30.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Supaul news : कोसी के पानी ने बदला रंग, लोगों को सताने लगी बाढ़ की चिंता

Supaul news :कोसी क्षेत्र में रह रहे लोग जैसे ही नदी में लाल पानी देखते हैं, उन्हें अंदाजा लग जाता है कि अब नदी के पानी का उतार-चढ़ाव चलता रहेगा.

Supaul news : कोसी नदी में लाल पानी उतरना शुरू हो गया है, जो खतरे की निशानी है. कोसी के लाल पानी को लोग बाढ़ के आगमन की निशानी मानते हैं. कोसी क्षेत्र में रह रहे लोग जैसे ही नदी में लाल पानी देखते हैं, उन्हें अंदाजा लग जाता है कि अब नदी के पानी का उतार-चढ़ाव चलता रहेगा. कोसी नदी 15 जून से उग्र रूप धारण करती है. जून के अंतिम या जुलाई माह के प्रथम सप्ताह में तटबंध के अंदर के गांवों के निचले हिस्से में पानी फैलना शुरू हो जाता है. सरकारी कैलेंडर के अनुसार भी 15 जून से 15 सितंबर तक बाढ़ व बरसात का महीना माना जाता है.

बांध टूटने का खतरा हर साल बढ़ रहा

तटबंध निर्माण के बाद कोसी में 25 फीट तक गाद की मोटी परत जम गयी है. इसी परत के कारण बांध के टूटने का खतरा हर साल बढ़ रहा है. जानकारों के अनुसार, कोसी हर साल 05 करोड़ 50 लाख टन गाद लाती है. बराह क्षेत्र में नदी के प्रवाह में हर साल 924.8 लाख घन मीटर सिल्ट गुजरता है. इसमें 198.20 लाख घन मीटर मोटा बालू, 247.90 लाख घन मीटर मध्यम आकार का बालू, 553.90 लाख घन मीटर महीन बालू है. नदी की पेटी में जमा होनेवाला बालू बाढ़ के पानी के रास्ते में रुकावट पैदा करता है और नदी का पानी इस गाद को काट कर नया रास्ता बना लेता है. इससे बांध पर खतरा हर साल बढ़ताहै. अप्रैल बीत जाने के बाद कोसी नदी के पानी का रंग बदलते ही तटबंध के अंदर रहनेवाले लोगों को बाढ़ की चिंता सताने लगी है. सुपौल के लोगों का कहना है कि कोसी के पानी का रंग हर वर्ष बदलता रहता है. कभी मटमैला, तो कभी हरा और कभी लाल यानी गेरूआ. कोसी के जल बहाव क्षेत्र में पानी के रंग परिवर्तन का दृश्य नया नहीं है. जानकारों का कहना है कि जिस साल पानी के बढ़ने की आशंका रहती है, उस साल कोसी में गहरे कत्थई रंग का पानी प्रचुर मात्रा में आता है. जल प्रवाह क्षेत्र में पानी के बढ़ने की आशंका को लाल रंग प्रमाणित करता है.

बाढ़ के पानी के रास्ते में गाद बड़ी रुकावट

कोसी की बाढ़ पर कई शोध पुस्तक प्रकाशित कर चुके आइआइटियन व बाढ़ मुक्ति अभियान के संयोजक नदी विशेषज्ञ दिनेश कुमार मिश्र ने कहा कि नदी में बहकर आने वाले गाद (सिल्ट) की मात्रा अधिक होती है. उनकी पुस्तक दुइ पाटन के बीच में…प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार कोसी हर साल 5 करोड़ 50 लाख टन गाद लाती है. सिंचाई आयोग बिहार की 1994 की एक रिपोर्ट के अनुसार, बराह क्षेत्र में नदी के प्रवाह में हर साल 924.8 लाख घन मीटर सिल्ट गुजरता है. इसमें 198.20 लाख घन मीटर मोटा बालू, 247.90 लाख घन मीटर मध्यम आकार का बालू, 553.90 लाख घन मीटर महीन बालू है. श्री मिश्र के अनुसार नदी की पेटी में जमा होने वाला बालू बाढ़ के पानी के रास्ते में रुकावट पैदा करता है और नदी का पानी इस गाद को काट कर नया रास्ता बना लेता है, जिससे बांध पर खतरा हर साल बढ़ता है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें