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विद्या की देवी मां सरस्वती पूजनोत्सव आज, तैयारी को अंतिम रूप देने में जुटे आयोजक

सरस्वती की पूजा को लेकर युवाओं में जबरदस्त उत्साह देखा जा रहा है

– मुख्यालय में तीन दर्जन से अधिक जगहों पर होती है पूजा – छात्रों व बच्चों में उत्साह का माहौल सुपौल. बसंत पंचमी के अवसर पर ज्ञान, संगीत और कला की देवी मां सरस्वती की पूजा को लेकर युवाओं में जबरदस्त उत्साह देखा जा रहा है. सोमवार को विद्या की देवी मां सरस्वती की पूजा अर्चना को लेकर उनकी प्रतिमा को मूर्तिकारों द्वारा अंतिम रूप दिया गया. विद्या की देवी मां सरस्वती की पूजा-आराधना जिले में सोमवार को धूमधाम से की जाएगी. जिसकी सभी तैयारियां पूरी कर ली गई है. सरस्वती पूजा को लेकर छात्र-छात्राओं में उत्साह का माहौल व्याप्त है. पूजा को लेकर जिला मुख्यालय के चौक-चौराहे व ग्रामीण इलाके के टोलो-मुहल्ले में मंडप बनाये जा रहे हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में भी कई जगहों पर युवाओं द्वारा पूजा को लेकर पांडाल आदि सजाए गये हैं. जबकि मूर्ति बनाने वाले कारीगरों द्वारा प्रतिमा को अंतिम रूप दे दिया गया है. इसके अलावा स्कूल व शैक्षणिक संस्थानों में भी छात्र-छात्राओं द्वारा पूजा की तैयारी की जा रही है. रविवार को मुख्यालय के सड़कों पर कई युवकों व छात्र-छात्राओं द्वारा माता सरस्वती की प्रतिमा को ठेला व निजी वाहनों पर लादकर जाते दिखे. पूजा को लेकर बाजारों में भी रौनक बनी हुई है. सरस्वती पूजा के अवसर पर बनाये जा रहे मंडपों को सजाने के लिए व फल एवं मिठाई खरीदने के लिए रविवार को बाजार में लोगों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी. 70 से 80 लाख रुपये खर्च होने का है अनुमान शिक्षण संस्थान से लेकर सार्वजनिक स्थानों पर जोर-शोर से तैयारी की जा रही है. सरस्वती पूजा को लेकर बच्चों में काफी उत्साह देखी जा रही है. जानकारी अनुसार जिला मुख्यालय में लगभग तीन दर्जन शिक्षण संस्थानों व सार्वजनिक जगहों पर मां सरस्वती की पूजा-अर्चना की जाती है. जिसमें भव्य पंडाल सहित अन्य साज-सज्जा पर लगभग 70 से 80 लाख रुपये खर्च होने का अनुमान बताया जा रहा है. हालांकि इस बार मां सरस्वती की प्रतिमा 05 सौ से 25 हजार रुपये तक हो जाने के बावजूद लोग महंगा प्रतिमा खरीदने में अधिक दिलचस्पी दिखा रहे हैं. माता के भक्त डॉ ओपी अमन ने बताया कि वे पिछले 20 वर्षों से मां सरस्वती की पूजा अर्चना करते आ रहे हैं. शिक्षक पंचम साह ने बताया कि पंडाल, मूर्ति सहित प्रसाद पर हर वर्ष डेढ़ से 02 लाख रुपये खर्च करते हैं. बसंत पंचमी का महत्व मिथिला पंचांग के अनुसार छह ऋतुएं होती है. इसमें बसंत को ऋतुओं का राजा कहा जाता है. बसंत फूलों के खिलने और नयी फसल के आने का त्योहार है. बसंत ऋतु का अपना एक अलग महत्व है. इस मौसम में खेतों में सरसों की फसल पीले फूलों के साथ आमों के मंजर पर आये फूल चारों तरफ हरियाली को देख लोग खुशनुमा बन जाते हैं. आचार्य धर्मेंद्र नाथ मिश्र ने कहा कि इस ऋतु का आध्यात्म के