किशनपुर. एक ओर सरकार जहां एक टोले को दूसरे टोले से जोड़ने के लिए पक्की सड़क, पुल-पुलिया सहित अन्य कार्य कर रही है. वहीं दूसरी तरफ स्थानीय जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के चलते सरकार की यह योजना आमजन तक नहीं पहुंच पा रही है. इसका नतीजा है कि प्रखंड में कई ऐसी जगह है, जहां अभी भी पुल-पुलिया के अलावा पक्की सड़क का निर्माण नहीं हो पाया है. जिस वजह से लोग पुराने युग में जीने को मजबूर हो रहे हैं. ऐसा ही एक मामला प्रखंड के थरबिटिया स्टेशन से पश्चिम कोसी पूर्वी तटबंध से नौआबाखर पंचायत को जोड़ने वाली पक्की सड़क का है. यहां दस वर्ष पूर्व ही पक्की सड़क का निर्माण कर लिया गया है. लेकिन एक पुल के नहीं रहने से 10 हज़ार की आबादी आज भी चचरी के सहारे नदी पार करती है. इस वजह से लोगों की जान हमेशा जोखिम में रहती है. इस सड़क से कोसी तटबंध के आधा दर्जन गांव खाप, चमेलबा, हांसा, परसाही, मुसहरी बांध, भेलवा, नौवाबाखर छीट, सिमराहा आदि गांव के लोग आवागमन करते हैं. ग्रामीण रामचंद्र यादव, बलराम मेहता, चंदन कुमार मेहता, बद्री मेहता, सरवन मेहता, मिथिलेश कुमार मेहता, नागेश्वर प्रसाद यादव, दुखी लाल यादव, विद्यानंद प्रसाद यादव, संजीव यादव, मनोज मुर्मू, संजय मुर्मू, रविद्र गुरुम, राम कुमार मंडल, बिदेश्वर मंडल आदि ने बताया कि इस सड़क का निर्माण मुख्यमंत्री ग्रामीण सड़क के तहत दस वर्ष पूर्व किया गया था. उस समय हमलोगों को लगा कि इस सड़क के बाद पुल का भी निर्माण होगा. लेकिन दस वर्ष बीत जाने के बाद भी इस सड़क का लाभ एक पुल के बिना नहीं मिल रहा है. बताया कि सुखाड़ के समय में तो किसी तरह नदी पार कर अपना कार्य कर लेते हैं. लेकिन बरसात के समय में यहां पुल नहीं रहने के कारण काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. बरसात के समय में अगर जब कोई बीमार हो जाता है तो उसे खाट पर लादकर कोसी पूर्वी तटबंध पर लाकर किसी तरह से इलाज करवाते हैं. बताया कि पांच वर्ष पूर्व चुनाव के समय वर्तमान सांसद यहां आए थे तो स्थानीय ग्रामीणों के द्वारा इस पुल निर्माण की मांग की गई थी. उस समय उन्होंने जल्द ही पुल निर्माण की बात कही थी. लेकिन पांच वर्ष बीत जाने के बाद भी यहां सुगबुगाहट नहीं हुई है. वही इसी जगह से झखराही गांव जाने वाली सड़क में तीन वर्ष पूर्व पुल का निर्माण हो गया. लेकिन इस मार्ग मे पुल निर्माण के लिए कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है. इसी तरह कई मार्ग आदि ऐसे महत्वपूर्ण मार्ग हैं, जिसमें सड़कें तो बनी है. पुल न होने के कारण आज भी बमुश्किल आर-पार किया जाता है. इसके अलावे भी कई गावों और टोलों की दर्जनों ऐसी सड़के हैं जहां निवास करने वाले लोगों को आज तक इस योजना के तहत सड़क नसीब नही हो सका है. लोग पुल-पुलिया एवं सड़कों के निर्माण को लेकर अपने सभी जनप्रतिनिधियों के साथ-साथ जिला के आला अधिकारियों तक से गुहार लगाकर थक चुके हैं. मगर इन्हें मात्र सभी जगहों से आश्वासन के सिवा कुछ भी नही मिलता. हरहाल में लोग अपने हाल पर जिंदगी जीने को मजबूर हैं. लेकिन कई ऐसी सड़कें भी हैं जो पुल के अभाव में पूर्णत: बेकार साबित हो रही है. क्योंकि विशेष परिस्थिति में दो-चार किमी के बजाय बीसों किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है.
प्रतिवर्ष ग्रामीण चंदा कर हजारों की लागत से बनाते हैं चचरी
ग्रामीणों ने बताया कि बीते 15 वर्षों से सभी ग्रामीण किसी तरह आपस में चंदा कर बरसात के समय में चचरी का निर्माण कर आवागमन करते हैं. इस दौरान चचरी से सिर्फ पैदल आदमी ही पार कर सकता है. कहा कि अगर जब किसी प्रकार का वाहन जैसे मोटरसाइकिल या चार चक्का हो तो उसे बांध पर ही रखकर अंदर जाते हैं.
कहते हैं बीडीओ
इस संबंध में बीडीओ उदय प्रसाद ने बताया कि इस प्रकार की समस्या उनके संज्ञान में नहीं है. अगर जब ऐसा है तो स्थल पर पहुंच कर देखेंगे और उच्चाधिकारी को इस बात से अवगत कराएंगे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है