धान खरीद मामले में सुपौल ने बनाया रिकॉर्ड

राज्य में पहले स्थान पर दबदबा कायम

By Prabhat Khabar News Desk | December 7, 2024 10:02 PM

राज्य में पहले स्थान पर दबदबा कायम

– 01 हजार 743 किसानों से 12 हजार 501.814 एमटी धान की हुई खरीदारी

– शुक्रवार को 131 किसानों से खरीदा गया एक हजार 111.979 एमटी धान- महाजनों के आगे हाथ फैलाने को किसान मजबूर

सुपौल. जिले में सरकारी क्रय केंद्रों पर हर दिन बड़ी संख्या में किसान पहुंच रहे हैं. जो अपना उत्पादित धान बेचकर सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य का लाभ उठा रहे हैं. पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष सरकार क्रय केंद्रों पर रिकॉर्ड धान की खरीद हो रही है. जिसके पीछे डीएम कौशल कुमार के बेहतर क्रियान्वयन व प्रबंधन को दर्शाता है. सरकारी आंकड़े पर गौर करे तो जिले के 181 पैक्स एवं 11 व्यापार मंडल में से 158 समिति को सरकारी क्रय केंद्र बनाया गया है. शेष बचे समिति के डिफ्फालटर रहने या क्रय केंद्र से संबंधित अर्हता पूरी नहीं किये जाने को लेकर उन्हें क्रय केंद्र खोले जाने की अनुमति नहीं दी गयी है. लेकिन राज्य के 38 जिले में से सुपौल इतने कम क्रय केंद्र रहने के बावजूद धान खरीद मामले में अपना दबदबा बनाये रखा है. अब तक सुपौल में 01 हजार 743 किसानों से 12 हजार 501.814 एमटी धान की खरीद की जा चुकी है. सिर्फ शुक्रवार को ही 131 किसानों से 01 हजार 111.979 एमटी धान की खरीद की गयी है. धान खरीद की दुखद पहलू सीएमआर तैयार होना नहीं है. जिससे किसान व समिति परेशान हैं. लिहाजा किसानों को उनके द्वारा बेचे गये धान का भुगतान सरकारी दावे के अनुरूप नहीं हो रहा है. जिस कारण किसानों को रबी की फसल करने में महाजनों के आगे हाथ फैलाना मजबूरी बना है.

चार सौ रुपये प्रति क्विंटल घाटा सह रहे किसान

खरीफ फसल की तैयारी के बाद किसानों के लिए रबी फसल करना बहुत बड़ी चुनौती होती है. अन्य फसल की तुलना में रबी फसल में किसानों को जहां खेतों की सिंचाई, पटवन व उर्वरक में अधिक खर्च होता है. वहीं 15 दिसंबर तक हर हाल में रबी की फसल की बुआई कर लेना होता है. किसानों को यह चिंता रहती है कि 15 दिसंबर के बाद मौसम बदलने से रबी की फसल को नुकसान न पहुंच जाय. इससे किसानों को पैदावार में ही ना कमी आती है, बल्कि पशु चारे की भी समस्या उत्पन्न होती है. लिहाजा किसान 15 दिसंबर से पहले रबी फसल की बुआई हर हाल में कर लेना चाहते हैं. जिसमें उन्हें धन की अधिक जरूरत होती है. बताया जाता है कि कोसी इलाके के किसान खरीफ फसल की तैयारी के बाद उत्पादित अनाज को बेचकर रबी की फसल की बुआई में धन लगाते हैं. ऐसे में यदि उन्हें समय पर सरकार द्वारा देय एमएसपी का लाभ नहीं मिलता है तो वैसे किसान खुले बाजार में घाटा सहकर ही अपना अनाज बेच देते हैं. एक ओर जहां सरकारी क्रय केंद्र पर इस वर्ष धान का एमएसपी 2300 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित है. वहीं बाजार मूल्य धान का 1900 रुपये प्रति क्विंटल है. सरकार के दावे के अनुसार यदि किसानों को 48 घंटे के अंदर भुगतान नहीं होता है तो छोटे किसान 400 रुपये प्रति क्विंटल घाटा सहकर ही बाजार में अपना धान बेच देते हैं.

21 करोड़ 32 लाख रुपये का हुआ भुगतान : डीसीओ

इस बावत जिला सहकारिता पदाधिकारी अनिल कुमार गुप्ता ने बताया कि धान खरीद मामले में भुगतान की कोई समस्याएं नहीं हैं. निरंतर किसानों को भुगतान किया जा रहा है. अब तक 01 हजार 343 किसानों को 21 करोड़ 32 लाख रुपये की राशि का भुगतान किया जा चुका है. शेष बचे किसानों को शनिवार तक भुगतान कर दिया जायेगा. बताया कि एफआरके एजेंसी का चयन कर लिया गया है. संभावना है कि 10 दिसंबर से सीएमआर का गिरना शुरू हो जायेगा.

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