भूमि सर्वेक्षण कार्य शुरू होने के बाद अंचल के कर्मचारियों की शुरू हो गयी है मनमर्जी प्रतापगंज. बिहार भूमि सर्वेक्षण की सरकारी नीतियों से रैयतों के बीच उत्पन्न हो रही समस्या व परेशानियों के विरुद्ध प्रखंड क्षेत्र के रैयतों ने प्रखंड कार्यालय के समक्ष एक दिवसीय धरना-प्रदर्शन का आयोजन किया. प्रखंड किसान मोर्चा के बैनर तले 11 सूत्री मांगों के समर्थन में आयोजित धरना-प्रदर्शन में अन्य प्रखंड क्षेत्र के सहित सभी पंचायतों के सैकड़ों की संख्या में महिला एवं पुरुष रैयतों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया. देव नारायण मैरता की अध्यक्षता में आयोजित प्रदर्शन में अवध नारायण यादव, शेष नाथ सिंह, महेश्वर गोईत, नंद किशोर कुसियैत, राजेन्द्र यादव, ब्रह्मदेव पासवान, नीतीश कुमार बंटी, राज कुमार यादव, लड्डू बसैदार, दुर्गा सिंह, उमेश बिराजी आदि गणमान्य ने भूमि सर्वेक्षण में हो रही समस्याओं पर विस्तृत रूप से प्रकाश डाला. वक्ताओं ने कहा कि उन्हें सर्वे से कोई आपत्ति नहीं है. लेकिन सर्वे में त्रुटिपूर्ण नीति के कारण सभी प्रकार के रैयतों को कठिनाइयों के दौर से गुजरने के बावजूद खासकर छोटे-छोटे रैयतों का समाधान नहीं हो पा रहा है. जिससे रैयतों में अब आक्रोश पनपता जा रहा है. कहा कि जब से सर्वेक्षण का कार्य शुरु हुआ है, अंचल के कर्मचारियों की मनमर्ज़ी शुरु हो गई है. जो सर्वेक्षण के दस्तावेज अंचल के कार्यालय में होने चाहिए, वे रैयतों से मांग करते हैं. इसके आड़ में बिचौलियों द्वारा जमकर वसूली की जाती है. सर्वे कार्य में लूट-खसोट पूरी तरह से हावी हो चुकी है. बताया कि रजिस्टर–2 क्षतिग्रस्त हो चुका है, जो बचा है वह आधा-अधूरा और कटे-फटे स्थिति में हैं. किसानों के नाम जमाबंदी और रकबा का परिमार्जन, दाखिल-खारिज लंबित हैं. पुराने कागजात कैथी भाषा में रहने के कारण कोई समझने और समझाने वाला नहीं मिल रहा है. जमाबंदी के कागजात में प्लॉट नंबर है तो चौहद्दी और रकबा नहीं चढ़ा है. सर्वे शुरू हुआ तो अंचल कार्यालय में मनमानी बढ़ गई है. कहा कि सर्वे का काम जैसे-जैसे जोर पकड़ रहा है, वैसे-वैसे रैयतों में दस्तावेज को लेकर बेचैनी बढ़ रही है. प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में प्रखंड क्षेत्र के रैयत अपनी जमीन का दस्तावेज को लेकर जिला निबंधन और जिला अभिलेखागार तक पहुंच रहे हैं. कई लोग अभिलेखागार में अपने जमीन का खतियान का नकल निकालने पहुंच रहे हैं. अंचल व अनुमंडल कार्यालय में भी जमीन के कागजात में सुधार करने में लोगों की भीड़ पहुंच रही है. लेकिन यहां पर इनको संतोषजनक जवाब नहीं मिल रहा है. अब तो अधिकांश रैयतों को भय सताने लगा है कि कहीं बाप दादा की मिल्कियत हाथ से नहीं खिसक जाए. ऐसी स्थिति में सरकार पहले सर्वे की नीति में ठोस बदलाव करें. ताकि सही रैयत अपनी जमीन का सर्वे करवा सके. नहीं तो रैयतों का चरणबद्ध आंदोलन जारी रहेगा. तत्पश्चात किसान मोर्चा का एक शिष्टमंडल ने अपनी मांग पत्र का ज्ञापन बीडीओ के माध्यम से संबंधित विभागीय पदाधिकारी को सौंपा.
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