Supaul News: अस्पताल में बिचौलिये तलाशते हैं कफन में जेब, जख्मी मरीजों पर रखतें हैं गिद्ध दृष्टि

Supaul News: सुपौल/त्रिवेणीगंज अनुमंडलीय अस्पताल परिसर इन दिनों चिकित्सकों की शह पर घूम रहे बिचौलियों का अड्डा बन गया है. भोले मरीजों का आर्थिक व मानसिक शोषण हो रहा है. जबकि चिकित्सक, बिचौलिये, दवा दुकानदार, निजी एंबुलेंस चालक मालामाल हो रहे हैं. अस्पताल प्रबंधन इसे अनदेखा कर रहा है.

By Prabhat Khabar News Desk | September 3, 2024 9:41 AM

Supaul News: सुपौल/त्रिवेणीगंज अनुमंडलीय अस्पताल परिसर इन दिनों चिकित्सकों की शह पर घूम रहे बिचौलियों का अड्डा बन गया है. भोले मरीजों का आर्थिक व मानसिक शोषण हो रहा है. जबकि चिकित्सक, बिचौलिये, दवा दुकानदार, निजी एंबुलेंस चालक मालामाल हो रहे हैं. अस्पताल प्रबंधन इसे अनदेखा कर रहा है. ऐसे में अस्पताल प्रबंधन के भी इस गोरखधंधे में शामिल होने की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता है.

बिचौलिये खुद इलाज शुरू करवाने की लगाते हैं गुहार, फिर कराते हैं रेफर

हालात यह है कि यहां बिचौलिये जैसे ही किसी गंभीर जख्मी या प्रसव पीड़िता को देखते हैं, उसे लुभाने का कोई कोर कसर नहीं छोड़ते. आखिरकार भोले-भाले मरीज इनके चंगुल में फंस ही जा रहे हैं. बिचौलिये उसे बेहतर और सस्ता इलाज उपलब्ध कराने का भरोसा दिलाने का दावा करते हैं. एक साथ कई चिकित्सक व जांच घर का नाम गिना देते हैं. बिचौलिये खुद मरीज के साथ अस्पताल पहुंच कर मरीज का इलाज शुरू करने की गुहार लगाता है. लेकिन अस्पताल प्रबंधन की मिली भगत से मामूली रूप से जख्मी मरीज को भी रेफर कर दिया जाता है. इसके बाद बिचौलिये व चिकित्सक की चांदी कटनी शुरू हो जाती है. बिचौलिये मरीज को बहला-फुसला कर अवैध निजी नर्सिंग होम में भर्ती करा अपना कमीशन ले लेता है. पुन: अनुमंडलीय अस्पताल पहुंच कर नये मरीज की तलाश करने लगता है.

अस्पताल के सामने संचालित हैं आधा दर्जन अवैध दवा दुकानें

अनुमंडलीय अस्पताल चौक पर अवैध रूप से करीब आधा दर्जन दवा दुकानें संचालित हैं. चर्चा है कि इनसे जुड़े लोग बिचौलियों की भूमिका में होते हैं. इनकी अस्पताल में चौबीसों घंटे चलती है. इनका काम अस्पताल में प्रसव व ऑपरेशन कराने आये पीड़ितों और उनके परिजनों को बहला-फुसलाकर अपनी दवा दुकान पर लाने का होता है.

जख्मी मरीजों को रेफर कराने के लिए दौड़ पड़ते हैं बिचौलिये

अगर अस्पताल में किसी भी प्रकार के जख्मी मरीज पहुंचते हैं, तो बिचौलिये उसे रेफर कराने के लिए जी-जान लगा देते हैं. जख्मी के अस्पताल पहुंचते ही उसे लुभाने के लिए यह बिचौलिये दौड़ पड़ते हैं. जख्मी व गंभीर मरीज के अस्पताल पहुंचने पर कफन में जेब तलाशने लगते हैं. जख्मी मरीजों को ये बिचौलिये न्यूरो अस्पताल नेपाल से लेकर सहरसा, सुपौल, मधेपुरा समेत अन्य जगहों पर संचालित बड़े निजी नर्सिंग होम, प्राइवेट हॉस्पिटल या अन्य जगहों पर ले जाने के लिए लुभाने लगते हैं. अगर मरीज झांसे में फंस गये, तो उसे अपने लिंक के बड़े निजी नर्सिंग होम व क्लिनिक भिजवाते हैं. प्राइवेट हॉस्पिटल संचालकों द्वारा मरीजों का आर्थिक दोहन शोषण शुरू हो जाता है. मरीजों को ठीक करने के नाम पर जख्मी के परिजनों को मोटी रकम चुकानी पड़ती है.

