पछुआ हवा से बढ़ी कनकनी, न्यूनतम तापमान पहुंचा 07 डिग्री सेल्सियस
तीन दिनों में न्यूनतम तापमान में 05 डिग्री तक की कमी आई है
सुपौल. पछुआ हवा के प्रवाह के बीच शाम ढलते ही आसमान से शीत बरसने लगती है. हालांकि बुधवार को थोड़ी देर के लिए सूर्य देव का दर्शन जरूर हुआ लेकिन पछुआ हवा के कारण लोग रजाई में दुबके रहे. तीन दिनों में न्यूनतम तापमान में 05 डिग्री तक की कमी आई है. बुधवार को जिले का अधिकतम तापमान 25 डिग्री व न्यूनतम 07 डिग्री रिकॉर्ड किया गया. लगातार तापमान नीचे रहने से जिले में शीतलहर जैसे हालात बन गए हैं. अधिकतम और न्यूनतम तापमान का अंतर काफी कम हो गया है. न्यूनतम तापमान 07 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया. तापमान में लगातार कमी के बाद कुहासे ने जिले को अपनी चपेट में ले लिया और हड्डी भेद देने वाली हवा चलने से शीतलहर जैसे हालात रहे. धूप निकलने के बाद भी शीतलहर कम होने का नाम नहीं ले रहा है. मौसम वैज्ञानिक ने बताया कि करीब 08 किमी की रफ्तार से पछुआ हवा चल रही है. इस वजह से दिन भर गलन का असर रहा. बताया कि पहाड़ों से आ रही ठंड हवा के चलते दो दिनों तक ठंड से राहत की उम्मीद नहीं है.
ठंड की वजह से बीमार पड़ रहे लोग
भीषण ठंड एवं शीतलहर के कारण आम जन जीवन हलकान हैं. वहीं खासतौर पर बुजुर्ग एवं बच्चों को ठंड की वजह से विशेष परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. घर के लोग भी अपने बुजुर्ग व बच्चों को ठंड से बचाने की जुगत में लगे रहते हैं. कड़ाके की ठंड की वजह से कोल्ड डायरिया, निमोनिया, सर्दी, बुखार जैसे बीमारियों का प्रकोप बढ़ गया है. यही वजह है कि अस्पताल में इलाज के लिए आये अधिकांश मरीज इन रोगों से पीड़ित नजर आ रहे हैं. चिकित्सकों की भी मानें तो ठंड के इस मौसम में बच्चे व बुजुर्गों को विशेष ख्याल रखा जाना चाहिये.गरीब, मजदूरों को हो रही विशेष परेशानी
सर्दी के सितम का सबसे अधिक खामियाजा गरीब एवं मजदूर वर्ग के लोगों को उठाना पड़ रहा है. मजदूरों को ऐसे मौसम में काम नहीं मिल पाता है. जिसके कारण उन्हें घर चलाना मुश्किल हो जाता है. ठंड के बीच गरीब व मजदूर वर्ग के लोग दिन तो किसी प्रकार काट लेते हैं, लेकिन गर्म कपड़ों के अभाव में रात गुजारना मुश्किल हो जाता है. कई झुग्गी झोपड़ियों में तो लोग रात में कूड़ा-कचरा, प्लास्टिक व कागज आदि जला कर अलाव तापते नजर आते हैं.मौसम बदलते ही बढ़ने लगी ब्लडप्रेशर की शिकायत
इस मौसम में ब्लडप्रेशर की शिकायतें बढ़ रही है. डॉ रामचंद्र का कहना है कि ठंड से खून की नालियों में सिकुड़न आ जाती है. जिससे रक्तसंचार प्रभावित होने लगता है. ठंड से लोगों की सेहत भी बिगड़ने लगी है. ऐसे में लोगों को सावधानी बरतने की जरूरत है.शीतलहर के कारण लोगों को घर से निकलना हुआ मुश्किल
सरायगढ़.बीते तीन दिनों से ठंड का प्रकोप जारी है. पछुआ हवा चलने एवं धूप नहीं निकलने से शीतलहर से लोगों को घरों से निकलना मुश्किल हो गया है. लोग अपने-अपने घरों में दुबके हुए हैं. हालांकि लोगों को रोजमर्रा या कार्यालय के कार्य के लिए बाहर निकलना ही होता है. लेकिन बढ़ते ठंड से लोगों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. पछुआ हवा चलने से ठिठुरन बढ़ गई है. खासकर छोटे-छोटे बच्चों व बुजुर्गों का परेशानी बढ़ गई है. ठंड को लेकर सड़कों पर भी आवाजाही कम देखी जा रही है. वाहनों का परिचालन तो हो रहा है लेकिन आमजनों की आवाजाही कम है. लोग अपने घरों एवं चौक चौराहे पर अलाव जलाकर समय बिता रहे हैं. प्रखंड क्षेत्र के लोगों ने प्रशासन से बढ़ते ठंड को लेकर जगह-जगह अलाव जलाने की मांग की है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है