हरदी दुर्गा स्थान में तीन दिवसीय वीर लोरिक महोत्सव का आगाज
अतिथियों ने विभागों द्वारा लगाये गये स्टॉल का निरीक्षण किया
– विभिन्न विभागों की ओर से लगाया था जागरूकता स्टॉल सुपौल. सदर प्रखंड के हरदी वन दुर्गा मंदिर परिसर में गुरुवार को तीन दिवसीय वीर लोरिक महोत्सव का उद्घाटन विधायक रामविलास कामत, एमएलसी डॉ अजय कुमार सिंह, डीएम कौशल कुमार, एडीएम रशीद कलीम अंसारी, डीडीसी सुधीर कुमार, खेल पदाधिकारी गयानंद यादव, एसडीएम इंद्रवीर कुमार, नप अध्यक्ष राघवेंद्र झा राघव, पूर्व विधायक यदुवंश कुमार यादव सहित अन्य ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्जवलित कर किया. इसके बाद विभिन्न विभागों द्वारा लगाये गये जागरूकता स्टॉल का फीता काट उद्घाटन किया गया. तत्पश्चात अतिथियों ने विभागों द्वारा लगाये गये स्टॉल का निरीक्षण किया. महोत्सव स्थल पर विभागों द्वारा लगभग दो दर्जन से अधिक स्टॉल लगाए गए हैं. विधायक व एमएलसी ने वन दुर्गा मंदिर, कार्यक्रम स्थल, कुश्ती स्थल, मूर्ति निर्माण स्थल का जायजा लेकर महोत्सव में लगाए गए जीविका, आइसीडीएस, लोहिया स्वच्छ बिहार अभियान, सहकारिता विभाग, जिला कल्याण विभाग, विद्युत विभाग, पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन सहित दर्जनों स्टालों का निरीक्षण किया. वहीं कुश्ती प्रतियोगिता में भाग लेने वाले पहलवानों से भी मुलाकात किया. इस मौके पर बीडीओ ज्योति गामी, भाजपा जिलाध्यक्ष नरेंद्र ऋषिदेव, राजद कार्यकारी जिलाध्यक्ष ई विद्याभूषण, अनोज कुमार आर्य, प्रमुख प्रतिनिधि जितेंद्र कुमार सिंटू, मुखिया विनय मंडल, धर्मेंद्र सिंह पप्पू, मनीष सिंह, दयानंद भारती, डॉ अमन कुमार, धर्मपाल कुमार, प्रो चंद्रप्रकाश, प्रशम प्रकाश, मुन्ना चमन, पप्पू कुमार, शरद मोहनका, प्रो निखिलेश कुमार सिंह, जगदीश प्रसाद यादव आदि मौजूद थे. बहादुर ही नहीं बलशाली भी थे वीर लोरिक : विधायक महोत्सव को संबोधित करते विधायक रामविलास कामत ने कहा कि वीर लोरिक एक महान व्यक्ति थे. वह बहुत ही बहादुर और बलशाली थे. जब भीमकाय वीर लोरिक 85 मन के तलवार लेकर अश्व पर सवार हो रणभूमि में उतरते तो दुश्मनों की सेना भय के मारे थर्रा उठती थी. वीर लोरिक के जीवन से हमें सीख लेने की जरूरत है. कहा कि यह स्थल जहां एक ओर मां दुर्गा स्थान के लिए प्रसिद्ध है. वहीं वीर लोरिक की कर्मभूमि के रूप में भी जाना जाता है. कहा कि वीर लोरिक दुनिया के एक विशाल योद्धा और धर्मात्मा थे. वीर लोरिक का जीवन सामाजिक और आर्थिक दर्शन है. उन्होंने संपूर्ण जीवन आम आवाम और मातृभूमि के लिए न्योछावर कर दिया. वीर लोरिक पर शोध भी किया जा रहा है. अत्याचार के खिलाफ वीर लोरिक ने किया था संघर्ष : एमएलसी एमएलसी डॉ अजय कुमार सिंह ने कहा कि अत्याचार के खिलाफ, समाजवाद की परिकल्पना के लिए वीर लोरिक ने संघर्ष किया. लोकगाथा के माध्यम से भी वीर लोरिक के बारे में हम जानते हैं. सामाजिक और सांस्कृतिक धरोहर को बचाने के लिए सरकार द्वारा लगातार प्रयास जारी है. हमलोगों को वीर लोरिक के जीवन से सीख लेने की जरूरत है. गरीब-नि:सहाय के विरुद्ध हो रहे अत्याचार का विरोध समाज के लोगों को करना चाहिये. वीर लोरिक का जीवन सामाजिक व आर्थिक दर्शन : डीएम जिला पदाधिकारी कौशल कुमार ने कहा कि वीर लोरिक एक महान योद्धा थे. वीर लोरिक दुनिया के एक विशाल योद्धा और धर्मात्मा थे. वीर लोरिक का जीवन सामाजिक और आर्थिक दर्शन है. उन्होंने संपूर्ण जीवन आम आवाम और मातृभूमि के लिए न्योछावर कर दिया. वीर लोरिक पर शोध भी किया जा रहा है. कहा कि वीर लोरिक की यह कर्म स्थली रही है. महोत्सव को मनाना हमारी संस्कृति की परंपरा है. वीर लोरिक की कर्मभूमि रही है हरदी : एडीएम स्वागत भाषण एडीएम रशीद कलीम अंसारी ने दिया. कहा कि अपनी सभ्यता और संस्कृति के कारण मिथिलांचल देश ही नहीं पूरी दुनिया में जाना जाता है. लेकिन पिछले कुछ समय से पश्चिमी सभ्यता के प्रभाव में हम अपनी संस्कृति और संस्कार खोते जा रहे हैं. ऐसी विषम परिस्थिति में प्रसिद्ध हरदी दुर्गा स्थान में वीर लोरिक महोत्सव हमारी गौरवशाली संस्कृति, ऐतिहासिक धरोहरों, पूर्वजों के संस्कारों को अक्षुण्ण रखने में बड़ी भूमिका अदा कर सकता है. कहा कि हरदी दुर्गा स्थान वीर लोरिक का कर्मभूमि रहा है. ऐतिहासिक धरोहर हमारी संस्कृति व सभ्यता की दिलाती है पहचान : मुख्य पार्षद मुख्य पार्षद राघवेन्द्र झा राघव कोशी क्षेत्र में कई ऐसे ऐतिहासिक धरोहर हैं, जो हमारी संस्कृति व सभ्यता की पहचान दिलाती है. उन्होंने कहा कि वीर लोरिक एक महान योद्धा के साथ साथ एक अच्छे प्रशासक भी थे. उन्होंने कहा कि मनिहारपुर में वीर लोरिक का जन्म हुआ था. वे अपने बिरादरी में पहलवान और वरिष्ठ व्यक्ति थे. लोरिक का कर्म क्षेत्र पंजाब से लेकर बंगाल तक फैला हुआ था. हरदी उनका कर्म क्षेत्र रहा. इसलिए यहां आज भी लोग उन्हें अपना आदर्श मानते हैं. भोज वंशी परिवार में लोरिक का हुआ था जन्म : पूर्व विधायक पूर्व विधायक यदुवंश यादव ने कहा कि उत्तर प्रदेश के घोड़ा गांव में जन्म लेकर और पंजाब से बंगाल और नेपाल तक लोरिक का कर्म क्षेत्र रहा है. वीर लोरिक का भोज वंशी राजा के परिवार में जन्म हुआ. हम लोग महोत्सव मनाते हैं, अपने पूर्वज को याद करते हैं. याद करके उनके बताएं मार्ग पर चलने का काम करते हैं. यह महोत्सव भी सरकार द्वारा इन्हीं उद्देश्यों के पूर्ति के लिए आयोजित की जाती है. लेकिन सिर्फ महोत्सव हो जाता है उससे जो हमें प्राप्ति होती है उसको हम साकार रूप देने का काम नहीं करते हैं. सुरक्षा व्यवस्था का था पुख्ता इंतजाम वीर लोरिक महोत्सव को लेकर आयोजन स्थल सहित आसपास के क्षेत्र में सुरक्षा का पुख्ता प्रबंध किया गया था. आयोजन स्थल पर सुरक्षा को लेकर चार जगह पर बैरिकेटिंग किया गया था. वहीं सुरक्षा में मजिस्ट्रेट समेत सैंकड़ों की संख्या में महिला एवं पुरुष पुलिस पदाधिकारी एवं पुलिस बल तैनात थे.
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