भारतीय संविधान के संस्कृत भाषा में रूपांतरण के सहयोगी रहे प्रो रंजीत कुमार मिश्रा को लोगों ने दी बधाई
मंगलवार को भारत के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष एवं दोनों सदनों के नेता विपक्ष द्वारा लोकार्पण किया गया
राघोपुर. भारत के संविधान को संस्कृत भाषा में रूपांतरण करने में अपना अहम सहयोग देने वाले राघोपुर प्रखंड क्षेत्र के अड़राहा गांव निवासी व हंसराज कॉलेज नई दिल्ली के प्रो रंजीत कुमार मिश्रा को क्षेत्र के लोगों ने इस ऐतिहासिक उपलब्धि के लिए साधुवाद देते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की है. प्रभात खबर से बातचीत में प्रो मिश्र ने बताया कि सेंट्रल इंस्टिट्यूट ऑफ इंडियन लैंग्वेजेज मैसुरु व राष्ट्रीय अनुवाद मिशन के संयुक्त तत्वावधान में संविधान का संस्कृत अनुवाद किया गया है. उन्होंने बताया कि संविधान के संस्कृत और मैथिली दोनों भाषाओं में रूपांतरण का कार्य एक ही साथ चल रहा था. जिसके बाद मंगलवार को भारत के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष एवं दोनों सदनों के नेता विपक्ष द्वारा लोकार्पण किया गया. कहा कि मुझे काफी खुशी है कि इस ऐतिहासिक रूपांतरण कार्य में वह शामिल रहे. वहीं क्षेत्र के लोगों ने प्रो मिश्र को बधाई देते हुए कहा कि यह मिथिला क्षेत्र के लिए काफी अहम पल था, जब भारत के संविधान को मैथिली और संस्कृत में रूपांतरण कर उसका लोकार्पण किया गया. कहा कि लोकार्पण के साथ ही मिथिला के गौरवशाली इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ गया है. जो प्रत्येक मिथिलावासी के लिए गौरव की बात है. प्रो मिश्र को बधाई देने वालों में भूपेन्द्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय के पूर्व संस्कृत विभागाध्यक्ष प्रो शिवा कान्त मिश्र, अंग्रेजी विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो नारायण झा, सहरसा के पूर्व सिविल सर्जन डॉ ललन प्रसाद सिंह, प्रो मुरली प्रसाद सिंह, प्रो चुनचुन झा, कामेश्वर प्रसाद सिंह, राज नारायण प्रसाद गुप्ता, मो अंसार, कुलदीप सहनोगिया, गोपी कान्त झा, सुरेश पाठक, जयकृष्ण झा, कपिलेश्वर सिंह, सीतानन्द झा, बैद्यनाथ भगत, सचिन माधोगड़िया, उमेश गुप्ता, दिलीप पूर्वे, अमरदीप कुमार, महाकान्त मिश्र, शैलेन्द्र सिंह, ज्योति कुमार झा आदि शामिल हैं.
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