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67 साल पुराने विद्यालय का मानसून आते ही बदल जाता है ठिकाना

दो कमरे में होती है वर्ग एक से आठ तक की पढ़ाई

– दो कमरे में होती है वर्ग एक से आठ तक की पढ़ाई सुपौल. शिक्षा के क्षेत्र में गुणात्मक सुधार को लेकर सरकार लगातार प्रयास कर रही है. ऐसे में स्कूलों के इंफ्रास्ट्रक्चर और आधारभूत संरचना पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है. हर विद्यालय में बच्चों को पढ़ने के लिए समुचित भवन और कमरे की व्यवस्था की गयी. ताकि बच्चे आराम से बैठकर स्कूल में पठन-पाठन कर सके. लेकिन कुछ ऐसे भी विद्यालय हैं, जो सरकार के इन दावों की पोल खोल रही है. जहां स्कूल के स्थापना के छह दशक बीत जाने के बाद भी बच्चे टीन के शेड में बैठकर पढ़ने को विवश हैं. इतना ही नहीं बारिश के कारण बच्चों को दूसरे विद्यालय में शिफ्ट भी होना पड़ता है. सरायगढ़ प्रखंड के उत्क्रमित मध्य विद्यालय पिपराखुर्द की यह स्थिति देख कोई भी सहम जाएगा. बारिश होते ही स्कूल परिसर में पानी जमा हो जाता है और स्कूल को दूसरे जगह शिफ्ट कर दिया जाता है. 1957 में विद्यालय की हुई स्थापना विद्यालय की स्थापना वर्ष 1957 में हुई थी. विद्यालय में अब तक सिर्फ दो कमरों का भवन है. इस स्कूल में करीब ढाई सौ बच्चे नामांकित हैं और पांच शिक्षक-शिक्षिकाएं विद्यालय में पदस्थापित हैं. बच्चों की संख्या को देखते हुए ग्राउंड में टीन का शेड बना दिया गया है. ताकि बच्चे टीन के शेड में बैठकर पढ़ाई कर सके. इस बीच बारिश शुरु होते ही विद्यालय में पानी घुस गया. जिसके बाद पिछले 11 जुलाई को इस विद्यालय के बच्चों को पास के ही एक विद्यालय में शिफ्ट कर दिया गया. कहते हैं एचएम विद्यालय के हेडमास्टर महेंद्र शर्मा बताते हैं कि विद्यालय को भूमि नहीं है. जिसके चलते इसमें भवन नहीं बन रहा है. कहा कि पूर्व में दो कमरों का भवन बना था. जिसमें किसी तरह वर्ग एक से आठ तक की पढ़ाई होती है. जमीन नहीं होने के कारण किचन शेड भी नहीं बनाया गया है. टीन का दो अलग शेड डालकर किसी तरह उसमें बच्चों की पठन पाठन होती है और दूसरे शेड में एमडीएम बनता है. उन्होंने कहा कि पिछले दिनों विद्यालय में पानी आ जाने के कारण कमरे में रखा अधिकांश सामान भी खराब हो गया. जिसके बाद विभाग को सूचना दी गयी. हालात को देखते हुए विभागीय निर्देश पर पिछले 11 जुलाई से विद्यालय को अन्य विद्यालय में तत्काल शिफ्ट कर दिया गया है.

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