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मातेश्वरी जगदंबा सरस्वती जी का मनायी गयी 59वीं पुण्यस्मृति दिवस

कार्यक्रम को संबोधित करते स्थानीय सेवा केंद्र प्रभारी राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी बबिता दीदी ने मातेश्वरी जी के जीवन की विशेषता बताते हुए कहा कि मम्मा गंभीरता की प्रतिमूर्ति थी

By Prabhat Khabar News Desk | June 24, 2024 10:02 PM

राघोपुर. प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय सिमराही के तत्वधान में सोमवार को स्थानीय ओम शांति केंद्र पर ब्रह्माकुमारीज संस्थान की प्रथम मुख्य प्रशाशिका मातेश्वरी जगदंबा सरस्वती जी के 59वें पुण्यस्मृति दिवस ””””””””आध्यात्मिक ज्ञान दिवस”””””””” के रूप में मनाया गया. कार्यक्रम का शुभारंभ स्थानीय सेवा केंद्र प्रभारी राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी बबीता दीदी, डॉ बीरेंद्र प्रसाद साह, नीरज कुमार, सतीश कुमार, मंजू पंसारी, सावित्री देवी, अरुण जयसवाल, ब्रह्माकुमार किशोर भाई, पप्पू कुमार, अवध मेहता, इंद्रदेव चौधरी सहित अन्य ने संयुक्त रूप से मातेश्वरी जी के तस्वीर पर माल्यार्पण व दीप प्रज्ज्वलित कर किया. कार्यक्रम को संबोधित करते स्थानीय सेवा केंद्र प्रभारी राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी बबिता दीदी ने मातेश्वरी जी के जीवन की विशेषता बताते हुए कहा कि मम्मा गंभीरता की प्रतिमूर्ति थी. उन्होंने राजयोग मेडिटेशन का व्याख्या करते हुए कहा कि यह एक ऐसी विधि है, जो व्यक्ति के लिए अमृत का काम करती है. जीवन में हमें राजयोग के अभ्यास से स्वस्थ तन, स्वस्थ मन प्राप्त होता है. साथ ही इसमें स्वस्थ समाज का निर्माण भी होता है. उन्होंने इस दौरान सभी को योगासन, प्राणयाम एवं राजयोग मेडिटेशन का महत्व बताते हुए योगासन भी कराया. उन्होंने कहा कि ब्रह्माकुमारीज संस्थान पिछले 08 दशक से भारत की पुरातन व सनातन राजयोग विद्या, संस्कृति, सकारात्मक और स्वस्थ जीवन जीने की कला को भारत समेत विश्व भर में प्रचार प्रसार में जुड़ी है. कहा कि योग की आवश्यकता तब होती है, जब मनुष्य आहार, व्यवहार, विचार, आचार में अपनी चरम सीमा को पार कर अधर्म पर चल पड़ता है. तब परमात्मा आकर योग सिखाते हैं. कार्यक्रम का संचालन कर रहे संस्थान के वरिष्ठ ब्रह्माकुमार किशोर भाई ने मंत्रोच्चारण कर योगाभ्यास कराया औऱ राजयोग के माध्यम से सभी को शांति की अनुभूति कराया. मौके पर परमेश्वरी सिंह यादव, विजय चौधरी, अनिल महतो, पप्पू सिंह, मंजू देवी, मनु देवी, शांति देवी, गणेश जायसवाल, रघुवीर भगत सहित सैकड़ों श्रद्धालु मौजूद थे.

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