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एसी की हीट वेव

एसी के कारण ही हीट वेव

एसी की हीट वेव : शहर की हर ऊंची इमारत की हर खिड़की पर दिख रहा एसी

सामान्य मौसम रहने वाले जिले में अचानक बढ़ी गर्मी

दस वर्ष पूर्व सुपौल जिले में रहता था औसत पारा 32 से 33 डिग्री सेल्सियस

फोटो-

कैप्सन –

05 – शहर में छत के ऊपर लगा एसी.

06 – जिला मुख्यालय स्थित पावर ग्रीड.

07 – सड़क किनारे लगा पेड़.

08 – धूप से बचते युवा.

प्रतिनिधि, सुपौल

संपूर्ण जिला हीट वेव की चपेट में है. ऐसा लग रहा है लोग भट्टी के ताप से जल रहे हैं. बढ़ते तापमान व उमस भरी गर्मी ने पिछले कई साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. कोसी तट पर बसा सुपौल जिला सुहाने मौसम के मामले में समृद्ध था. यहां लोग ना कभी अधिक गर्मी व ना कभी ठंड का एहसास करते थे. नदी, नाला व पर्याप्त हरियाली की वजह से जिले में प्रकृति एकदम संतुलन में रहा करता था. लेकिन कुछ साल से यह जिला भी महानगरों की तरह ही गर्म शहरों में शामिल होता जा रहा है. दिन का तापमान 40 डिग्री तक पहुंच चुका है, जानकर बताते हैं कि 10 साल पहले मई माह में औसत पारा 32 से 33 डिग्री सेल्सियस ही रहता था. यानी इसमें 05 से 07 डिग्री तक की बढ़ोतरी हो गई है. जानकारों की माने तो हम जितनी ज्यादा एनर्जी का उपयोग कर रहे हैं, उतनी ही ज्यादा हीट बढ़ी है. जिले की कुल आबादी लगभग 23 लाख है. इस हिसाब से लगभग 08 लाख घर है. जिला से लेकर प्रखंड स्तर तक ऑफिस व दुकान लगभग 30 हजार है. मॉल व छोटे-छोटे कुटीर उद्योग की बात करें तो वह भी लगभग 200 है. ऐसे में अगर देखा जाय तो एक चौथाई घरों व कार्यालयों में एसी लगा हुआ है. शेष घरों में पंखा व कूलर लगा ही है. यही कारण है कि पिछले सात साल की तुलना में जिले में 35 मेगावाट बिजली की अधिक खपत हो रही है.

शहर की बात ही है निराली

शहर में लगभग 15 हजार घर व चार दर्जन के करीब सरकारी व गैर सरकारी कार्यालय है. यहां की कुल आबादी लगभग 01 लाख है. लेकिन सरकारी, गैर सरकारी, प्रतिष्ठान व आवासीय परिसर पर गैर करें तो सिर्फ एसी ही एसी नजर आयेगा. सबसे अधिक एयर कंडीशनर मॉल व बड़े-बड़े प्रतिष्ठान में लगे हुए हैं. जानकारों का मानना है कि शहर का तापमान एसी की आउटर हीट, वाहनों की हीट और बिजली के अधिक उपभोग से बढ़ा है. इसी के चलते अब लोगों को अधिक गर्मी का अहसास होने लगा है. इस वर्ष जिले में अब तक दो हजार से अधिक एसी की बिक्री हो चुकी है.

हरियाली की जगह अब नजर आ रहे बड़े-बड़े बिल्डिंग

कोसी का यह इलाका कभी हरियाली के मामले में समृद्धशाली माना जाता था. सड़क किनारे, बाग-बगीचे देख लोग आनंदित रहते थे. लेकिन आधुनिकता के इस दौर में सड़क किनारे से लेकर बाग-बगीचा से हरियाली हटने लगा और वहां अत्याधुनिक भवन का निर्माण किया जाना शुरू हो गया. जानकार बताते हैं कि पेड़ों की कमी भी इसकी बड़ी वजह है, हीट को बायोमास में कनवर्ट करने वाले पीपल, बड़ और नीम के पेड़ अब शहर में बचे ही नहीं है. यह पौधा कोई लगाना ही नहीं चाहते हैं. यही कारण है कि अब लोगों को अधिक गर्मी का अहसास होने लगा है. अत्यधिक पारे को घटाने की क्षमता सिर्फ पेड़ों के पास है. इसके लिए बड़े पेड़ों को बचाना होगा. इन्हें कटाने की जगह पार्क या खुले एरिया में शिफ्ट करना चाहिए. नप और ग्राम पंचायत को सड़क के दोनों ओर छायादार बड़े पेड़ लगाना चाहिए. खासकर पीपल, बरगद व नीम के पेड़ लगाना चाहिए. जो वातावरण के हीट को बायोमास में कनवर्ट कर देते हैं. इससे तापमान गिरता है.

रेमल का दिखा असर, धूप में रही नरमी

रविवार की देर रात से ही रेमल चक्रवात का असर दिखायी देने लगा. हल्की हवा ने लोगों को थोड़ी बहुत उमस भरी गर्मी से राहत दी. सोमवार की सुबह सूर्य देव के लुकाछुपी व हवा के साथ खुशनुमा मौसम रहने के कारण बाजार में चहल पहल दिखी. मौसम वैज्ञानिक देवन कुमार चौधरी ने बताया कि रेमल चक्रवात के कारण देर रात हवा के साथ हल्की बारिश की संभावना है.

संपूर्ण जिले में 120 मेगावाट बिजली की है खपत : ईई

बिजली विभाग के कार्यपालक अभियंता सौरभ कुमार ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2018-19 में जिले में एक दिन में 85 मेगावाट बिजली की खपत होती थी. वर्तमान में सुदुर गांव में भी बिजली पहुंच जाने से अब एक दिन में 120 मेगावाट बिजली की खपत हो रही है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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