लागत के अनुरूप धान की नहीं हुई पैदावार, किसानों को पूंजी भी नहीं हो पा रही उपर

जिससे किसानों के चेहरे पर मायूसी छा गयी है.

By Prabhat Khabar News Desk | November 12, 2024 7:13 PM
an image

बलुआ बाजार धान की अच्छी उपज को लेकर छातापुर व बसंतपुर प्रखंड क्षेत्र के किसानों ने बड़े पैमाने पर धान की रोपाई की थी. बावजूद किसानों को उसके मंसूबों पर आपदा ने करारा प्रहार किया है. प्रखंड क्षेत्र के तुलसीपट्टी, निर्मली, विशनपुर, बलुआ, चैनपुर, लक्ष्मीनियां, मधुबनी आदि के किसानों ने धान की अच्छी फसल का आस लगाए हुए बैठे थे. वहां अब किसानों को पेट के भूख मिटाने के लिए भी तरस खा रहे हैं. किसान महंगें दामों पर धान की बीज से लेकर रासायनिक खाद व कीटनाशक दवाई का प्रयोग किया था. बावजूद किसानों को पूंजी भी ऊपर नहीं हो पा रही है. जिससे किसानों के चेहरे पर मायूसी छा गयी है. इस बार प्राकृतिक ने किसानों के साथ भद्दा मजाक किया है. बसंतपुर व छातापुर प्रखंड क्षेत्रों में 40% से अधिक धान की रोपाई की गयी थी. जिसमें बारिश और आंधी ने विशनपुर शिवाराम बलुआ व ठुठी में सर्वाधिक धान की फसल बर्बाद हो गयी थी. – इस बार ठूठी पंचायत के लगभग धान की मंजा पूंजी के अनुरूप बहुत ही कम है. धान की वास्तविक मंजा कम से कम पर कट्ठा 4-5 मन होना चाहिए था. लेकिन 91 मन की कट्ठा आते आते धान दम तोड़ रही है. इस बार आपदा भी किसानों को बहुत ज्यादा परेशान किया है. ऐसे में निश्चित ही सरकार को किसान के प्रति उचित कदम उठाए जाने की आवश्यकता है. मनोज राय, मुखिया प्रतिनिधि, ठूठी पंचायत – तुलसीपट्टी में जमीन बलुआई मिट्टी है. यहां बरसात के कारण फसल कम प्रभावित हुआ है. लेकिन हाल में जो हवा आई है, उसमें पछता धान को सुला दिया, जो पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया है. कमलेश साह, किसान, तुलसीपट्टी – वर्षा के अभाव पहले तो धान का फसल पीला पड़ गया था. बलुआ में धान फसल काफी प्रभावित हुआ. बचा खुचा धान में मंजा कम आ रहा है. हाल में आंधी से जमीन के निचले भाग में धान की फसलें बर्बाद हो गयी है. प्रभात मिश्र, पैक्स अध्यक्ष, बलुआ बाजार कहते हैं अधिकारी वीरपुर फर्टिलाइजर राजीव रंजन ने बताया कि अपने बसंतपुर प्रखंड में इस साल शत-प्रतिशत धान की फसल लगाई गयी थी. जिसमे हाइब्रिड, भुट्टाराज, अगहनी, मसूरी सहित अन्य धान की फसल लगायी गयी है. इस बार आपदा ने किसानों के धान की फसलें को प्रभावित किया है. लगभग 20 प्रतिशत धान क्षति होने का आकलन किया गया. अभी भी 80 प्रतिशत धान सुरक्षित है. प्रखंड क्षेत्र के प्रत्येक पंचायत में पांच क्रॉप फसल कटिंग कर धान के उपज का आकलन किया जायेगा. अगर इसमें औसतन धान की उपज कम पाई जाती है तो ऐसे स्थिति में जो किसान फसल बीमा योजना के तहत फार्म भरे होंगे, उनको कृषि विभाग के द्वारा तय मानक पर लाभ दिया जायेगा.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Exit mobile version