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शिव आराधना में विशिष्ट पूजा है रुद्राभिषेक : आचार्य धर्मेंद्रनाथ

अब यह जानना जरूरी है कि कौन-कौन से द्रव्य से अभिषेक किया जाना चाहिए

करजाईन. शिव पुराण के अनुसार प्रत्येक मानव का परम कर्तव्य एवं परम धर्म यह है कि भगवान शंकर को प्रसन्न करने हेतु उनके विशिष्ट पूजन में रुद्राभिषेक के द्वारा उनका यज्ञ याजन किया जाए. अब यह जानना जरूरी है कि कौन-कौन से द्रव्य से अभिषेक किया जाना चाहिए. श्रावण मास के सोमवार विशेष अवसर पर त्रिलोकधाम गोसपुर निवासी मैथिल पंडित आचार्य धर्मेंद्रनाथ मिश्र ने रुद्राभिषेक के महत्व एवं रुद्राभिषेक में प्रयोग होने वाले द्रव्य पर प्रकाश डालते हुए बताया कि जल से अभिषेक करने पर वृष्टि की प्राप्ति होती है. समस्त प्रकार की आधी व्याधि की शांति हेतु रोग की शांति हेतु कुशोदक अर्थात कुस मिला हुआ जल से अभिषेक करने से आधी व्याधि शांत होते हैं. लक्ष्मी की विशेष प्राप्ति हेतु गन्ने के रस से, धन प्राप्ति के लिए मधु तथा घृत एवं मोक्ष प्राप्ति के लिए तीर्थ के जल से रुद्राभिषेक करनी चाहिए. जिनको पुत्र रत्न चाहिए उन्हें गोदुग्ध के द्वारा अभिषेक विधि विधान से करने पर पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है .बंध्या हो या काकबंध्या हो, काक बंध्या का मतलब होता है मात्र एक संतान उत्पन्न करने वाली अगर वैसी जातक को गो दूध के द्वारा अभिषेक करें विधिवत वैदिक विधि विधान से शीघ्र ही पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है. कहा कि जल की धारा भगवान शंकर को अति प्रिय है. अतः ज्वर के प्रकोप को शांत करने हेतु जलधारा से अभिषेक करें. एक हजार मंत्रों सहित घृत की धारा से अभिषेक करने से वंश की वृद्धि यानी वंश का विस्तार होता है. इसमें कोई संशय नहीं. गो दुग्ध धारा से विधिवत अभिषेक करने पर प्रमेह रोग तपेदिक रोग तथा मनो अभिलसित कामना की प्राप्ति होती है. बुद्धि की जड़ता को दूर करने हेतु शक्कर मिले दूध से अभिषेक करना चाहिए. जिन विद्यार्थी को बुद्धि की जड़ता है, बुद्धि कमजोर है, पढ़ाई में मन नहीं लगता है वैसे छात्र-छात्राओं के लिए गुड मिला हुआ दूध से अगर अभिषेक करें तो बुद्धि कुशाग्र हो जाती है. समस्त प्रकार के उपद्रव और दोष निर्मूल नष्ट करने के लिए सरसों के तेल से रुद्राभिषेक करनी चाहिए इससे समस्त प्रकार के शत्रु उपद्रव शांत हो जाते हैं. मधु से अभिषेक करने पर यक्ष्मा तपेदिक रोग शांत होता है .आरोग्यता एवं दीर्घायु प्राप्ति हेतु दूध, दही, घी, मधु एवं गुड़ से रुद्राभिषेक करना चाहिए. कहा कि पंचामृत स्नान इत्यादि के बाद सांगोपांग वैदिक विधि विधान से यदि इन इन द्रव्यों के द्वारा भगवान रुद्र का अभिषेक किया जाए अर्चन किया जाए आराधना किया जाए तो समस्त मनोअभिलसित फलों की प्राप्ति हो जाती है वेद के अनुसार इसमें कोई संदेह नहीं है.

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