20.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

मैथिली साहित्य में कविता की रही है लंबी परंपरा

आधुनिक मैथिली साहित्य में डॉ महेन्द्र अपनी विशिष्ट कविता, गीत व अनूठे गद्य के लिए जाने जाते हैं

सुपौल. मैथिली साहित्य में कविता की लंबी परंपरा रही है. महाकवि विद्यापति से लेकर आधुनिक काल तक यह परंपरा चली आ रही है. आधुनिक मैथिली साहित्य में डॉ महेन्द्र अपनी विशिष्ट कविता, गीत व अनूठे गद्य के लिए जाने जाते हैं. यह बातें प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ सुभाष चन्द्र यादव ने कही. वह रविवार को किसुन संकल्प लोक सुपौल के बैनर तले आयोजित मधु झा काव्य शृंखला के अन्तर्गत कवि-गीतकार डॉ महेन्द्र के एकल काव्यपाठ को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि मधु अत्यंत प्रतिभाशाली थी. अल्पवयस में मधु हमलोगों को छोड़कर चली गयी. उसकी स्मृति में ऐसे आयोजन भविष्य में भी आयोजित किए जाएंगे. इस अवसर पर डॉ महेन्द्र ने अपनी चुनिंदा कविताओं का पाठ किया. कुछ मनभावन गीत भी गाये. डॉ रेणु कुमारी ने बताया कि सुपौल की गरिमा के अनुकरण इस तरह के सांस्कृतिक आयोजन अवश्य किये जाने चाहिए. कथाकार आशीष चमन ने कहा कि नई पीढ़ी के रचनाकारों को ऐसे आयोजनों से अच्छी सीख मिलती है. मौके पर उपस्थित लेखिका सुस्मिता पाठक ने कहा कि डॉ महेन्द्र की कविताएं बेचैन करती है. उनके गीत शुष्क हृदय में भी नयी उर्जा का संचार करती है. युवा कवयित्री दीपिका चन्द्रा ने कहा कि ऐसे आयोजन हमलोगों को समझने और सीखने का अवसर मिलता है. धन्यवाद ज्ञापन करते हुए संस्था के सचिव केदार कानन ने कहा कि मधु झा स्मृति काव्य पाठ शृंखला अनवरत चलती रहेगी.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें