सर्पदंश से पीड़ित महिला की जान बची, चिकित्सकों की सूझ-बूझ से मिली नयी जिंदगी

डॉक्टर को धरती का भगवान यूं ही नहीं कहा जाता है, कई ऐसे मौके पर डॉक्टर ही हैं जो मौत के मुहाने पर खड़े मरीज को बाहर कर नया जीवन दान देते हैं

By Prabhat Khabar News Desk | July 7, 2024 9:01 PM

छातापुर. डॉक्टर को धरती का भगवान यूं ही नहीं कहा जाता है, कई ऐसे मौके पर डॉक्टर ही हैं जो मौत के मुहाने पर खड़े मरीज को बाहर कर नया जीवन दान देते हैं. ऐसा ही एक मामला शनिवार की रात सीएचसी छातापुर में देखने को मिला. सर्पदंश से पीड़ित प्रखंड के जीवछपुर बाजार की मुन्ना भगत की 39 वर्षीया पत्नी रेणु देवी को सीएचसी में भर्ती कराया गया था. सीएचसी आने में विलंब के कारण उसकी हालत काफी नाजुक बन गयी थी. सीएचसी में कर्तव्य पर मौजूद तीन प्रशिक्षु चिकित्सक डॉ प्रकाश दास, डॉ शशि शंकर व डॉ आशीष ने बेहद नाजुक महिला का उपचार शुरू किया. चिकित्सकों की निगरानी में वार्ड असिस्टेंट अशोक राय द्वारा रात्रि आठ बजे भर्ती मरीज की चार घंटे तक गहन चिकित्सा का दौर चला. उपचार के बीच मरीज की तबीयत कई बार नियंत्रण से बाहर हो गयी. लेकिन प्रशिक्षु चिकित्सकों का विश्वास नहीं डिगा और उचित परामर्श के साथ दवा चलाते रहे. मरीज को भी आंख खोले रखने और साहस को बनाये रखने का सलाह देते रहे. 32 वां भाइल एभीएस इंजेक्शन लगाने के बाद मरीज की तबीयत में सुधार दिखने लगी. स्थिति सामान्य होने के बावजूद उपचार जारी रहा. इस बीच जानकारी के बाद मुख्यालय पंचायत के मुखिया प्रतिनिधि मकसूद मसन भी सीएचसी पहुंचे और मरीज का हालचाल लिया. चिकित्सकों की मानें तो महिला को सर्प ने डंस लिया था. कुल 32 भाइल एभीएस इंजेक्शन लगाये गये. साथ ही लाइकोटिन, गैस व दर्द के इंजेक्शन लगाया गया. खतरे से बाहर होने के बाद भी कुल 12 घंटे तक मरीज को उपचार के साथ चिकित्सीय निगरानी में रखा गया. मरीज के पति मुन्ना भगत ने बताया कि संध्या काल मवेशी के समीप अलाव जलाने के लिए उनकी पत्नी मकई का नेढा ले रही थी. उसी वक्त सर्प ने हाथ में डंस लिया. उन्होंने चिकित्सकों का आभार व्यक्त करते कहा कि यूं ही नहीं डॉक्टर को धरती का भगवान कहा जाता है.

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