मृत्युभोज का धार्मिक या सामाजिक नहीं है औचित्य – डॉ अमन कुमार
सदर प्रखंड के हरदी पूरब पंचायत के चौघारा गांव में मंगलवार को एक महत्वपूर्ण सामाजिक बैठक कर मृत्युभोज पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया
सुपौल. सदर प्रखंड के हरदी पूरब पंचायत के चौघारा गांव में मंगलवार को एक महत्वपूर्ण सामाजिक बैठक कर मृत्युभोज पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया. यह बैठक वार्ड नंबर 10 निवासी सत्तन राम के निधन के बाद आयोजित की गई थी. सत्तन राम जो अपने पीछे दो पुत्र सत्यम कुमार और शिवम कुमार व एक पुत्री दुर्गा कुमारी को छोड़ गए के शोक में यह बैठक बुलाई गई थी. लोरिक विचार मंच के प्रदेश संयोजक डॉ अमन कुमार ने बैठक में कहा परिवार में किसी सदस्य की मृत्यु होने पर समाज को संकट की इस घड़ी में सहयोग और समर्थन देना चाहिए. शान, शौकत, और वाहवाही के लिए मृत्युभोज का आयोजन कहीं से भी उचित नहीं है. हमें मृतक परिवार को धैर्य, साहस, और उचित सलाह देना चाहिए. मृत्युभोज का पूर्ण बहिष्कार किया जाना चाहिए क्योंकि यह समाज को कर्ज और परेशानियों में डाल देता है. इसकी जगह जनहित का कार्य करना चाहिए. कहा कि मृत्युभोज का कोई धार्मिक या सामाजिक औचित्य नहीं है और इसे छोड़ने के लिए समाज को एकजुट होकर कार्य करना चाहिए. उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि बिहार सरकार और भारत सरकार को राजस्थान की तर्ज पर कठोर कानून बनाना चाहिए. बैठक में शामिल शोकाकुल परिवार ने समाज के फैसले को सहर्ष स्वीकार किया. मौके पर बिजेंद्र राम, पूर्व उप मुखिया नरेश कुमार राम, सुधीर यादव, कृष्ण कुमार, वासुदेव राम, बिरेन्द्र राम, मिथिलेश राम, विद्यानंद शर्मा, अखिलेश कुमार राम, संतोष राम, विमलेश कुमार, विजेश राम, संजय राम, संजीत राम, अनिल कुमार राम, और भालशेर देवी आदि उपस्थित थे.
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