अस्पताल परिसर में लगा है बोर्ड

हालांकि अस्पताल परिसर में अस्पताल प्रशासन द्वारा साइन बोर्ड लगाया गया है. मरीज व उनके परिजनों को बिचौलियों से बचने के लिए जागरूक कर रहे हैं. हालांकि लोग इसका उपहास उड़ाते हैं. इस बाबत अनुमंडलीय अस्पताल के उपाधीक्षक इंद्रदेव यादव ने किसी भी टिप्पणी से इंकार किया.

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कहते हैं सिविल सर्जन

अस्पताल परिसर में निजी एंबुलेंस लगाने व बिचौलिये के घूमने की जानकारी मिली है. सभी अस्पतालों में तैनात सुरक्षा गार्ड को सख्त निर्देश दिया गया है कि अगर अस्पताल परिसर में निजी एंबुलेंस व संदिग्ध व्यक्ति घूमते मिलें तो अस्पताल प्रबंधक को तत्काल जानकारी दें. बिचौलियों से सावधान रहने को लेकर सभी अस्पतालों में बैनर भी लगाया गया है.

-डॉ ललन कुमार ठाकुर, सिविल सर्जन

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दवा बाहर से ही लेनी पड़ेगी, एंबुलेंस भी निजी मिलेगी

केस स्टडी- 01

26 जुलाई को त्रिवेणीगंज पिपरा सड़क मार्ग एनएच 327ई पर थाना क्षेत्र के रहटा में तेज रफ्तार ट्रक की ठोकर से रहटा वार्ड नंबर 05 निवासी छोटके मंडल की 70 वर्षीय पत्नी भवरी देवी गंभीर रूप से जख्मी हो गयी. परिजनों ने अनुमंडलीय अस्पताल में भर्ती कराया. जहां डॉक्टरों ने प्राथमिक उपचार के बाद बेहतर इलाज के लिए सदर अस्पताल सुपौल रेफर कर दिया. लेकिन जख्मी मरीज को डेढ़ घंटे तक एंबुलेंस नहीं मिली.

केस स्टडी- 02

26 जुलाई को थाना क्षेत्र के तितुवाहा वार्ड नंबर 11 निवासी दिलीप कुमार यादव की 30 वर्षीय पत्नी हिना देवी को सर्पदंश के बाद इलाज के लिए त्रिवेणीगंज अनुमंडलीय अस्पताल में भर्ती कराया. लेकिन सर्पदंश पीड़िता को इमरजेंसी सेवा में भी इंजेक्शन नहीं मिली. ड्यूटी पर तैनात डॉक्टरों द्वारा बताया इंजेक्शन डेक्सोना अस्पताल में उपलब्ध नहीं रहने की स्थिति में परिजनों ने अस्पताल के बाहर से सूई खरीदी. तब डॉक्टरों ने सर्पदंश पीड़िता को इंजेक्शन दिया.

केस स्टडी- 03

01 सितंबर को आपसी विवाद में दो पक्षों के बीच हुई मारपीट के बाद थाना क्षेत्र के लक्षमिनियां गांव से अनुमंडलीय अस्पताल इलाज के लिए आये जख्मी को प्राथमिक उपचार के बाद बेहतर इलाज के लिए बाहर रेफर कर दिया गया. पास खड़े बिचौलिये ने जख्मी के परिजन को झांसा देकर प्राइवेट एंबुलेंस से सुपौल के एक निजी नर्सिंग होम लाया. जहां जख्मी रविंद्र कुमार, ललटू यादव व गुंजन देवी का इलाज किया जा रहा है.

केस स्टडी- 04

15 जुलाई को अनुमंडलीय अस्पताल परिसर में उस वक्त लोगों की भीड़ जमा हो गयी जब एक तांत्रिक सर्पदंश के मरीज का अस्पताल परिसर में ही झांड़-फूंक करने लगा. ऐसा भी नहीं था कि चिकित्सक या प्रबंधक का ध्यान इस ओर नहीं गया. लेकिन किसी ने भी तांत्रिक को अस्पताल से हटाने की कोशिश नहीं की.

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