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दिवाली को लेकर सजने लगा बाजार

दीया के साथ अन्य कई कलाकृतियां बनाने में जुटे कुम्हार

By Prabhat Khabar News Desk | October 27, 2024 10:01 PM

दीया के साथ अन्य कई कलाकृतियां बनाने में जुटे कुम्हार सुपौल. इस बार 31 अक्टूबर को दीपोत्सव है. इसे लेकर तैयारियां जोरों पर है. दीपावली में दीये की मांग सबसे ज्यादा होती है. जिसे बनाने के लिए कुम्हार परिवार के लोग रोजाना अपनी क्षमता के अनुसार चाक पर दीया बनाने में लगे हुए हैं. दिवाली को लेकर बाजार सज-धज कर तैयार है. बाजार में रंग-बिरंगी आकर्षक लाइटें आ रही हैं, तो परंपरागत दीया बनाने का कार्य भी जोर-शोर से चल रहा है. अच्छी कमाई की आस लिए कुम्हार रोजाना बड़ी संख्या में मिट्टी का दीया बना रहे हैं. धूप में सूखाकर बाजार में उतारने की तैयारी है. हालांकि कुछ कुम्हार अपने कच्चे दीया को पकाकर बाजार में उतार रहे हैं. शहर के साथ-साथ दीया बनाने का कार्य ग्रामीण क्षेत्रों में भी चल रहा है. कुम्हारों ने बताया कि इस साल दिवाली के लिए उन्होंने बड़ी संख्या में दीए बनाए हैं. उम्मीद है कि दिवाली में दीया की मांग बढ़ने से उनकी आय में बढ़ोतरी होगी. लेकिन उन्हें यह भी चिंता सता रही है कि बाजार में आने वाले चाइनीज दीये कहीं उन्हें नुकसान न पहुंचा दे. बावजूद कुम्हार परिवार अपने कार्य में लगा हुआ है. अरुण पंडित ने बताया कि उन्हें चाक पर दीया बनाने का कार्य कम उम्र में ही शुरू किया था, तब पिता ने उन्हें चाक पर दीया बनाना बताया था, तब से वे इस कार्य को कर रहे हैं. दीया के साथ-साथ चाक से मिट्टी को कई अन्य प्रकार के आकार भी देते हैं और इससे दीया के साथ-साथ अन्य कई कलाकृतियां बनाई जाती है. इस कार्य में मेहनत ज्यादा है. कहा कि जितना मेहनत उन्हें मिट्टी लाने से लेकर इसे तैयार करने और पकाने में लगता है उससे कम आमदनी हो रही है. ऊपर से महंगाई बढ़ने के कारण मुनाफा घट गया है. चाक पर बनने वाले दीया को पकाने के बाद इसे बाजार में उतारने का काम शुरू किया गया है. मौसम में आया बदलाव तो आग पर सूखा रहे कच्चा दीया रोशनी के त्योहार दिवाली को लेकर मिट्टी के दीये बनाने वाले कारीगर दिन-रात लोगों के घरों को रोशन करने के लिए दीये बनाने में लगे हुए हैं. मौसम में आई ठंडक ने हालांकि काम की गति थोड़ी धीमी की है लेकिन रोजाना ये लोग चार से पांच हजार दीये बना रहे हैं. हिंदुओं के सबसे बड़े त्योहार दीपावली को लेकर शहर सहित पूरे ग्रामीण क्षेत्रों में खुशी का माहौल है. हर कोई दिवाली की तैयारी में जुटा हुआ है. मौसम में अचानक बदलाव के बाद धूप में दीया नहीं सूखने के कारण अब इसे आग में पकाने का का कार्य किया जा रहा है. बताया कि दो दिन से मौसम ठंडा होने के साथ बादल छाए हुए हैं, इसलिए इन्हें अब आग लगाकर सुखाना पड़ रहा है. ताकि समय रहते इन्हें तैयार कर बाजार में भेजा जा सके. 31 अक्टूबर को मनाया जायेगा दीपावली पर्व : आचार्य धर्मेंद्र सुपौल. कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष अमावस्या दीपावली पर्व के रूप में मनाया जाता है. कमला जयंती होने के कारण इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा अर्चना उपासना की जाती है. यह कहना है मैथिल पंडित आचार्य धर्मेंद्रनाथ मिश्र का. उन्होंने दीपावली माहात्म्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इस बार दीपावली दिनांक 31 अक्टूबर को दिन में 03 बजकर 23 मिनट से अमावस्या तिथि शुभारंभ हो जाएगी. उसी दिन संध्या काल प्रदोष के समय में महा लक्ष्मी पूजन के साथ साथ दीपोत्सव, उल्का भ्रमण आदि देवताओं के पूजन संपन्न होंगे. इस त्योहार को मनाने के विभिन्न कारण पुराणों में वर्णित है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान श्री राम ने 14 वर्ष के वनवास एवं लंका पर विजय के उपरांत अयोध्या लौटे थे. इस अवसर पर अयोध्या वासियों ने अपने-अपने घरों में दीप जलाकर उनका स्वागत किया था. तभी से यह पर्व समस्त भारत में प्रकाश पर्व के रूप में और दीपावली के रूप में मनाया जाता है. इस बार दीपावली 31 अक्टूबर 2024 को गुरुवार के दिन होगा. इस दिन घर की साफ सफाई करके सायं काल दीपदान करना चाहिए. दीपावली का पर्व महालक्ष्मी पूजा के लिए विशेष पर्व है. ब्रह्मपुराण में लिखा है कि दीपावली की अर्धरात्रि के समय महालक्ष्मी सद्गृहस्थों के स्थान घरों में विचरण करती है. दीपावली तथा दीपमालिका मनाने से लक्ष्मी माता प्रसन्न होती है, और वहां सदैव निवास करती है. इस रात्रि को महानिशा की संज्ञा दी गई है. लक्ष्मी पूजन के अतिरिक्त भगवान गणेश, महाकाली, माता सरस्वती, तुला, वही, खाता, लेखनी, दाबात एवं कुबेर का पूजन करते हैं. यह सभी पूजन प्रदोष काल एवं स्थिर लग्न में शुभ होते हैं. लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त संध्या काल 05 बजकर 30 मिनट से लेकर रात्रि में 07 बजकर 07 मिनट तक है. इस समय महालक्ष्मी पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है. मान्यता है कि इस लग्न में पूजन से मां लक्ष्मी का घर व व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में अस्थाई निवास होता है. एक पीढ़ी पर वेदी बनाकर उस पर कलश रखकर, विधि विधान के साथ लक्ष्मी, गणेश, कुबेर तथा नवग्रह आदि देवताओं का पूजन किया जाता है. लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त संध्या काल 05: 30 से 07 बजकर 07 मिनट तक में संकल्प ले लिया जाना चाहिए.

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