Bihar Flood: कोसी नदी के जलस्तर में तेजी से उतार-चढ़ाव होने लगा है. नदी की पेट भरते देख तटबंध के अंदर बसे लोग सहम गए हैं. नदी का जल स्त्राव आगे विकराल स्वरूप की ओर इशारा कर रही है. नदी की धारा ने नदी किनारे बसे गांव पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है. दूर-दूर तक अब पानी ही पानी है. नदी के बीच में बनी टीला नुमा जमीन नहीं दिख रही है. घोघररिया गांव के मिथिलेश यादव कहते हैं लोग सुरक्षा के मद्देनजर तैयारी में जुट गए हैं. पशुओं को ऊंचे स्थान पर ले जाना शुरू कर दिया है. लोगों के जान माल की सुरक्षा अब भगवान के हाथ में है. जलस्त्राव बढ़ा तो हालात बिगड़ सकते हैं.
सुबह 06 बजे से बढ़ने लगा कोसी का जलस्तर
नेपाल के तराई क्षेत्रों में लगातार हो रही मूसलाधार बारिश के कारण कोसी के जलस्तर में भारी वृद्धि हो रही है. इस वजह से जिले के पांच प्रखंडों में बाढ़ का खतरा प्रबल होता जा रहा है. शनिवार की अहले सुबह चार बजे भीमनगर कोसी बराज का जलस्तर 01 लाख 30 हजार 465 क्यूसेक स्थिर अवस्था में दर्ज की गयी थी. जबकि बराह क्षेत्र में 85 हजार क्यूसेक पानी घटते क्रम में दर्ज किया गया था. लेकिन 06 बजे कोसी बराज पर 01 लाख 48 हजार 910 क्यूसेक व बराह क्षेत्र में 01 लाख 32 हजार 500 क्यूसेक बढ़ते क्रम में दर्ज किया गया.
सुबह 08 बजे बराज पर 01 लाख 57 हजार 630 क्यूसेक व बराह क्षेत्र में 01 लाख 42 हजार 250 क्यूसेक पानी बढ़ते क्रम में दर्ज किया गया. सुबह 10 बजे कोसी बराज पर 01 लाख 97 हजार 260 व बराह क्षेत्र में 01 लाख 57 हजार क्यूसेक पानी बढ़ते क्रम में दर्ज किया गया. दोपहर 12 बजे कोसी बराज पर 02 लाख 33 हजार 810 व बराह क्षेत्र में 01 लाख 72 हजार 500 बढ़ते क्रम में दर्ज किया गया.
02 बजे कोसी बराज पर 02 लाख 69 हजार 550 व बराह क्षेत्र में 01 लाख 77 हजार 750 क्यूसेक पानी बढ़ते क्रम में दर्ज किया गया. वहीं शाम चार बजे कोसी बराज पर 02 लाख 79 हजार 75 व बराह क्षेत्र में 01 लाखा 83 हजार क्यूसेक पानी बढ़ते क्रम में दर्ज किया गया. शनिवार को ढाई लाख क्यूसेक पानी छोड़े जाने के बाद लोगों को बाढ़ का खतरा सता रहा है और वे काफी डरे-सहमे हुए हैं.
इस साल के अधिकतम जलस्राव पहुंचा डिस्चार्ज
नेपाल के तराई क्षेत्र में लगातार हो रही मूसलाधार बारिश के कारण शनिवार को कोसी नदी व बराह क्षेत्र का जल स्तर सर्वाधिक डिस्चार्ज पर पहुंच गया. शाम 06 बजे कोसी बराज पर 03 लाख 03 हजार 860 व बराह क्षेत्र में 01 लाख 88 हजार 500 क्यूसेक पानी बढ़ते क्रम में दर्ज किया गया. जो इस साल का सर्वाधिक जल स्राव है. अत्यधिक पानी होने के कारण कोसी बराज के 39 फाटक खोल दिये गये हैं. तीन लाख क्यूसेक जलस्राव होने के बाद शनिवार की शाम लाल बत्ती जला दी गयी. इससे पूर्व ढाई लाख पानी होने पर दोनों ओर झंडा लगा दिया गया था.
कोसी नदी उफान पर, तटबंध के अंदर बसे गांवों में फैलने लगा पानी, लोग भयभीत
नेपाल में भारी बारिश के कारण कोसी नदी का जलस्तर तेजी से बढ़ गया है, जिससे जिले में बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है. शनिवार शाम को कोसी बराज स्थित कंट्रोल रूम के अनुसार, कोसी नदी का डिस्चार्ज इस वर्ष पहली बार 02 लाख 82 हजार 680 क्यूसेक पार कर गया. इसके कारण बराज के 36 फाटकों को खोलना पड़ा. बराह क्षेत्र में भी जलस्तर 01 लाख 83 हजार क्यूसेक तक पहुंच गया है. बालू की अधिक मात्रा के कारण दोनों नहरों को बंद कर फ्लशिंग की जा रही है.
कोसी नदी का उद्गम और जलस्तर वृद्धि
कोसी नदी का उद्गम स्थल नेपाल के गोसाईधाम में स्थित है, और यह पहाड़ों से होकर बराह क्षेत्र में मैदानी क्षेत्रों में पहुंचती है. विभिन्न सहायक नदियों से मिलकर यह सप्तकोसी बनती है, जो नेपाल में बारिश के कारण उफान पर हैं. इसके परिणाम स्वरूप, नदी के जलस्तर में व्यापक वृद्धि हुई है, जो 40 हजार से 50 हजार क्यूसेक बढ़ोतरी होती है. लेकिन शनिवार को नेपाल में सभी जगह पर बारिश के कारण कोसी की सभी सहायक नदियां उफान पर है. इस लिए कोसी के जलस्तर में काफी वृद्धि हुई है.
बाढ़ नियंत्रण और तटबंध की स्थिति
कौशकी भवन स्थित बाढ़ नियंत्रण कक्ष से मिली खैरियत प्रतिवेदन के अनुसार मधेपुरा जिला के चौसा प्रखंड के अमनी टोला के पास कराये गए ग्राम सुरक्षा कार्य के अप स्ट्रीम में कोसी नदी के दबाब से लगभग 100 मीटर लम्बाई में क्षरण हुआ हैं. जिसे आवश्यक बाढ़ संघर्षनात्मक कार्य कराकर स्थल को सुरक्षित किया जा रहा हैं. वहीं पूर्वी कोसी तटबंध के कोपारिया और चंद्रायन डिवीजन अंतर्गत 117.15 किलोमीटर स्पर के डी पॉर्सन पर बढ़ते जलस्तर का दबाब बताया जा रहा हैं.
इसी तटबंध के वीरपुर डिवीजन अंतर्गत पूर्वी कोसी तटबंध के 16.98 किमी स्पर पर नदी के बढ़ते जलस्तर का दबाब बना हुआ हैं. जबकि नेपाल स्थित पूर्वी बहोत्थान बांध के कुसहा डिवीजन अंतर्गत 26.40 किमी स्पर पर नदी के तेज बहाव के चलते दबाब बना हुआ हैं. वहीं इसके अलावे नदी के दोनों ही तटबंध के स्टर्ड और स्पर अपने सभी अवयवों के साथ सुरक्षित हैं. तटबंध पर सतत निगरानी और चौकसी जारी हैं.
प्रशासन की तैयारी
बाढ़ नियंत्रण एवं जल निकासी के चीफ इंजीनियर वरुण कुमार ने बताया कि नेपाल में भारी बारिश से कोसी की सहायक नदियां उफान पर हैं, जिससे कोसी नदी का जलस्तर बढ़ा है. सभी अभियंता तटबंधों और स्परों की निगरानी कर रहे हैं. फ्लड फाइटिंग फोर्स के साथ संवेदनशील स्थानों का निरीक्षण जारी है और वृहद भंडारण भी किया जा चुका है. दिन-रात चौकसी बरती जा रही है. बाढ़ की स्थिति पर प्रशासन की सतर्कता और उपायों के बावजूद, स्थानीय लोगों को भी सतर्क रहने और सुरक्षा उपाय अपनाने की सलाह दी गयी है.
