– ईश्वर दर्शन के बाद हर व्यक्ति में छुपा विवेकानंद होता है प्रकट : यादवेंद्रनंद पिपरा. पिपरा बाजार स्थित विनोबा मैदान में दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा आयोजित श्री रामचरितमानस एवं गीता ज्ञान यज्ञ कार्यक्रम के अंतिम दिन शुक्रवार को सर्वश्री आशुतोष जी महाराज की शिष्या साध्वी अमृता भारती जी कहा कि भक्ति हीन सब गुण सुख ऐसे-लवण बिना बहू व्यंजन जैसे. अर्थात भक्ति के बिना जीवन ठीक ऐसे ही है, जैसे नमक के बिना अनेकों प्रकार के व्यंजन. भक्ति की शुरुआत संत के संग से होती है .कहा कि पूर्ण सतगुरु के सानिध्य में शिष्य उसी सनातन मार्ग को प्राप्त करता है, जिस मार्ग को भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को दिया. जिसे केवट और हनुमत जी ने प्राप्त किया. भगवान जानने का विषय है मानने का नहीं. भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को सिर्फ गीता का संदेश नहीं दिया बल्कि अपने विराट रूप का दर्शन भी ब्रह्म ज्ञान प्रदान कर करवाया. देखने जाने के बाद प्रभु का ध्यान संभव है बिना देखे, बिना जाने, अरस परस के नाम लिए क्या होय, धन के कहे जो धनी हुए तो निर्धन रहे ना कोई. अर्थात जिस प्रकार सिर्फ धन की बातें करने से कोई धनी नहीं हो जाता, ठीक इसी प्रकार भगवान की कथा कहानियों को सुनने मात्र से कल्याण नहीं हो सकता. शिष्य स्वामी यादवेन्द्रानंद जी ने कहा कि ईश्वर दर्शन के बाद हर व्यक्ति में छुपा विवेकानंद प्रकट होता है और अधीर मन शांत होता है. आप भी स्वामी विवेकानंद की भांति खोजी तो बने. आज हम आंखें बंद करके किसी को भी गुरु धारण कर लेते हैं किसी को भी गुरु मान लेते हैं. जबकि समस्त शास्त्र ग्रंथ कहते हैं कि पूर्ण गुरु की पहचान है ब्रह्म ज्ञान. पूर्ण गुरु दिव्य दृष्टि प्रदान कर ईश्वर का दर्शन अंतरघट में करते हैं पूर्ण गुरु की पहचान कोई बड़े-बड़े आश्रम या मठ नहीं ब्रह्म ज्ञान है. प्रत्यक्ष अनुभूति पर आधारित ऐसा ब्रह्म ज्ञान आज भी उपलब्ध है क्या आप खोजी हैं परमात्मा के लिए. इस कार्यक्रम को सफल बनानें में युवा परिवार सेवा समिति के सदस्य, अरविंद जी, संजय जी, कैलाश जी, सभी नगरवासी, ग्राम वासियों, प्रिंट मीडिया, जिला प्रशासन की भूमिका अहम रही.
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