साथ-साथ सेहत के दृष्टि से भी काफी अच्छा माना जाता है. इस ऋतु के आगमन के साथ ही इंसानों के साथ-साथ पशु पक्षी में एक नयी चेतना का संचार होता है. बागों में कोयल की गूंज सुनाई देने लगती है. उन्होंने कहा कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां सरस्वती का जन्म इसी दिन हुआ था. इसलिए इस दिन हम लोग इसे सरस्वती पूजा के रूप में भी मनाते हैं. पूजा को लेकर बाजार में सजी रही दुकानें सरस्वती पूजा को लेकर बाजार में विभिन्न फल-फूल आदि की दुकानें सजी हुई है. जिसमें मुख्य रूप से बैर, केला, सेब, शकरकंद, नारंगी, अंगूर व अन्य फल शामिल है. पूजा करने वाले श्रद्धालुओं द्वारा इसकी खरीदारी की जा रही थी. पूजा में शामिल छात्र-छात्रा शहर के विभिन्न चौक चौराहे पर साज-सज्जा व फलों की दुकानों पर खरीदारी करते देखे गये. इसके अलावा खास तौर पर बुंदिया व लड्डू तैयार किये जा रहे थे. मालूम हो कि इस पूजा में प्रसाद के रूप में बुंदिया व शीतल प्रसाद के साथ विशेष रूप से फल चढ़ाए जाते है. जिस कारण पूजा को लेकर इन सामग्रियों की बिक्री बाजार में परवान पर थी. मां सरस्वती को सजाने के लिए दुकानों पर खरीदारों की भीड़ लग रही है. श्रद्धालु पूजा पाठ की सामग्री व सजावट की खरीददारी में अभी से ही जुटे दिखाई दे रहे हैं. वहीं जहां भव्य रूप से पूजा पाठ का आयोजन किया जाता है. वहां पांडाल का निर्माण कराया जा रहा है. मन बुद्धि और ज्ञान की अधिष्ठात्री देवी हैं माता सरस्वती : आचार्य धर्मेंद्रनाथ मिश्र करजाईन. माता सरस्वती यानि शारदा देवी मन, बुद्धि और ज्ञान की अधिष्ठात्री देवी हैं. विद्या की देवी सरस्वती हंस वाहिनी, श्वेत वस्त्र धारणी, चारभुजा धारी और वीणा वादिनी है. अतः संगीत और अन्य ललितकलाओं की अधिष्ठात्री देवी भी सरस्वती ही है. शुद्धता, पवित्रता, मनोयोग पूर्वक निर्मल मन से साधना करने पर उपासना का पूर्ण फल सरस्वती माता प्रदान करती है. साधक विद्या बुद्धि और नाना प्रकार की कलाओं में सिद्ध सफल होता है तथा मनुष्य की सभी अभिलाषाएं पूर्ण होती है.यह कहना है गोसपुर गाम निवासी आचार्य पंडित धर्मेंद्रनाथ मिश्र का. कहा कि इस बार सरस्वती पूजा 03 फरवरी को होगी. मां भगवती सरस्वती का विशेष उत्सव माघ मास शुक्ल पक्ष पंचमी तिथि को अर्थात बसंत पंचमी को काफी हर्षोल्लास के साथ सरस्वती पूजा संपूर्ण भारत में धूमधाम से मनाया जाता है. इस विशेष पर्व पर विशेष रूप से वाणी की अधिष्ठात्री देवी मां सरस्वती की आराधना की जाती है. विश्व का समस्त ज्ञान विज्ञान सारी विद्याएं सारी विद्वता मां सरस्वती की शक्तियों में ही निहित है. जब-जब आवश्यकता होती है परमेश्वर ब्रह्मा ,विष्णु, शिव, महाकाली ,महालक्ष्मी, मा सरस्वती रूप में अवतरित होते है. महाकाली रौद्ररूपा शक्ति प्रधान दुष्टों का संहार करती है. सत्य प्रधान महालक्ष्मी सृष्टि का पालन करती है तथा प्रधान ब्राह्मणी शक्ति महा सरस्वती जगत की उत्पत्ति व ज्ञान का कार्य करती है. मां सरस्वती की कृपा से महामूर्ख भी कालिदास बन सकता है.

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