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मुख्य सड़क से संपर्क टूटा, ग्रामीणों में मची अफरा- तफरी
इधर, कटिहार के कोढ़ा प्रखंड क्षेत्र के मधुरा गांव के समीप जो बरारी के सीमा को भी छूता है. वहां कोलासी से सेमापुर जाने वाली पथ में मधुरा ग्राम के नजदीक पुल का निर्माण कार्य करीब तीन माह पूर्व शुरू हुआ था. पर एक भी पाया का निर्माण नहीं हो पाया. मानसून के प्रवेश के साथ मूसलाधार बारिश के बाद कारी कोशी नदी में जल स्तर भी बढ़ने लगा. जिस कारण संवेदक काम छोड़कर भाग निकले. पुल निर्माण कार्य से पहले आवागमन के लिए अगर डायवर्सन का निर्माण कर दिया जाता तो लोगों को आवागमन में कठिनाइयों का सामना नहीं करना पड़ता. पर डायवर्सन नहीं होने के कारण राहगीरों को जान जोखिम में डालकर गुजरना पड़ रहा है.
ग्रामीणों ने बताया कि यहां प्रत्येक दिन आवागमन के दौरान पैदल यात्री फिर बाइक चालक बाइक लेकर पानी में गिर जाते हैं. ग्रामीणों ने बताया कि हमलोग अपनी जान को खतरे में डालकर आवाजाही करते हैं. आवाजाही के दौरान हमेशा डर लगा रहता है कि आवगमन के दौरान हम लोगों के साथ कोई अनहोनी घटना न घट जाये. ग्रामीणों ने कहा कि यहां पहले पुल था. पुल की स्थिति काफी जर्जर होने के कारण विभाग व सरकार के द्वारा यहां नया पुल बनाने की बात हुई और पुरानी पुल को तोड़कर नया पुल बनाया जा रहा है. पुल निर्माण से पूर्व डायवर्सन का निर्माण नहीं किया गया. जिस कारण हम लोगों को काफी परेशानियों से गुजरना पड़ रहा है.
राहगीरों के कष्ट को देखते हुए स्थानीय ग्रामीणों के द्वारा बांस व लकड़ी के पटरा से आवागमन तो कराया जा रहा है. इस प्रकार का आवाजाही जोखिम से खाली नहीं है. जबकि कारी कोसी नदी में और अगर पानी की बढ़ोतरी होती है तो आवागमन पूरी तरह अवरुद्ध हो जायेगी. ग्रामीणों का कहना था कि कार्य स्थल के समीप अगर डायवर्सन का सही ढंग से निर्माण कर दिया जाता तो इस बरसात में आवागमन में आसानी होती. आवागमन का अवरुद्ध हो जाने के बाद जहां मुख्य सड़क से संपर्क टूट गया है. राहगीरों व ग्रामीणों के बीच अफरा तफरी का आलम मचा हुआ है.
वर्तमान में भले ही पैदल यात्री व बाइक को किसी प्रकार टपा दिया जाता है. पर उक्त पथ से अन्य किसी प्रकार का छोटा या बड़ा वाहन अभी वर्तमान में गुजरना बंद हो गया है. अगर बारिश के बाद अगर जल स्तर में और बढ़ोतरी होती है तो यह पटरा भी कोई काम नहीं आयेगा. ऐसे में आम लोगों को एकमात्र नाव ही सहारा बचता है और यहां अभी वर्तमान में नाव भी नहीं है. इसलिए ग्रामीणों ने नाव उपलब्ध कराने की मांग की है. ताकि लोगों को आवाजाही करने में कुछ हद तक सुविधा मिल सकें.