समाज की लगी मुहर, चौघारा में नहीं होगा मृत्युभोज
इस प्रकार के संदेश भेजने के बाद भी विभिन्न तरह के पकवान बनवाकर मृत्युभोज खाते हैं. यह चिंतन का विषय है
– मृत्युभोज कल्याणकारी नहीं विनाशकारी : डॉ अमन सुपौल. सदर प्रखंड के चौघारा वार्ड नंबर 08 में पंकज यादव के मृत्यु तत्पश्चात सामाजिक बैठक हुई. जिसमें सर्वसम्मति से मृत्युभोज नहीं करने का निर्णय लिया गया. बैठक में अपना विचार व्यक्त करते हुए लोरिक विचार मंच के प्रदेश संयोजक डॉ अमन कुमार ने कहा कि समाज को मृत्युभोज से पूर्ण आजादी चाहिए. पढ़े-लिखे लोग भी यदि मृत्युभोज खाते हैं या करते हैं तो उनकी शिक्षा पर धिक्कार है. किसी भी व्यक्ति के परिवार में मृत्यु हो जाने पर वह अन्य लोगों को सूचित करते हुए सोशल मीडिया या आमंत्रण कार्ड में लिखता है कि बड़े दुख के साथ सूचित करना पर रहा है कि मेरे अमुख परिजन की मृत्यु हो गई. आम आवाम भी लिखते हैं कि इस दुख की घड़ी में हम आपके साथ हैं, भगवान आपके परिवार को दुःख सहने की शक्ति प्रदान करें. इस प्रकार के संदेश भेजने के बाद भी विभिन्न तरह के पकवान बनवाकर मृत्युभोज खाते हैं. यह चिंतन का विषय है. मृत्युभोज छोड़ो अभियान के सूत्रधार डॉ कुमार ने कहा कि मृत्युभोज से समाज का हर तबका परेशान है. मृत्युभोज के कारण कई परिवार वर्षों बरस कर्ज में दब जाते हैं. मृत्युभोज कल्याणकारी नहीं विनाशकारी है. मृत्युभोज से देश को आजादी चाहिए. एक तरफ आम आवाम इसे दुख की घड़ी बता रहे हैं और दूसरी तरफ मिठाई, सब्जी, पुड़ी आदि व्यंजन खा रहे हैं. फिर बोलते हैं कि हम पढ़े-लिखे हैं. यदि आप अपने आप को पढ़ा-लिखा समझते हैं तो मृत्युभोज का पूर्ण रूपेण बहिष्कार कीजिए. कहा कि शान, शौकत, वाहवाही व बड़प्पन के लिए मृत्युभोज का आयोजन कहीं से भी उचित नहीं है. मृतक आश्रित परिवार को धैर्य, साहस और सहयोग करने की जरुरत है. जीवित अवस्था में माता-पिता या परिजन की सेवा ही सबसे बड़ा मृत्युभोज है. इसका किसी भी धर्म ग्रंथ में उल्लेख नहीं है. बैठक में कर्ता पुत्र प्रिंस कुमार, परमेश्वरी प्रसाद यादव, सुधीर यादव, कमलेश्वरी प्रसाद यादव, शंभू यादव, न्याय सचिव कृष्ण कुमार, वार्ड सदस्य मोहन यादव, फुलेन्द्र यादव, गणेश यादव, लूसो शर्मा, शिवनारायण यादव, नागो साह, हुकूमदेव यादव, चंदन यादव, ललित यादव, बेचन साह, जगदीश यादव, शिव कुमार यादव, सुरेन्द्र यादव, उमेश यादव आदि उपस्थित थे.
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