पुलिस को चकमा देकर बदमाश फरार, पीड़ित लिए गये हिरासत में
पुलिस को चकमा देकर बदमाश फरार
By Prabhat Khabar News Desk |
July 15, 2024 9:29 PM
परिजनों ने थाना के मुंशी पर सेवा शुल्क लेकर पीड़ित को छोड़ने का लगाया आरोप
फोटो- 21 कैप्सन – अपने बाइक के साथ पीड़ित
प्रतिनिधि, राघोपुर
राघोपुर पुलिस का एक और नया कारनामा सामने आया है. जहां अपराधी तो पुलिस को चकमा देकर निकल गया. लेकिन पीड़ित को ही पुलिस ने हिरासत में ले लिया. हालांकि बाद में सेवा शुल्क का भुगतान कर किसी तरह पीड़ित ने अपने आपको पुलिस से छुड़वा लिया. लेकिन पीड़ित का मोबाइल, बाइक, चेन आदि थाना में ही रख लिया गया. जिसकी खबर फैलने पर पुलिस ने पीड़ित को सभी सामान वापस कर दिया. हालांकि पुलिस की मंशा सामान लौटाने के एवज में सेवा शुल्क जमा कराने का था.
पीड़ित की नानी श्यामकला देवी ने राघोपुर थाना परिसर में बताया कि राहुल उनका नाती है. उसके साथ ही अपने ननिहाल हुलास पंचायत के वार्ड नंबर 11 में रहता है. बताया कि राहुल अपने एक दोस्त के साथ रविवार की रात्रि करीब नौ बजे अपने मोटरसाइकिल से कुछ घरेलू कार्य को लेकर सिमराही आया था. इसी दौरान सिमराही बाजार में किसी ने उसके दोस्त का मोबाइल से बात करने के क्रम में मोबाइल फोन छीन लिया. जिसका पीछा करते हुए वह थाना के बगल में कोशी कॉलोनी स्थित शिव मंदिर के पास पहुंचा. जहां मोबाइल छीनने वाले दोनों युवक ने उनलोगों के साथ मारपीट शुरू कर दिया. उसके बाद लोगों की सूचना पर वहां पुलिस पहुंची, तो मोबाइल छीनने वाला युवक मोबाइल छोड़ कर भाग निकला. जिसके बाद पुलिस ने पीड़ित राहुल कुमार को ही उसके बाइक के साथ पकड़कर थाना ले गई. जिसके बाद मामले की जानकारी मिलने पर उसके परिजन रात्रि के करीब 11 बजे थाना पहुंचे. जहां थाना के मुंशी ने उनलोगों से राहुल को छोड़ने के नाम पर पहले तो पांच हजार रुपये का मांग किया. लेकिन तुरंत बाद किसी अन्य पुलिस कर्मी से बात करने के बाद 25 हजार रुपये का मांग करने लगा. पीड़ित की नानी ने बताया कि जब उनलोगों ने अपने गरीबी का हवाला देते हुए 15 सौ रुपया फोन पे पर किसी से भेजवाने का बात किया तो मुंशी मानने के लिए तैयार नहीं हुआ. मुंशी ने उनलोगों से कहा कि अभी नहीं देने पर सुबह मीडिया कर्मी को जानकारी होने पर 25 के बदले 30 हजार रुपया देना पड़ेगा. उसके बाद उनलोगों ने अपने घर जाकर गांव में महाजनी कर्ज लेकर पुनः रात्रि के करीब 2 बजे थाना पहुंचकर मुंशी को 20 हजार रुपये देकर राहुल को तो छुड़वा लिया, लेकिन बाइक और राहुल का मोबाइल फोन सहित चांदी का चेन एवं पांच सौ रुपया थाना में ही रख लिया. मुंशी द्वारा कहा गया कि सुबह बांकी का पांच हजार रुपया लेकर आना, तब बाइक व अन्य सामान छोड़ दिया जायेगा.
दूसरे दिन सोमवार की सुबह जब पीड़ित परिजन थाना पहुंच कर मुंशी राजेश कुमार के सामने ही बताया कि इसी व्यक्ति को 20 हजार रुपया देकर राहुल को छुड़ा कर वे लोग ले गए. हालांकि मुंशी राजेश कुमार ने अपने ऊपर लगे आरोप को नकारते हुए कहा कि मैंने रुपया नहीं लिया है. जबकि सबने एक सुर में आरोप लगाया कि मुंशी को ही उनलोगों ने 20 हजार रुपये देकर राहुल को छुड़वाया. जब पत्रकारों द्वारा राहुल के सामान व गाड़ी के बारे में पूछा गया तो मुंशी राजेश कुमार ने बताया कि थानाध्यक्ष के आदेश पर गाड़ी जांच पड़ताल के लिए रखा गया है. लेकिन मामले की जानकारी धीरे-धीरे अन्य लोगों को लगते देख मुंशी राजेश कुमार ने किसी से फोन पर बात कर आनन-फानन में पीआर बॉन्ड लिखाकर उसका बाइक, चेन, मोबाइल और पांच सौ रुपया परिजनों को सुपुर्द कर दिया.
आरोप को लेकर जब मुंशी राजेश कुमार से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि उनके ऊपर लगा सारा आरोप बेबुनियाद है, उन्होंने किसी से भी रुपया नहीं लिया है. इस संबंध में वीरपुर डीएसपी सुरेंद्र कुमार ने बताया कि मामला उनके संज्ञान में नहीं है, मामले की जांच की जायेगी.
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