Supaul News : विकास की रेस में पिछड़ा जदिया बाजार

सुपौल के जदिया बाजर में ना सार्वजनिक शौचालय, ना बस पड़ाव. यात्री शेड नहीं रहने से यात्री धूप व बारिश से जूझते हैं. महिला यात्री व दुकानदारों को विशेष परेशानी होती है.

By Sugam | May 20, 2024 8:15 PM

Supaul News : उमेश कुमार, जदिया (सुपौल). जिले में विकास कार्यों के बाद काफी कुछ बदलाव आया है. बीते दशकों में अनेक क्षेत्रों में आमूल-चूल परिवर्तन हुआ है. सड़कें, मॉल, शोरूम, होटल, बड़े-बड़े मार्केटिंग कांप्लैक्स और आवासीय इमारतें. इसे लेकर सुपौल आकर्षण का केंद्र बन चुका है. लेकिन कुछ क्षेत्र बिलकुल ही हाशिये पर रह गये और विकास की रेस में पिछड़े हुए हैं. सुपौल मुख्यालय से 44 किलोमीटर पूरब जदिया बाजार ऐसी ही जगह है. यहां सार्वजनिक शौचालय व बस पड़ाव की सुविधा नहीं होने से राहगीरों व महिलाओं को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

यात्री शेड व शौचालय निर्माण की नहीं हुई पहल

सुपौल के जदिया होकर एनएच 327 ई व एसएच 91 गुजरता है.जदिया से रोजाना दर्जनों बसें व सैकड़ों ऑटो पर सवार होकर लोग दूसरी जगह सफर करते हैं. बसों पर सवार होकर हरियाणा, दिल्ली, महाराष्ट्र सहित अन्य प्रदेशों में मजदूरी करने जाते हैं. गाड़ियों के इंतजार में खुले आसमान के नीचे धूप और बारिश घंटों बस के इंतजार में खड़े रहते हैं. राहगीर व यात्रियों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. इसकी सुधि लेने वाला कोई जनप्रतिनिधि नहीं है. आजादी के 76 वर्ष बाद भी प्रशासनिक स्तर पर बस पड़ाव, यात्री शेड व सार्वजनिक शौचालय के लिए पहल नहीं की गयी है. बस पड़ाव नहीं रहने से वाहन चालकों को सड़क किनारे या सड़क पर ही वाहन खड़ा कर यात्रियों को चढ़ाया-उतारा जाता है. इस कारण अन्य वाहन चालकों को परेशानी होती है. लोगों को सड़क पार करने या खरीदारी करने में जाम से जूझना पड़ताहै. वहीं दूर-दराज से सफर कर बस से उतरने वाले राहगीरों को अगर शौचालय जाना हो, तो वे व्याकुल हो जाते हैं. यहां एक भी शौचालय नहीं है. खास कर महिलाओं को इससे काफी कठिनाई होती है.

जनप्रतिनिधि से लोगों को है उम्मीद

स्थानीय लोगों ने बताया कि जदिया बाजार में प्रतिदिन गुदरी हाट लगती है. इससे रोजना सरकार को अच्छा खासा राजस्व प्राप्त हो जाता है. इसके बाद भी हाट में सार्वजनिक शौचालय नहीं है. इस कारण महिला दुकानदारों को काफी परेशानियां झेलनी पड़ती हैं. दुकानदारों ने बताया कि जनप्रतिनिधि व प्रशासनिक पदाधिकारी को इस समस्या से कई बार अवगत कराया. लेकिन ध्यान नहीं दिया गया. विधायक और सांसद पहल करते तो जदिया बाजार में बस पड़ाव, यात्री शेड व सार्वजनिक शौचालय बन जाते. लोगों को समस्या से निजात मिल सकती थी. लोगों को अब भी भरोसा है कि उनके चुने हुए प्रतिनिधि उन्हें समस्या से निजात दिलाने की कोशिश करेंगे.

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