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फाइलेरिया उन्मूलन कार्य करने में मीडिया की भूमिका अहम : सिविल सर्जन

सिविल सर्जन ने बताया फाइलेरिया एक संक्रमित क्यूलेक्स मच्छर से होने वाला एक गंभीर रोग है

– फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के लिए जिला स्वास्थ्य समिति द्वारा सीफार के सहयोग से हुआ मीडिया कार्यशाला का आयोजन- फाइलेरिया के बचाव के लिए 10 फरवरी से अगले 17 दिन तक चलेगा सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम- जिले में 11,93,875 लोगों को खिलाई जाएगी डीईसी व अल्बेंडाजोल की दवासुपौल. लोगों को फाइलेरिया से सुरक्षित रखने और बचाव के प्रति जागरूक करने के लिए जिले में फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम का आयोजन 10 फरवरी से 27 फरवरी तक सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम (एमडीए ) के रूप में किया जा रहा है. उक्त कार्यक्रम के सफल क्रियान्वयन के लिए जिला स्वास्थ्य समिति द्वारा सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) के सहयोग से सिविल सर्जन कार्यालय में एकदिवसीय मीडिया कार्यशाला का आयोजन किया गया. सिविल सर्जन डॉ ललन कुमार ठाकुर की अध्यक्षता में आयोजित कार्यक्रम में सभी मीडिया कर्मियों से मीडिया के माध्यम से लोगों को फाइलेरिया के प्रति जागरूक करने और सरकार द्वारा चलाए जा रहे सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम में भाग लेकर कार्यक्रम को सफल बनाने की अपील की गई. सिविल सर्जन ने बताया फाइलेरिया एक संक्रमित क्यूलेक्स मच्छर से होने वाला एक गंभीर रोग है. यह मुख्य रूप से लिम्फेटिक सिस्टम को प्रभावित करते हैं, जो शरीर में तरल पदार्थ के संतुलन को बनाए रखने और संक्रमण से लड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. इस रोग के परिणामस्वरूप अंगों में सूजन और विकृति हो सकती है. फाइलेरिया को आमतौर पर (लिम्फोडिमा) हाथी पांव भी कहा जाता है. कोई भी व्यक्ति किसी भी उम्र में फाइलेरिया से संक्रमित हो सकता है. फाइलेरिया के प्रमुख लक्षण हाथ और पैर या हाइड्रोसील (अण्डकोष) में सूजन का होना होता है. मीडिया कार्यशाला में वेक्टर रोग नियंत्रण पदाधिकारी सिकंदर कुमार, अनीशा भारती, विपिन कुमार, सीफार के डिविजनल कोऑर्डिनेटर अमन कुमार, सहित अन्य लोग उपस्थित रहे.

फाइलेरिया रोकथाम के लिए फाइलेरिया रोधी दवाओं का सेवन जरूरी

सिविल सर्जन ने बताया फाइलेरिया संक्रमित मच्छरों के काटने से फैलता है. जब मच्छर किसी संक्रमित व्यक्ति का खून चूसता है, तो माइक्रोफ़ाइलेरिया (परजीवी के लार्वा) मच्छर के शरीर में प्रवेश कर जाते हैं. फिर ये लार्वा मच्छर के शरीर में विकसित होते हैं और मच्छर जब किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है, तो लार्वा उस व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर जाते हैं, जिससे संक्रमण होता है. फाइलेरिया की रोकथाम के लिए साल में एक बार एमडीए के दौरान फाइलेरिया रोधी दवाओं का सेवन करना जरूरी है. पांच साल तक एमडीए के दौरान दवा सेवन से फाइलेरिया की रोकथाम संभव है. जिले में आयोजित एमडीए अभियान के दौरान दवा का सेवन कराया जाएगा. जिसमें डीईसी व अल्बेंडाजोल की दवा शामिल है.

फाइलेरिया होने के बाद इसका पूर्ण इलाज संभव नहीं

बताया कि फाइलेरिया होने के बाद इसका पूर्ण इलाज संभव नहीं होता. ख़ासकर पैरों में फ़ाइलेरिया होने के बाद इसे पुनः पहले की तरह अच्छा करना काफी मुश्किल होता है. हालांकि हाइड्रोसिल का ऑपरेशन के बाद इसे पूरा ठीक किया जा सकता है. हाथी पांव की स्थिति में इसका केवल कुशल प्रबंधन संभव है. इसके लिए सरकार द्वारा रुग्णता प्रबंधन एवं विकलांगता प्रबंधन (एमएमडीपी) कार्यक्रम के तहत पीड़ित लोगों को एमएमडीपी किट प्रदान किया जाता है एवं उन्हें पैरों की साफ-सफाई एवं उचित व्यायाम के जरिए इसके प्रबंधन की जानकारी दी जाती है.

जिले में 11.93 लाख लोगों को खिलाई जाएगी डीईसी व अल्बेंडाजोल की दवा

सिविल सर्जन ने बताया लोगों को फाइलेरिया संक्रमण से सुरक्षित रखने के लिए आशा व आंगनबाड़ी सेविका द्वारा लोगों को घर-घर जाकर अपनी उपस्थिति में डीईसी व अल्बेंडाजोल की दवा खिलाई जाएगी. एमडीए कार्यक्रम के दौरान जिले के 11 लाख 93 हजार 875 लोगों को यह दवा खिलाई जाएगी. अभियान जिले के सुपौल सदर, किशनपुर, राघोपुर, त्रिवेणीगंज, निर्मली के 264 वार्ड एवं ग्राम में लोगों को दवा खिलाई जाएगी. जिसके लिए ड्रग एडमिनिस्ट्रेटर टीम 650, सुपरवाइजर 65 लगाया गया है. जिसके लिए जिले में 11 लाख 93 हजार 875 एल्बेंडाजोल एवं 29 लाख 84 हजार 687 डीईसी की दवा उपलब्ध कराई गई है. उन्होंने बताया 02 साल से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और गंभीर रोग से पीड़ित व्यक्तियों के अलावा सभी लोगों को दवा खिलाई जानी है.

गर्भवती महिला व गंभीर रोग से ग्रसित लोग नहीं खाएंगे दवा

फाइलेरिया उन्मूलन सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम में 02 वर्ष से 05 वर्ष के बच्चों को डीईसी तथा अल्बेंडाजोल की एक गोली, 05 वर्ष से 15 वर्ष तक के लोगों को डीईसी की दो तथा अल्बेंडाजोल की एक गोली एवं 15 वर्ष या उससे अधिक उम्र के लोगों को डीईसी की तीन तथा अल्बेंडाजोल की एक गोली खिलाई जाएगी. लोगों द्वारा अल्बेंडाजोल का सेवन आशा की उपस्थिति में चबाकर किया जाना है. 02 वर्ष से कम उम्र के बच्चों तथा गर्भवती महिलाओं तथा गंभीर रोग से ग्रसित लोगों को कोई दवा नहीं खिलायी जानी है. कार्यक्रम में छूटे हुए घरों में आशा कर्मियों द्वारा पुनः भ्रमण कर दवा खिलाई जाएगी. बताया कि खाली पेट दवा का सेवन नहीं किया जाना है. दवा स्वास्थ्य कर्मियों के सामने ही खाना जरूरी है. अल्बेंडाजोल की गोली चबाकर खाई जानी है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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