अब कैश क्रॉप की ओर जा रहे हैं. किसान दलहन व सब्जी की खेती के बाद मखाना की खेती से जुड़ रहे है. सदर प्रखंड के करीब डेढ़ सौ एकड़ से अधिक भूमि में किसान मखाना की खेती शुरू कर दिया है. बैरो, गोठ बरुआरी, मल्हनी एवं परसरमा परसौनी पंचायत के दर्जनों किसान करीब 150 एकड़ भूमि में मखाना लगाया है. जिन भूमि में किसान मखाना की खेती शुरू किया है. उस भूमि में सालो भर पानी जमा रहता था. जिस कारण किसान इस खेत में कोई फसल नहीं उगा पाते थे. किसान रामसुभग सिंह बताते हैं कि मल्हनी पंचायत के कछनारी, चैधहा, कानवेचौरी, छुटकी रही बाध में 100 एकड़ से अधिक में जल निकासी नहीं होने से धान की फसल सही ढंग से नहीं हो पाता था. जिसके कारण किसान को लागत के अनुसार फसल भी नहीं हो पा रही थी. इस कारण पहली बार मखाना की खेती किये हैं. मखाना की खेती कर रहे किसान सुरेश मुखिया ने बताया कि एक बीघा मखाना का खेती करने में तीन से चार हजार रुपए खर्च होता है. बताया कि 04 से 05 महीने में मखाना भी तैयार हो जाता है. वहीं एक बीघा में 40 से 50 किलो तक मखाना का उत्पादन होता है. मखान 250 से 300 रुपये प्रति किलो तक की दर से आसानी से बिक भी जाता है. बताया कि यही कारण है कि अब ग्रामीण क्षेत्रों के किसान मखाना की खेती के तरफ तेजी से बढ़ रहे हैं. बताया कि सरकार द्वारा भी मखाना की खेती के लिए कई तरह के लाभकारी योजना चलाया जा रहा है.
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