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नाइट ब्लड सर्वे पूर्ण, 4200 लोगों का लिया गया सैंपल, 18 मरीज पाये गये पॉजिटिव

दिव्यांगता का लगभग 50 प्रतिशत हिस्सा फाइलेरिया के कारण है

– 10 फरवरी से खिलायी जायेगी फाइलेरिया की दवा- जिले के पांच प्रखंड में सर्वजन दवा का किया जायेगा वितरणसुपौल. जिले को फाइलेरिया मुक्त बनाने के लिए सर्वजन दवा सेवन का कार्यक्रम 10 फरवरी से संचालित किया जाएगा. इसके लिए नाइट ब्लड सर्वे का काम पूरा हो चुका है. नाइट ब्लड सर्वे के दौरान 4200 लोगों का सैंपल लिया गया. जिसमें 18 लोग पॉजिटिव पाए गए हैं. जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ दीप नारायण ने बताया कि फाइलेरिया मच्छरों के काटने से होने वाली बीमारी है. जिसके शिकार लोग आगे चलकर दिव्यांग भी हो सकते हैं. दिव्यांगता का लगभग 50 प्रतिशत हिस्सा फाइलेरिया के कारण है. बताया कि सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम 10 फरवरी से संचालित होगा. सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम के आरंभ होने से पूर्व जिले के पांच प्रखंड सदर प्रखंड के ग्रामीण क्षेत्र, किशनपुर, राघोपुर, त्रिवेणीगंज एवं निर्मली प्रखंड में सर्वजन दवा वितरण कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा. इसको लेकर संबंधित सभी प्रखंड के एमओआईसी, बीएचएम, बीसीएम व सीएचओ को 16 जनवरी को प्रशिक्षण दिया गया है. ड्रग एडमिनिस्ट्रेटर को प्रशिक्षण दिया जा रहा है.

लोगों को किया जा रहा जागरूक

जिले में सर्वजन दवा सेवन की सफलता के लिए जागरूकता फैलायी जा रही है. इसके लिए स्वास्थ्य विभाग के साथ-साथ सहयोगी संस्थाएं भी प्रयासरत हैं. स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा जिले में घूम-घूम कर लोगों को फाइलेरिया से बचने के सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम में भाग लेने के लिए जागरूक किया जा रहा है. फाइलेरिया रोग के कारण, उससे बचने के उपाय एवं सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम में हिस्सा लेकर दवा सेवन करने के लिए लोगों को जागरूक किया जा रहा है.

10 फरवरी से जिले में खिलाई जाएगी दवा

वीभीडीसीओ विपिन कुमार ने बताया फाइलेरिया उन्मूलन सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम के तहत 10 फरवरी से दवा खिलाई जाएगी. जिसमें 02 वर्ष से 05 वर्ष के बच्चों को डीईसी व अल्बेंडाजोल की एक गोली, 06 वर्ष से 14 वर्ष तक के लोगों को डीईसी की दो तथा अल्बेंडाजोल की एक गोली एवं 15 वर्ष या उससे अधिक उम्र के लोगों को डीईसी की तीन तथा अल्बेंडाजोल की एक गोली खिलाई जाएगी. लोगों द्वारा अल्बेंडाजोल का सेवन आशा की उपस्थिति में चबाकर किया जाना है. 02 वर्ष से कम उम्र के बच्चों तथा गर्भवती महिलाओं को कोई दवा नहीं खिलायी जानी है. कार्यक्रम में छूटे हुए घरों में कर्मियों द्वारा पुनः भ्रमण कर दवा खिलाई जाएगी. खाली पेट दवा का सेवन नहीं किया जाना है. दवा स्वास्थ्य कर्मियों के सामने ही खाना जरूरी है.

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